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बांग्लादेश चुनाव: जमात-ए-इस्लामी से गठबंधन को लेकर छात्र नेताओं में फूट, कभी भी दो फाड़ हो सकती है पार्टी

Bangladesh Election 2026: छात्र नेताओं की नई नवेली नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) ने नॉमिनेशन खत्म होने से ठीक एक दिन पहले बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन कर लिया है.

बांग्लादेश चुनाव: जमात-ए-इस्लामी से गठबंधन को लेकर छात्र नेताओं में फूट, कभी भी दो फाड़ हो सकती है पार्टी
Bangladesh Election 2026: जमात-ए-इस्लामी से गठबंधन के बाद छात्र नेताओं की पार्टी में फूट
  • बांग्लादेश में छात्र नेताओं की नई पार्टी NCP ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन की घोषणा की
  • NCP के संयोजक नाहिद इस्लाम ने स्पष्ट किया कि गठबंधन वैचारिक नहीं बल्कि केवल चुनावी समझौता है
  • जमात के साथ गठबंधन के फैसले से NCP के अंदर विवाद पैदा हो गया है और कई वरिष्ठ नेताओं ने इस्तीफा दे दिया
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हत्या, हिंसा और अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार की खबरों के बीच बांग्लादेश में चुनावी सर्गरमी तेज हो गई है. फरवरी में होने जा रहे चुनाव के लिए आज यानी सोमवार, 29 दिसंबर को नॉमिनेशन की आखिरी तारीख थी. इस डेडलाइन के ठीक पहले बांग्लादेश पर पकड़ बनाती कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और शेख हसीनो को सत्ता से बाहर करने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले छात्र नेताओं के बीच फूट सामने आ गई. दरअसल इन छात्र नेताओं ने मिलकर नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) बनाई है, जिसने नॉमिनेशन खत्म होने से ठीक एक दिन पहले, रविवार को घोषणा की कि वह औपचारिक रूप से बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के साथ हाथ मिला रही है. हालांकि अत्यधिक विवादास्पद फैसले के बाद पार्टी के भीतर फूट पड़ गई है, कई छात्र नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है.

NCP के पार्टी संयोजक नाहिद इस्लाम ने रविवार रात करीब 8 बजे ढाका में पार्टी के अस्थायी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन की पुष्टि की. नाहिद ने कहा कि NCP ने शुरू में सभी 300 संसदीय सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन उस्मान हादी की हत्या ने देश के "राजनीतिक परिदृश्य" को बदल दिया है.

उनसे सवाल किया गया कि क्या जमात के साथ पार्टी का गठबंधन वैचारिक है, नाहिद ने कहा कि ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा, "यह कोई व्यापक या वैचारिक एकता नहीं है. यह एक चुनावी समझौता है. हम न्यूनतम मुद्दों पर आम सहमति पर पहुंचे हैं. हम मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं."

जमात से हाथ मिलाते पार्टी में फूट पड़ गई

द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल सिटीजन पार्टी की केंद्रीय समिति के कुल 122 सदस्यों ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन के लिए समर्थन करते हुए संयोजक नाहिद इस्लाम को पत्र सौंपे हैं. लेकिन इससे पहले, NCP के 30 संस्थापक सदस्यों ने धमकी दी थी कि अगर पार्टी जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन पर आगे बढ़ती है तो वे इस्तीफा दे देंगे.

रिपोर्ट के अनुसार लेटर में जमात और उसके छात्र विंग, इस्लामी छात्र शिबिर पर "जुलाई विद्रोह के बाद से विभाजनकारी राजनीति" में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया. इन नेताओं ने कहा कि जमात अन्य पार्टियों के भीतर जासूसी करती है, NCP की महिला नेताओं के चरित्र पर कीचड़ उछालती है, और उससे धर्म-आधारित सामाजिक फासीवाद बढ़ने का खतरा है.

पार्टी के ज्वाइंट चीफ कॉर्डिनेटर तुहिन ने कहा कि इस असहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 30 नेताओं में से 16- 17 को मना लिया गया है, उन्होंने चिंताएं जताई थीं लेकिन अंततः पार्टी के फैसले का समर्थन किया. लेकिन इसके इतर पार्टी के कई नेताओं ने अपना इस्तीफा दे भी दिया है. NCP केंद्रीय समिति के संयुक्त सदस्य सचिव मीर अरशदुल हक ने गुरुवार को यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें विश्वास नहीं है कि विद्रोह में जो वादे किए गए थे, वो इस पार्टी के भीतर से पूरे किए जा सकेंगे.

शनिवार की रात, तस्नीम जारा ने पार्टी का पहली वरिष्ठ संयुक्त सदस्य सचिव के पद से इस्तीफा दे दिया और घोषणा की कि वह ढाका-9 से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में आगामी चुनाव लड़ेंगी. ताजनुवा जबीन ने भी रविवार को पार्टी की संयुक्त संयोजक के पद से इस्तीफा दे दिया और घोषणा की कि वह अगला आम चुनाव नहीं लड़ेंगी. पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता सामंत शर्मिन ने सार्वजनिक रूप से गठबंधन का विरोध किया लेकिन इस्तीफा नहीं दिया.

एक अलग फेसबुक पोस्ट में, पार्टी के पूर्व सलाहकार महफूज आलम - जिन्हें कोई औपचारिक पद नहीं होने के बावजूद पार्टी के प्रमुख विचारकों में से एक माना जाता है - ने कहा कि वह "इस NCP के साथ नहीं हैं." द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार आलोचकों का कहना है कि NCP के भीतर से महफूज आलम और गठबंधन के फैसले का विरोध करने वाले अन्य नेताओं का एक अलग गुट उभर सकता है.

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