अफगानिस्तान में बृहस्पतिवार को काबुल हवाई अड्डे के पास दो आत्मघाती हमलावरों और बंदूकधारियों द्वारा भीड़ पर किए गए हमले में कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य के घायल होने की खबर है. एक अफगान अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि हवाई अड्डे पर हुए हमले में कम से कम 60 अफगान मारे गए तथा 143 अन्य घायल हुए हैं. वहीं अमेरिका के दो अधिकारियों के मुताबिक हमले में 11 अमेरिकी नौसैनिकों और नौसेना का एक चिकित्साकर्मी भी मारे गए हैं. उन्होंने बताया कि हमले में 12 और सेवारत कर्मी घायल हुए है और मृतकों की संख्या बढ़ सकती है.
वहीं अफगानिस्तान से अमेरिकी लोगों की वापसी का काम देख रहे जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने कहा कि अमेरिका काबुल हवाईअड्डे के साजिशकर्ताओं का पता लगाएगा. उन्होंने आज कहा कि माना जा रहा है कि यह हमला इस्लामिक स्टेट समूह से अफगानिस्तान में संबद्ध लोगों ने अंजाम दिया है. उन्होने आशंका जताई कि ऐसे और हमले हो सकते हैं.
वहीं अफगानिस्तान में अस्पतालों का संचालन करने वाली इटली की एक संस्था ने कहा कि वे हवाईअड्डे पर हमले में घायल 60 लोगों का उपचार कर रहे हैं जबकि 10 घायल ऐसे थे जिन्होंने अस्पताल लाने के दौरान दम तोड़ दिया. अफगानिस्तान में संस्था के प्रबंधक मार्को पुनतिन ने कहा कि सर्जन रात में भी सेवा देंगे. उन्होंने कहा कि घायलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा रही है.
काबुल आत्मघाती विस्फोटों में कम से कम 60 की मौत; हमलों में हो सकता है ISIS का हाथ
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने काबुल हवाईअड्डे पर हुए आतंकवादी हमले की निंदा की है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने हमले को बर्बर करार देते हुए कहा कि निकासी अभियान तेजी से जारी रखने की जरूरत है. जानकारी के मुताबिक, एक हमलावर ने उन लोगों को निशाना बनाकर हमला किया जो गर्मी से बचने के लिए घुटनों तक पानी वाली नहर में खड़े थे और इस दौरान शव पानी में बिखर गए. ऐसे लोग जोकि कुछ देर पहले तक विमान में सवार होकर निकलने की उम्मीद कर रहे थे वो घायलों को एंबुलेंस में ले जाते देखे गए. उनके कपड़े खून से सन गए थे. यह विस्फोट ऐसे समय हुआ है, जब अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से हजारों अफगान देश से निकलने की कोशिश कर रहे हैं और पिछले कई दिनों से हवाई अड्डे पर जमा हैं.
काबुल हवाई अड्डे से बड़े स्तर पर लोगों की निकासी अभियान के बीच पश्चिमी देशों ने हमले की आशंका जतायी थी. इससे पहले दिन में कई देशों ने लोगों से हवाईअड्डे से दूर रहने की अपील की थी क्योंकि वहां आत्मघाती हमले की आशंका जतायी गई थी. अमेरिका के एक अधिकारी का कहना है कि “निश्चित तौर पर माना जा रहा है कि” काबुल हवाई अड्डे के पास हुए हमले के पीछे आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट का हाथ है. इस्लामिक स्टेट समूह तालिबान से अधिक चरमपंथी है और इसने असैन्य नागरिकों पर कई बार हमले किये हैं. एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया है कि क्षेत्र को निशाना बनाए जाने के बावजूद निकासी अभियान के लिए काबुल हवाईअड्डे से उड़ान भरी जा रही हैं.
पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि एक धमाका हवाईअड्डे के प्रवेश द्वार के पास हुआ जबकि दूसरा एक होटल से कुछ दूरी पर हुआ. उन्होंने कहा कि हमले में सैनिकों समेत कई लोग हताहत हुए हैं लेकिन कोई आंकड़ा नहीं दिया.
