ढाका:
बांग्लादेश सरकार ने देश में भड़की हिंसा के बीच सुरक्षा कड़ी करते हुए अर्धसैनिक बलों को तैनात कर दिया है। विपक्ष के एक शीर्ष इस्लामी नेता को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद देश में भड़के दंगों में कम से कम 42 लोग मारे गए हैं।
बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के प्रमुख मेजर जनरल अजीज अहमद ने बताया, प्रशासन की मदद करने के लिए 15 अशांत जिलों में हमारे जवान तैनात किए गए हैं... बीजीबी को अलर्ट पर रखा गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर यह कहीं भी जा सके।
देश में गुरुवार को उस समय हिंसा भड़क उठी थी, जब जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के 73-वर्षीय उपाध्यक्ष दिलावर हुसैन सईदी को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ नौ महीने तक चले बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान बलात्कार, नरसंहार और अत्याचार के 20 आरोपों में दिलावर को दोषी पाया गया था।
इस बीच, एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं, क्योंकि जमात और सईदी के समर्थकों ने और अधिक प्रदर्शनों की योजना बनाई है। अधिकारियों को आशंका है कि जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता जुम्मे की नमाज के दौरान मस्जिदों पर हमले कर सकते हैं।
सईदी के खिलाफ फैसले को लेकर एक ओर जहां उसके समर्थक हिंसा पर उतर आए, वहीं 1971 के स्वतंत्रता संघर्ष में भाग ले चुके लोग, युवा और सत्तारूढ़ आवामी लीग के समर्थक ढाका तथा अन्य बड़े शहरों में सड़कों पर निकल आए और खुशी मनाई। हिंसा तब हुई जब फैसले की निंदा कर रहे जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता पुलिस से भिड़ गए। इन लोगों ने पुलिस के शिविरों पर हमला किया, हथियार लूट लिए और सत्तारूढ़ आवामी लीग के कार्यालयों को आग लगा दी।
बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के प्रमुख मेजर जनरल अजीज अहमद ने बताया, प्रशासन की मदद करने के लिए 15 अशांत जिलों में हमारे जवान तैनात किए गए हैं... बीजीबी को अलर्ट पर रखा गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर यह कहीं भी जा सके।
देश में गुरुवार को उस समय हिंसा भड़क उठी थी, जब जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के 73-वर्षीय उपाध्यक्ष दिलावर हुसैन सईदी को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ नौ महीने तक चले बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान बलात्कार, नरसंहार और अत्याचार के 20 आरोपों में दिलावर को दोषी पाया गया था।
इस बीच, एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं, क्योंकि जमात और सईदी के समर्थकों ने और अधिक प्रदर्शनों की योजना बनाई है। अधिकारियों को आशंका है कि जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता जुम्मे की नमाज के दौरान मस्जिदों पर हमले कर सकते हैं।
सईदी के खिलाफ फैसले को लेकर एक ओर जहां उसके समर्थक हिंसा पर उतर आए, वहीं 1971 के स्वतंत्रता संघर्ष में भाग ले चुके लोग, युवा और सत्तारूढ़ आवामी लीग के समर्थक ढाका तथा अन्य बड़े शहरों में सड़कों पर निकल आए और खुशी मनाई। हिंसा तब हुई जब फैसले की निंदा कर रहे जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता पुलिस से भिड़ गए। इन लोगों ने पुलिस के शिविरों पर हमला किया, हथियार लूट लिए और सत्तारूढ़ आवामी लीग के कार्यालयों को आग लगा दी।
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