मेलबर्न:
विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की ओर से दोबारा आग्रह करने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि वह परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले राष्ट्रों को यूरेनियम नहीं बेचने की अपनी नीति पर अडिग है। इससे पहले भी ऑस्ट्रेलिया ने भारत को यूरेनियम बेचने से मना कर चुका था। बाद में कृष्णा ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से आग्रह किया कि वह अपनी नीति में बदलाव करे, क्योंकि परमाणु ऊर्जा उभरते भारत की मांग है। परंतु ऑस्ट्रेलियाई विदेशमंत्री केविन रड ने कहा कि उनका देश यूरेनियम बेचने की नीति में बदलाव नहीं कर सकता। कृष्णा ने अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान अपने समकक्ष केविन रड के सामने यह मुद्दा उठाया, हालांकि रड ने कहा कि उनका देश अपने रुख पर कायम है। उन्होंने बुधवार को इस मुद्दे को ऑस्ट्रेलिया के संसाधन, ऊर्जा और पर्यटन मंत्री मार्टिन फर्ग्यूसन के समक्ष भी उठाया था। रड ने परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में भारत के साफ रिकॉर्ड की बात को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि यह ऑस्ट्रेलिया की नीति है कि वह एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वालों को यूरेनियम नहीं बेचता। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री ने कहा, ऑस्ट्रेलिया बुनियादी तौर पर, अप्रसार के मुद्दे पर भारत की लंबे समय से चली आ रही विश्वसनीयता का सम्मान करता है। कृष्णा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रड ने इस बात को स्वीकार किया कि भारत दुनिया के किसी भी स्थान पर परमाणु हथियारों के प्रसार के एक भी कार्य के लिए जिम्मेदार नहीं है। रड ने कहा कि इसके बाद भी ऑस्ट्रेलिया भारत को यूरेनियम बेचने का अनिच्छुक है, क्योंकि उसने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि इस मुद्दे से दोनों देशों के बीच के संबंध प्रभावित नहीं होंगे। रड ने दोनों देशों के बीच की रणनीतिक भागीदारी का जिक्र करते हुए कहा, हालांकि ऑस्ट्रेलिया का एनपीटी पर रुख अपनी जगह कायम है, पर हम दोस्तों की तरह इन मुद्दों पर बातचीत करना जारी रखेंगे। इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कृष्णा ने कहा कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया सरकार से अपनी नीति बदलने का निवेदन किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि परमाणु ऊर्जा, हरित ऊर्जा के स्रोत के तौर पर भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए अहम जरूरत है। उन्होंने कहा, अगर आपको हरित ऊर्जा की जरूरत है, तो भारत के मुताबिक इसके लिए एकमात्र विकल्प परमाणु ऊर्जा है और अगर आपको परमाणु ऊर्जा की जरूरत है, तो इसके लिए आपको निश्चित तौर पर यूरेनियम की जरूरत है।
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