- बांग्लादेश में दीपू की बेरहमी से हत्या के बाद कई स्थानों पर प्रदर्शन और विरोध शुरू हो गए हैं.
- प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय सुरक्षित नहीं है और अत्याचार बढ़ रहा है.
- हिंदुओं के खिलाफ प्रशासन की निष्क्रियता और सुरक्षा की कमी के कारण लगातार अत्याचार और हिंसा बढ़ती जा रही है.
बांग्लादेश में दीपू की हत्या के बाद हालात बहुत ही बिगड़े हुए हैं. हत्या के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं.दीपू को भीड़ के सामने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया. उसकी हत्या इतनी खौफनाक तरीके से की गई कि देखने वालों की भी रह कांप जाए. इस घटना के बाद लोगों में बहुत ही गुस्सा है. कट्टरपंथियों के खिलाफ सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हिंदू बांग्लादेश में बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं.
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बांग्लादेश के हिंदुओं का दर्द सुनें
बांग्लादेश के हिंदुओ में बहुत दर्द है. वहां के एक प्रदर्शनकारी शख्स ने कहा कि हम लोग सनातनी है, ये लोग हमको बांग्लादेश में रहने नहीं देंगे. क्यों कि हमारे अंदर जय श्री राम का खून दौड़ रहा है. हमारी जान लेने से क्या होगा. हमको जीवन की चिंता नहीं है. जब तक सभी हिंदू एकजुट नहीं होंगे, तब तक ये लोग एक-एक कर अत्याचार करते रहेंगे. लोग मार कर टांग कर जला दे रहे हैं. प्रशासनिक लोग देखते रहते हैं.
कट्टरपंथी हिंदुओं को यहां नहीं रहने देंगे
उन्होंने कहा कि हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही है, इसीलिए ऐसा हो रहा है. हिंदुओं को कोई सेफ्टी नहीं दी जा रही है. टारगेट यही है कि बांग्लादेश में हिंदुओं को रहने नहीं दिया जाए. अगर हम अपना सिर काटकर भी उनके पैरों में रख दें तो भी ये लोग हिंदुओं को यहां रहने नहीं देंगे. शहर में तो फिर भी हिंगू एकजुट हैं. गांव में हिंदुओं पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं.
सनातनियों की यहां कोई सेफ्टी नहीं
प्रदर्शनकारी चौटाली चक्रवर्ती नाम की एक महिला वकील ने कहा कि 1 करोड़ 50 हजार हिंदू सनातनी हैं, जिनकी कोई सेफ्टी नहीं है. लोगों के जीवन को जलाया जा रहा है. उन्होंने सरकार से अपील की कि प्लीज हमारी मदद करें.
दीपूदास के परिवार का दर्द
दीपू दास के परिवार ने एनडीटीवी को बताया कि उसे किस बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया. दीपू के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि प्रमोशन के लिए लॉटरी निकली थी, जिसमें दीपू का नाम था. जिनका नाम लॉटरी में नहीं था, उन्होंने दीरू की हत्या कर दी. दीपू बीए पास था. वह नौकरी करता था. प्रमोशन के लिए उसकी लॉटरी निकली थी, जिसके बाद बहुत से लोगों ने उसपर हमला कर दिया. भीड़ देखकर पुलिस वहां से भाग गई.
दीपू के भाई ने बताया, उस दिन क्या हुआ
बता दें कि दीपू के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. दीपू की छोटी सी बच्ची को देखकर उनकी आंख भर आई. बेबस पिता ने एनडीटीवी को बताया कि परिवार पर बहुत कर्ज है. घटना वाली जगह से किसी ने दीपू के भाई को फोन कर उसकी मौत की जानकारी दी. चश्मदीद ने उनको बताया कि तुम्हारे भाई को पहले पीट कर मारा गया और फिर उसे जला दिया गया. अधमरे दीपू दास को घसीटते हुए पेड़ सेलटकाया गया और फिर उसे आग लगा दी गई. तुम जल्दी यहां आ जाओ.
दीपू के भाई ने बताया कि वह घटनास्थल पर नहीं गया था. उसका शव सबसे पहले पुलिस स्टेशन गया था. उसके बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. उसके बाद शव को घर लाया गया.
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