एक अफगानिस्तानी व्यक्ति ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे के एक द्वार के बाहर इंतजार कर रही भीड़ के बीच हुए धमाके के बाद उसे कुछ लोग मृत या घायल नजर आए. घटनास्थल के पास मौजूद अदम खान ने कहा कि धमाके के बाद कुछ लोग मृत और घायल नजर आ रहे थे तथा कुछ लोगों के अंगभंग हो गए थे. दूसरा धमाका होटल बारोन के पास हुआ जहां अफगान, ब्रिटिश और अमेरिकी नागरिकों समेत अन्य लोग एकत्र थे जिन्हें देश छोड़ने के लिए हवाईअड्डे पर जाने से पहले हाल के दिनों में यहां ठहराया गया था.
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वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने काबुल हवाईअड्डे पर हुए आतंकवादी हमले की निंदा की और कहा कि यह घटना अफगानिस्तान के जमीनी हालात की अस्थिरता को दर्शाती है. गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने प्रेसवार्ता में कहा, ''महासचिव काबुल की वर्तमान स्थिति और विशेष रूप से हवाई अड्डे के हालात को लेकर चिंतित हैं और इस पर करीबी नजर रख रहे हैं. वह इस आतंकवादी हमले की निंदा करते हैं जिसमें कई नागरिक मारे गए और घायल हुए. वह मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं.'' इस बीच, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि कुछ घंटे पहले हुए धमाकों के कारण काबुल हवाईअड्डे के पास हालात गंभीर रूप से बिगड़े हैं.
आयरलैंड के डबलिन में अपने दौरे के दौरान एक प्रेसवार्ता में मैक्रों ने कहा, ''हम एक अत्यंत तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे हैं, ऐसे में हमें अपने अमेरिकी सहयोगियों के साथ समन्वय करना चाहिए. हवाई अड्डे पर हालात अनुकूल रहने तक फ्रांस अपने नागरिकों, अन्य सहयोगी देशों के लोगों और अफगानों को निकालना जारी रखेगा.'' वहीं, अफगानिस्तान में पशुशाला चलाने वाले ब्रिटेन के पॉल पेन ने ब्रिटिश समाचार एजेंसी को बताया कि हवाई अड्डे के पास हुए हमले के बाद की अफरा-तफरी में वह और उनके कर्मचारी भी फंस गए थे. उन्होंने बताया कि उनकी संस्था के लोग उस समय हवाई अड्डे के बाहर ही थे जब धमाका हुआ.
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पॉल ने कहा, ''हम सभी सुरक्षित हैं लेकिन इस समय यहां अफरा-तफरी का माहौल है. अचानक हमे गोलियां चलने की आवाज सुनाई दीं और हमारे वाहन को निशाना बनाया जा रहा था.'' पिछले सप्ताह के दौरान इस युद्धग्रस्त देश से निकलने के लिए हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी जैसा माहौल देखने को मिला था. अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से तालिबान के क्रूर शासन की आशंका के चलते तमाम लोग देश छोड़ने को आतुर नजर आ रहे हैं. कुछ देश पहले ही अफगानिस्तान से लोगों को निकालने का अभियान समाप्त कर चुके हैं और अपने सैनिकों और राजनयिकों को निकालना शुरू कर चुके हैं. तालिबान ने तय समयसीमा में निकासी अभियान के दौरान पश्चिमी बलों पर हमला नहीं करने का संकल्प जताया था. हालांकि, यह भी दोहराया है कि अमेरिका द्वारा 31 अगस्त की तय समयसीमा में सभी विदेशी सैनिकों को देश छोड़ना होगा.
इस घटनाक्रम से पहले, ब्रिटिश सरकार ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी थी कि इस्लामिक स्टेट (आईएस या आईएसआईएस) के आतंकवादियों द्वारा अफगानिस्तान में काबुल हवाई अड्डे पर जमा लोगों को निशाना बनाकर हमला किए जाने की ‘बहुत विश्वसनीय' खुफिया रिपोर्ट है. ब्रिटिश सशस्त्र बल मंत्री जेम्स हेप्पी ने दिन की शुरुआत में बीबीसी से कहा कि ‘बहुत विश्वसनीय' खुफिया सूचना है कि अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिश में काबुल हवाई अड्डे पर जमा हुए लोगों पर इस्लामिक स्ट्टेट जल्द ही हमला करने की योजना बना रहा है. पश्चिमी देशों की तरफ से हमले की आशंका जताए जाने के कुछ ही घंटे बाद धमाके की यह जानकारी सामने आई है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं