ऑस्ट्रेलियाई सेना के टॉप जनरल ने गुरुवार (19 नवंबर) को कहा कि इस बात के विश्वसनीय सबूत हैं कि उनके विशेष बल के जवानों ने अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान 39 निहत्थे नागरिकों और कैदियों की अवैध तरीके से जान ले ली. टॉप कमांडर ने इस मामले को एक विशेष युद्ध अपराध बताते हुए वार क्राइम प्रोसिक्यूटर को मामला भेजा है.
साल 2005 से 2016 के बीच अफगानिस्तान में सैन्य ताकत के दुरुपयोग की एक साल तक चली लंबी खोजबीन के बाद, आस्ट्रेलिया के चीफ ऑफ द डिफेंस फोर्सेज एंगस कैंपबेल ने कहा कि सभ्य सैनिकों के बीच अदूरदर्शिता की एक "विनाशकारी" संस्कृति के कारण कथित हत्याओं और उसे छिपाने का खेल करीब एक दशक तक चलता रहा.
कैंपबेल ने अफ़गानिस्तान के लोगों से "ईमानदारी से और अप्रत्याशित रूप से माफी" मांगते हुए कहा, "कुछ पहरेदारों ने कानून को अपने हाथ में लिया, नियम तोड़े गए, मनगढ़ंत कहानियाँ बनाई गईं और झूठ कहा गया और कैदियों ने उनपर हमला किया था." उन्होंने कहा, "इस शर्मनाक घटनाक्रम में एक कथित उदाहरण शामिल हैं जिसमें नए गश्ती सदस्यों को एक कैदी को गोली मारने के लिए मजबूर किया गया था, ताकि उस जूनियर सैनिक की पहली हत्या, 'खून' के रूप में जाना जा सके."
रिपोर्ट में कहा गया है कि तब आरोपी जूनियर सैनिक ने इस घटना का हिसाब देने की वजह से झड़प भी की थी. गुरुवार को ऑस्ट्रेलियाई सेना के इन्सपेक्टर जनरल ने 465 पन्नों की आधिकारिक जांच रिपोर्ट में दर्जनों हत्या से जुड़ी कठोर उत्पीड़न की कहानी दर्ज की है. रिपोर्ट में 19 लोगों को ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस के पास भेजने और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने की बात कही गई है.
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