काबुल:
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को हुए कई धमाकों में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है. यह धमाके एक अफगानी शख्स के अंतिम संस्कार के दौरान हुए. इस शख्स की काबुल में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान मौत हो गई थी. प्रत्यदर्शियों ने यह बात कही.
चश्मदीद अब्दुल वुदूद ने एएफपी को बताया कि अफगानिस्तान के एक प्रमुख नेता के बेटे सलीम एजादियार के अंतिम संस्कार में कई लोग मारे गए और घायल हुए हैं.
इस अंतिम संस्कार में अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए... हालांकि अब्दुल्ला के कार्यालय ने एएफपी को बताया कि वे सुरक्षित हैं.
शुक्रवार को एजादियार समेत चार लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मारे गए थे. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी और मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला के इस्तीफे की भी मांग कर रहे थे और तालिबान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे.
प्रदर्शनकारी बुधवार को ट्रक बम हमले में 90 लोगों के मारे जाने और सैकड़ों अन्य के घायल होने के बाद देश की राजधानी में बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे थे. बुधवार को हुआ हमला साल 2014 में विदेशी बलों की वापसी के बाद से यह सबसे भीषण आतंकी हमला था. इससे आतंकवादियों के साथ करीब 16 साल के संघर्ष से अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने की सरकार की क्षमता पर संदेह पैदा हुआ है.
चश्मदीद अब्दुल वुदूद ने एएफपी को बताया कि अफगानिस्तान के एक प्रमुख नेता के बेटे सलीम एजादियार के अंतिम संस्कार में कई लोग मारे गए और घायल हुए हैं.
इस अंतिम संस्कार में अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए... हालांकि अब्दुल्ला के कार्यालय ने एएफपी को बताया कि वे सुरक्षित हैं.
शुक्रवार को एजादियार समेत चार लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मारे गए थे. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी और मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला के इस्तीफे की भी मांग कर रहे थे और तालिबान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे.
प्रदर्शनकारी बुधवार को ट्रक बम हमले में 90 लोगों के मारे जाने और सैकड़ों अन्य के घायल होने के बाद देश की राजधानी में बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे थे. बुधवार को हुआ हमला साल 2014 में विदेशी बलों की वापसी के बाद से यह सबसे भीषण आतंकी हमला था. इससे आतंकवादियों के साथ करीब 16 साल के संघर्ष से अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने की सरकार की क्षमता पर संदेह पैदा हुआ है.
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