
फूलमालाओं और कुरान से युवक का स्वागत करती भीड़. युवक का नाम आसिफ सरदार अर्नब है. वह कोई अवॉर्ड जीतकर नहीं लौटा है. ढाका यूनिवर्सिटी की छात्रा से यौन उत्पीड़न पर वह जेल में बंद था. कट्टरपंथियों के भारी दवाब में उसे रिहा किया गया. और जीत के जश्न की तरह उसका स्वागत हुआ. अब थोड़ा यह भी जान लें कि जिस छात्रा को वह उसके पहनावे को लेकर छेड़ रहा था और उसकी सोच थी कि उसने अपने स्तन ठीक से नहीं ढके हैं, वह उस आंदोलन का हिस्सा थी जिसने शेख हसीना का तख्तापलट किया था. छात्रा सहमी हुई है और पछता रही है. और इस घटना से एक सवाल यह भी तैर रहा है- क्या बांग्लादेश महिलाओं के लिए जहन्नुम में तब्दील हो रहा है!
ढाका यूनिवर्सिटी की छात्रा को लगातार कट्टरपंथियों से जान की धमकियां मिल रही थीं. अर्नब की रिहाई पर छात्रा ने एक सोशल पोस्ट में लिखा है- एक अपराधी को भीड़ के कारण रिहा कर दिया गया. आप कल्पना नहीं कर सकते कि मुझे कितनी बलात्कार और जान से मारने की धमकियां मिली हैं. छात्रा को आज अफसोस है. वह कहती है- हमने आंदोलन में शामिल होकर गलती की. इतने लोगों ने बेवजह अपनी जान गंवाई.

छात्रा के कपड़े इस्लाम विरोधी हैं!
दूसरी तरह आसिफ सरदार अर्नब है. वह बांग्लादेश में बढ़ते कट्टरपन का एक चेहरा है, जो हर दिन 'आमार शोनार बांग्ला' से बड़ा हो रहा है. बांग्लादेश में महिलाओं के खिलाफ कट्टरपन किस हद तक घुल रहा है यह अर्नब की हरकत बताती है. वह ढाका यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में काम करता है. कैंपस में एक छात्रा को वह लगातार परेशान कर रहा था. उसके कपड़ों पर कमेंट कर रहा था. उसका कहना था कि छात्रा जो कपड़े पहन रही है, वह इस्लाम के मुताबिक ठीक नहीं हैं. स्तनों को ठीक से ढका नहीं गया है. ढाका यूनिवर्सिटी ने ऐसे दिन पहले कभी नहीं देखे थे. छात्रा ने शिकायत की और उसे गिरफ्तार किया गया. लेकिन अर्नब समर्थकों को लगता था कि उसने बिल्कुल सही किया है. यह धर्म का काम है. पुलिस स्टेशन को घेरा गया. उसकी रिहाई के लिए नारे बुलंद किए गए. एक अदालत ने अर्नब को जल्द जमानत दे दी तो उन्होंने कुरान से उसका स्वागत किया. छात्रा पुलिस और अदालत पर भीड़ के आगे झुकने की बात कह रही है.

पुलिस के पास छेड़छाड़ का यह इलाज है!
ढाका पुलिस के प्रवक्ता एमडी तालेबुर रहमान का कहना है कि अर्नब अभी भी जांच के दायरे में है. पुलिस कबूल कर रही है कि छात्रा को लगतार धमकियां मिल रही हैं, लेकिन उनके पास इसका समाधान है. छात्रा को सलाह दी गई है कि वह उन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती है, जो उसे धमकी दे रहे हैं. बांग्लादेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते कट्टरपन की यह कोई नई घटना नहीं है. इस साल जनवरी में महिलाओं के फुटबॉल मैच से गुस्साए मदरसे के छात्र मैदान में घुस गए थे. महिलाओं के खेलने को इस्लाम विरोधी बताकर जमकर तोड़फोड़ की गई थी.
ढाका की छात्राओं की आपबीती

ढाका यूनिवर्सिटी की छात्रा जैनतुल प्रोमी
ढाका यूनिवर्सिटी की छात्रा 23 साल की जैनतुल प्रोमी कहती हैं कि उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं से महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. वह कहती हैं कि हम एक मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. वह एक वाकया सुनाती हैं- एक दिन मैं मेट्रो का इंतजार कर रही थी. एक जनाब मेरे पास आए और कहने लगे कि मैं बिना पर्दे के क्यों घूम रही हूं. मैं जवाब दिया तो भीड़ उनके साथ एक हो गई.

ढाका यूनिवर्सिटी की छात्रा निसहत तंजीम नेरा
ढाका यूनिवर्सिटी की एक और छात्रा निसहत तंजीम नेरा कहती हैं कि प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है. लड़कियों के साथ उत्पीड़न की घटनाएं बार-बार हो रही हैं, लेकिन सरकार कुछ कर नहीं रही.
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