भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध का जिक्र आज ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने उस वक्त किया जब वो 2020 के रक्षा रणनीतिक अपडेट और 2024 संरचना योजना का शुभारंभ कर रहे थे. मॉरिसन ने कहा, 'दक्षिण और पूर्व चीन सागर में भी चीन क्षेत्रीय विवाद में उलझा हुआ है.हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ता सैन्य और आर्थिक प्रभाव क्षेत्र विभिन्न देशों के लिए चिंता का विषय है.' ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कहा, 'आगामी दशक में देश की रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण के लिए 270 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का निवेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक तेवरों को देखते हुए किसी भी प्रकार के “आक्रमण” को रोकने या जवाबी कार्रवाई करने के लिए यह कदम उठाया जाएगा.
मॉरिसन ने कहा, “हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती हुई चुनौतियों का अर्थ है कि हमें नया तरीका अपनाना होगा जिनसे उन गतिविधियों को रोका जा सके जो हमारे हितों के विपरीत हों.” मॉरिसन ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और तनाव का केंद्र बन चुका है. बीजिंग ने इन क्षेत्रों में अपने नियंत्रण वाले कई द्वीपों पर सैन्य अड्डे बनाए हैं. दोनों ही क्षेत्रों में खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के भंडार हैं जो वैश्विक व्यापार के लिए अहम हैं. मॉरिसन ने कहा कि कोविड-19 से लड़ने के साथ ही हमें कोविड के बाद की दुनिया के लिए भी तैयार रहना चाहिए जिसमें और अधिक गरीबी, खतरा और अनिश्चितता व्याप्त रहने की संभावना है.
ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने एक न्यूज चैनल से कहा, “हमें संभावित खतरों के लिए तैयार रहना चाहिए. चीन और अमेरिका के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का अर्थ होगा अत्यधिक तनाव.”
एक आधिकारिक बयान में मॉरिसन ने कहा कि देश के हितों और संसाधनों की रक्षा के लिए ऑस्ट्रेलियाई सशस्त्र सेनाओं की क्षमता बढ़ाने के लिए 270 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का निवेश किया जाएगा.
(इनपुट एजेंसी भाषा से भी)
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