
- बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से जाने के बाद हूजी आतंकवादी संगठन भारत की सीमा पर फिर सक्रिय हो रहा है
- हूजी का उद्देश्य पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ाना और अशांति फैलाना है
- पाकिस्तान- बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकी से ISI के लिए बांग्लादेश में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना आसान
बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से जाने के बाद एक ओर पाकिस्तान मुहम्मद यूनुस ने नेतृत्व वाली सरकार से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश में सक्रिय हरकत-उल-जिहादी-इस्लामी (हूजी) एक बार फिर भारत की सीमा पर अपने मॉड्यूल स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. भारतीय सुरक्षा अधिकारियों से ऐसे इनपुट मिले हैं. दरअसल बांग्लादेश में शेख हसीना के शासनकाल में 'हूजी' पर काफी हद तक नियंत्रण रखा गया था, लेकिन उनके सत्ता से जाने के बाद अंतरिम सरकार में एक बार फिर अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहा है.
पाकिस्तान की मिट्टी में पैदा हुआ हूजी
'हूजी' मूलरूप से पाकिस्तान में स्थापित हुआ था और इसका उद्देश्य आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में हमले कर अशांति फैलाना था. हालांकि, कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के तेजी से बढ़ने की कोशिश के बीच ISI ने धीरे-धीरे इस संगठन (हूजी) की गतिविधियों को बांग्लादेश में ट्रांसफर कर दिया, जिसका उद्देश्य पश्चिम बंगाल और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को निशाना बनाना था.
हूजी पूर्वोत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में कई गुट स्थापित करने में कामयाब रहा था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय एजेंसियों की कड़ी सुरक्षा और निगरानी के कारण यह संगठन ठंडा पड़ गया था. बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार ने इस गुट पर लगाम लगाकर रखी थी, लेकिन जमात-ए-इस्लामी समर्थित मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का कार्यवाहक बनाए जाने के बाद 'हूजी' समेत कई कट्टरपंथी गुट फिर से सक्रिय हो गए हैं.
खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि पिछले तीन महीनों में ISI और हूजी नेताओं के बीच कम से कम छह बैठकें हुई हैं. इन सभी का उद्देश्य संगठन की गतिविधियों को पुनर्जीवित करना और भारतीय सीमा के पास और गुट स्थापित करना है. जमात ने हूजी को सुरक्षा की गारंटी भी दी है. इस प्रक्रिया में हूजी को हथियारों, गोला-बारूद और धन मुहैया कराने का भरोसा दिया गया है.
हूजी कैसे हुआ एक्टिव?
बांग्लादेश में हूजी के एक बार फिर से एक्टिव होने के पीछे एक वजह अब्दुस सलाम पिंटू की रिहाई भी बताई जा रही है. उसके बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) से जुड़े होने का दावा किया गया है. उस पर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से सक्रिय आतंकवादियों को धन मुहैया कराने का आरोप था. 2004 में शेख हसीना पर ग्रेनेड हमले की कोशिश के लिए उसे 2008 में मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, 17 साल जेल में रहने के बाद दिसंबर 2024 में उसे रिहा कर दिया गया था. अब्दुस सलाम पिंटू ने पीओके स्थित शिविरों में हूजी की हथियारों की खरीद, भर्ती और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मदद की थी.
भारतीय सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में बढ़ती नजदीकी और अब्दुस के खुलेआम बाहर घूमने के कारण एक बार फिर उसके हूजी से जुड़ने की प्रबल आशंका है. वह इस आतंकवादी समूह को अच्छी तरह जानता है और ISI उसका इस्तेमाल उन्हीं गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कर सकती है, जो उसने अपनी गिरफ्तारी से पहले की थीं.
पिंटू अकेला व्यक्ति नहीं है, जिसे शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद यूनुस सरकार ने रिहा किया. उसने सितंबर 2024 में प्रतिबंधित आतंकी समूह अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के सदस्य और आतंकवादी शेख असलम को भी रिहा किया था. भारत के लिहाज से यूनुस सरकार का सबसे महत्वपूर्ण फैसला जमात से प्रतिबंध हटाना था. अत्यधिक कट्टरपंथी और खतरनाक माने जाने वाला यह समूह बांग्लादेश में हूजी जैसे आतंकी समूहों के उदय में मदद कर रहा है.
यह तथ्य कि अंतरिम सरकार ISI की सीधी मदद से ऐसा कर रही है, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह चिंता का विषय है.
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