Bangladesh ने रोहिंग्या मुद्दे पर मांगी India की मदद, PM Sheikh Hasina ने कही ये बात

म्यांमार (Myanmar) के रखाइन से जान बचा कर भागे 10 लाख से अधिक रोहिंग्या (Rohingya) शरणार्थी वर्तमान में बांग्लादेश (Bangladesh) में रह रहे हैं.

Bangladesh ने रोहिंग्या मुद्दे पर मांगी India की मदद, PM Sheikh Hasina ने कही ये बात

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना चार दिन की भारत यात्रा पर पहुंचीं हैं. ( File Photo)

भारत की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आईं बांग्लादेश (Bangladesh) की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने सोमवार को कहा कि भारत रोहिंग्या (Rohingya) शरणार्थियों के मुद्दे से निपटने में उनके देश की मदद करने के लिए बहुत कुछ कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश सीमा के आर-पार नदियों का फिर से पुनर्जीवन करने के लिए संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं. हसीना ने भारत में बांग्लादेश उच्चायोग द्वारा उनके लिए आयोजित एक स्वागत समारोह के दौरान पत्रकारों के एक समूह से अनौपचारिक बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की. मंगलवार को शेख हसीना का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का कार्यक्रम है.  

यह पूछे जाने पर कि रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत क्या भूमिका निभा सकता है, हसीना ने कहा, ''भारत एक बड़ा देश है. यह बहुत कुछ कर सकता है.''

गौरतलब है कि म्यांमार के रखाइन से जान बचा कर भागे 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी वर्तमान में बांग्लादेश में रह रहे हैं.

काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशन के अनुसार, म्यांमार की सराकर ने 2017 में रोहिंग्याओं के खिलाफ एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू कया जिसके कारण  सात लाख रोहिंग्याओं को देश छोड़ कर भागना पड़ा. अधिकार समूहों को संदेह है कि म्यांमार सरकार ने रोहिंग्याओं का नरसंहार किया लेकिन म्यांमार सरकार इससे इंकार करती है.

 संयुक्त राष्ट्र और कई दूसरे देशों ने म्यांमार के सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए और पड़ोसी देशों में भाग कर पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थियों को मदद दी. अलजज़ीरा के अनुसार, इससे पहले 1970 के दशक से ही रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश, मलेशिया, थाईलैंड और दक्षिण एशियाई देशों में पहुंचते रहे. रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना था कि म्यांमार के सुरक्षा बलों ने उनपर बलात्कार, हत्या, आगजनी जैसे अत्याचार किए. 

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आज भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश और अन्य देशों में रोहिंग्या समुदाय के बड़े रिफ्यूजी कैंप हैं. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग के अनुसार, रोहिंग्या संकट का सबसे बुरा असर महिलाओं और बच्चों पर पड़ा है.