ढाका:
बांग्लादेश जेल में बंद उल्फा नेता अनूप चेतिया को भारत वापस भेज सकता है। बांग्लादेश के जेल में 16 वर्ष का समय गुजारने के बाद चेतिया और उनके साथ वहां कैद संगठन के अन्य सदस्यों ने अपने स्वदेश वापस लौटने के अधिकार के तहत भारत वापस जाने की मांग की है।
चेतिया को भारत भेजे जाने की संभावित तिथि के संबंध में पूछने पर विस्तृत जानकारी दिए बगैर गृहमंत्री महिउद्दीन खान ने बताया, ‘‘इंतजार करें।’’ लेकिन पहचान गुप्त रखने की शर्त पर गृहमंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के नेता को कल ढाका के बाहरी इलाके में बने काशिमपुर केन्द्रीय कारा में भेज दिया गया है और उनके अनुरोध पर जरूरी कार्रवाई के लिए विचार किया जा रहा है।
उल्फा के संस्थापक महासचिव ने वर्ष 1997 में बांग्लादेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद वर्ष 2005, 2008 और 2011 में बांग्लादेश से राजनीतिक शरण की मांग की थी। बाद में चेतिया को दो अदालतों द्वारा सीमा पार से घुसपैठ करने, फर्जी पासपोर्ट रखने और अवैध तरीके से विदेशी मुद्रा रखने के मामले में सात वर्ष कैद की सजा सुनाई।
कारावास की अवधि समाप्त होने के बावजूद वह अभी तक जेल में बंद हैं। वर्ष 2003 में उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि चेतिया के राजनीतिक शरण के मामले में फैसला होने तक उन्हें सुरक्षित हिरासत में रखा जाए।
वरिष्ठ कारा अधिकारी ने पहले बताया, ‘‘चेतिया ने भारत वापस जाने की इच्छा व्यक्त की है और हमने उनकी याचिका विचार के लिए गृह मंत्रालय भेज दी है।’’
उन्होंने कहा कि चेतिया को जेल के नियमों के तहत सामाजिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए बने ‘डिवीजन वार्ड’ में रखा गया है। चेतिया ने जेल में बंद उल्फा के दो अन्य नेताओं लक्ष्मीप्रसाद गोस्वामी और बाबुल शर्मा को भी भारत वापस भेजने की मांग की है। दोनों अलग-अलग जेलों में बंद हैं।
मीडिया में खबर आने के बाद कि स्वशासन के लिए दशकों तक चली हथियारबंद लड़ाई के बाद उल्फा के ज्यादातर नेता भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत करना चाहते हैं चेतिया ने अपनी भारत वापसी की मांग की है।
बांग्लादेश और भारत के बीच इसी वर्ष जनवरी में एक समझौता हुआ है जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के जेलों में बंद या वहां छुपे हुए वांछित अपराधियों को एक-दूसरे को सौंपेंगे।
चेतिया को भारत भेजे जाने की संभावित तिथि के संबंध में पूछने पर विस्तृत जानकारी दिए बगैर गृहमंत्री महिउद्दीन खान ने बताया, ‘‘इंतजार करें।’’ लेकिन पहचान गुप्त रखने की शर्त पर गृहमंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के नेता को कल ढाका के बाहरी इलाके में बने काशिमपुर केन्द्रीय कारा में भेज दिया गया है और उनके अनुरोध पर जरूरी कार्रवाई के लिए विचार किया जा रहा है।
उल्फा के संस्थापक महासचिव ने वर्ष 1997 में बांग्लादेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद वर्ष 2005, 2008 और 2011 में बांग्लादेश से राजनीतिक शरण की मांग की थी। बाद में चेतिया को दो अदालतों द्वारा सीमा पार से घुसपैठ करने, फर्जी पासपोर्ट रखने और अवैध तरीके से विदेशी मुद्रा रखने के मामले में सात वर्ष कैद की सजा सुनाई।
कारावास की अवधि समाप्त होने के बावजूद वह अभी तक जेल में बंद हैं। वर्ष 2003 में उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि चेतिया के राजनीतिक शरण के मामले में फैसला होने तक उन्हें सुरक्षित हिरासत में रखा जाए।
वरिष्ठ कारा अधिकारी ने पहले बताया, ‘‘चेतिया ने भारत वापस जाने की इच्छा व्यक्त की है और हमने उनकी याचिका विचार के लिए गृह मंत्रालय भेज दी है।’’
उन्होंने कहा कि चेतिया को जेल के नियमों के तहत सामाजिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए बने ‘डिवीजन वार्ड’ में रखा गया है। चेतिया ने जेल में बंद उल्फा के दो अन्य नेताओं लक्ष्मीप्रसाद गोस्वामी और बाबुल शर्मा को भी भारत वापस भेजने की मांग की है। दोनों अलग-अलग जेलों में बंद हैं।
मीडिया में खबर आने के बाद कि स्वशासन के लिए दशकों तक चली हथियारबंद लड़ाई के बाद उल्फा के ज्यादातर नेता भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत करना चाहते हैं चेतिया ने अपनी भारत वापसी की मांग की है।
बांग्लादेश और भारत के बीच इसी वर्ष जनवरी में एक समझौता हुआ है जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के जेलों में बंद या वहां छुपे हुए वांछित अपराधियों को एक-दूसरे को सौंपेंगे।
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