वाशिंगटन:
भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों के महत्व को रेखांकित करते हुए एक स्वयंसेवी संगठन की रिपोर्ट में ओबामा प्रशासन से नई दिल्ली के साथ सहयोग जारी रखने की अपील की गई है।
एशिया सोसायटी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है, भारत पर लगातार उच्चस्तर पर ध्यान दिए जाने के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों के प्रति रचनात्मक अमेरिकी सोच की भी जरूरत है। इस रुख में यह ध्यान दिए जाने की जरूरत है कि इससे भारत और अमेरिका के कितने हित सधेंगे और इसे राजनीतिक तथा कूटनीतिक तौर पर कैसे आगे बढ़ाया जा सकेगा।
‘यूनाइटेड स्टेट्स एंड साउथ एशिया आफ्टर अफगानिस्तान’ नाम की 75 पृष्ठ की इस रिपोर्ट के अनुसार यदि अमेरिका 2014 में अफगानिस्तान से वापसी के बाद प्रत्येक देश के खुद के गुणों के हिसाब से दक्षिण एशिया के प्रति नया नजरिया अपनाता है तो यह उसके लिए अच्छी स्थिति रहेगी।
इसमें उल्लेख किया गया कि अमेरिका को ‘भारत-पाक’, ‘अफगान-पाक’ या ‘चीन-भारत’ जैसी खंडित नीतियों की बजाय समूचे क्षेत्र के आर्थिक, सुरक्षा और राजनीतिक मुद्दों के बारे में सोचना चाहिए।
एशिया सोसायटी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है, भारत पर लगातार उच्चस्तर पर ध्यान दिए जाने के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों के प्रति रचनात्मक अमेरिकी सोच की भी जरूरत है। इस रुख में यह ध्यान दिए जाने की जरूरत है कि इससे भारत और अमेरिका के कितने हित सधेंगे और इसे राजनीतिक तथा कूटनीतिक तौर पर कैसे आगे बढ़ाया जा सकेगा।
‘यूनाइटेड स्टेट्स एंड साउथ एशिया आफ्टर अफगानिस्तान’ नाम की 75 पृष्ठ की इस रिपोर्ट के अनुसार यदि अमेरिका 2014 में अफगानिस्तान से वापसी के बाद प्रत्येक देश के खुद के गुणों के हिसाब से दक्षिण एशिया के प्रति नया नजरिया अपनाता है तो यह उसके लिए अच्छी स्थिति रहेगी।
इसमें उल्लेख किया गया कि अमेरिका को ‘भारत-पाक’, ‘अफगान-पाक’ या ‘चीन-भारत’ जैसी खंडित नीतियों की बजाय समूचे क्षेत्र के आर्थिक, सुरक्षा और राजनीतिक मुद्दों के बारे में सोचना चाहिए।
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