इस्लामाबाद:
पाकिस्तान में एक राजनीतिक दल ने कई शहरों में बैनर लगाए हैं, जिसमें सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ से 'मार्शल कानून' लागू करने और तकनीकविदों (टेक्नोक्रैट्स) की सरकार बनाने को कहा गया है। दिलचस्प है कि ये बैनर छावनी के इलाकों सहित 13 शहरों में रातोंरात लगाए गए। विश्लेषकों का कहना है कि इस पहल से कुछ खिचड़ी पकने के विचार को बल मिलता है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ये बैनर और होर्डिंग सोमवार को 'मूव ऑन पाकिस्तान' पार्टी द्वारा लाहौर, कराची, पेशावर, क्वेटा, रावलपिंडी, फैसलाबाद, सरगोधा और हैदराबाद सहित 13 शहरों में लगाए गए।
'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले इस पार्टी ने राहील से अपनी सेवानिवृत्ति पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। राहील नवंबर में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
कराची में मुख्यमंत्री आवास और रेंजर्स मुख्यालय के बीच चौराहों पर लगे एक बैनर में लिखा है, 'जाने की बातें हुईं पुरानी, खुदा के लिए अब आ जाओ।' इस पार्टी के मुख्य संगठनकर्ता अली हाशमी ने इस समाचार पत्र को बताया, 'इस प्रचार अभियान का मकसद सेना प्रमुख को यह सुझाव देना है कि मार्शल कानून लागू करने के बाद पाकिस्तान में टेक्नोक्रैट्स की सरकार बननी चाहिए और खुद राहील को इस पर नजर रखनी चाहिए।'
जहां इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस इस मुद्दे पर चुप है, वहीं विश्लेषक आमिर राणा ने कहा कि ताजा कदम से इस विचार को बल मिलता है कि कुछ 'खिचड़ी' जरूर पक रही है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ये बैनर और होर्डिंग सोमवार को 'मूव ऑन पाकिस्तान' पार्टी द्वारा लाहौर, कराची, पेशावर, क्वेटा, रावलपिंडी, फैसलाबाद, सरगोधा और हैदराबाद सहित 13 शहरों में लगाए गए।
'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले इस पार्टी ने राहील से अपनी सेवानिवृत्ति पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। राहील नवंबर में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
कराची में मुख्यमंत्री आवास और रेंजर्स मुख्यालय के बीच चौराहों पर लगे एक बैनर में लिखा है, 'जाने की बातें हुईं पुरानी, खुदा के लिए अब आ जाओ।' इस पार्टी के मुख्य संगठनकर्ता अली हाशमी ने इस समाचार पत्र को बताया, 'इस प्रचार अभियान का मकसद सेना प्रमुख को यह सुझाव देना है कि मार्शल कानून लागू करने के बाद पाकिस्तान में टेक्नोक्रैट्स की सरकार बननी चाहिए और खुद राहील को इस पर नजर रखनी चाहिए।'
जहां इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस इस मुद्दे पर चुप है, वहीं विश्लेषक आमिर राणा ने कहा कि ताजा कदम से इस विचार को बल मिलता है कि कुछ 'खिचड़ी' जरूर पक रही है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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