काहिरा / वाशिंगटन:
मिस्र में एक फिल्म में इस्लाम के कथित अपमान के विरोध में अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले के घंटों बाद लीबिया के बेनगाजी शहर में प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में आग लगा दी, जिसमें एक राजनयिक की मौत हो गई।
हथियारबंद लोगों ने लीबिया के दूसरे बड़े शहर बेनगाजी में मंगलवार को अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर न सिर्फ हमला किया, बल्कि सुरक्षा बलों से उनकी झड़प भी हुई। हमलावरों ने वाणिज्य दूतावास को आग लगा दी, जिसमें एक राजनयिक की मौत हो गई। अमेरिका की विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन ने बुधवार को एक बयान में अमेरिकी राजनयिक के मौत की पुष्टि की है।
हिलेरी ने बेनगाजी में अपने देश के वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले की निंदा की है। उन्होंने एक बयान में कहा, हम अपने लोगों और सामान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के मरने की पुष्टि हम करते हैं। हम इस घटना से बहुत दुखी हैं। हम और हमारी संवेदनाएं इस हमले के पीड़ितों के परिवार के साथ हैं।
हिलेरी ने कहा, आज हुई घटनाओं के मद्देनजर अमेरिकी सरकार पूरी दुनिया में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर हमारे कर्मचारियों, हमारे दूतावासों और पूरी दुनिया में फैले अमेरिकी नागरिकों की रक्षा के लिए काम कर रही है। विदेशमंत्री ने लीबिया के राष्ट्रपति से वहां रह रहे अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सहयोग करने को कहा है।
मिस्र में भी प्रदर्शनकारियों ने काहिरा में अमेरिकी दूतावास को घेर लिया और दीवारों पर चढ़कर अमेरिकी ध्वज फाड़ दिया। ये लोग अमेरिका के कॉप्टिक समूह द्वारा बनाई गई फिल्म का विरोध कर रहे थे। अमेरिकी अधिकारी हालांकि इन दोनों घटनाओं में संबंध नहीं मान रहे हैं। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, हम इन दोनों घटनाओं के बीच किसी संबंध की पुष्टि नहीं कर सकते।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने भी बेनगाजी स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर हमले की पुष्टि की है। नुलैंड ने कहा, परिसर को सुरक्षित करने के लिए हम लीबिया के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमारे दूतावास पर हुए इस हमले की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। उन्होंने काहिरा में अमेरिकी दूतावास पर हमले और ध्वज फाड़े जाने की भी पुष्टि की और कहा, कुछ लोग दीवार पर चढ़े, उन्होंने अमेरिकी ध्वज उतारा और उसे बदल दिया। यह पूछने पर कि क्या प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी ध्वज की जगह अल-कायदा का झंडा लगाया, उन्होंने कहा कि वह इसके बारे में आश्वस्त नहीं हैं।
नुलैंड ने कहा, जो मैंने सुना है, इसे काले रंग के झंडे से बदला गया। लेकिन हो सकता है, मैं इसे लेकर सही ना होऊं। उन्होंने कहा, काहिरा में हम पुष्टि कर सकते हैं कि अमेरिकी दूतावास में घुसे प्रदर्शनकारियों को मिस्र की पुलिस ने बाहर निकाल दिया है।
इससे पहले सीएनएन ने अपनी खबरों में कहा था कि दूतावास परिसर की सीढ़ियों से काले रंग का ध्वज मिला है, जिस पर सफेद अक्षरों में लिखा है, 'अल्लाह के सिवा कोई और दूसरा खुदा नहीं है और मोहम्मद उनके पैगम्बर हैं।' सीएनएन के अनुसार, अक्सर अल-कायदा ऐसे प्रतीक का उपयोग करता है।
अल कायदा नेता अयमान अल जवाहिरी के भाई मोहम्मद अल जवाहिरी ने कहा, हमने शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आह्वान किया, जिसमें 'इस्लामी जिहाद', 'हजेम अबू इस्माइल' जैसे संगठनों ने भाग लिया। फॉक्स न्यूज के अनुसार सेम बेसाइल नामक अमेरिकी नागरिक ने इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन किया है। उसका कहना है कि उसने नहीं सोचा था कि इस फिल्म का ऐसा हिंसक विरोध होगा। बेसाइल ने कहा, कि प्रमुख समस्या यह है कि वह पर्दे पर ऐसे व्यक्ति को दिखा रहे हैं, जो पैगम्बर मोहम्मद की भूमिका कर रहा है।
अमेरिकी इस्लामी संबंध आयोग के निदेशक निहाद आवाद ने कहा, जिन्होंने यह विवादास्पद फिल्म बनाई है वह अमेरिका और ईसाई धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने यह भी कहा, हम अमेरिकी दूतावास पर हमले की निंदा करते हैं।
हथियारबंद लोगों ने लीबिया के दूसरे बड़े शहर बेनगाजी में मंगलवार को अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर न सिर्फ हमला किया, बल्कि सुरक्षा बलों से उनकी झड़प भी हुई। हमलावरों ने वाणिज्य दूतावास को आग लगा दी, जिसमें एक राजनयिक की मौत हो गई। अमेरिका की विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन ने बुधवार को एक बयान में अमेरिकी राजनयिक के मौत की पुष्टि की है।
हिलेरी ने बेनगाजी में अपने देश के वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले की निंदा की है। उन्होंने एक बयान में कहा, हम अपने लोगों और सामान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के मरने की पुष्टि हम करते हैं। हम इस घटना से बहुत दुखी हैं। हम और हमारी संवेदनाएं इस हमले के पीड़ितों के परिवार के साथ हैं।
हिलेरी ने कहा, आज हुई घटनाओं के मद्देनजर अमेरिकी सरकार पूरी दुनिया में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर हमारे कर्मचारियों, हमारे दूतावासों और पूरी दुनिया में फैले अमेरिकी नागरिकों की रक्षा के लिए काम कर रही है। विदेशमंत्री ने लीबिया के राष्ट्रपति से वहां रह रहे अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सहयोग करने को कहा है।
मिस्र में भी प्रदर्शनकारियों ने काहिरा में अमेरिकी दूतावास को घेर लिया और दीवारों पर चढ़कर अमेरिकी ध्वज फाड़ दिया। ये लोग अमेरिका के कॉप्टिक समूह द्वारा बनाई गई फिल्म का विरोध कर रहे थे। अमेरिकी अधिकारी हालांकि इन दोनों घटनाओं में संबंध नहीं मान रहे हैं। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, हम इन दोनों घटनाओं के बीच किसी संबंध की पुष्टि नहीं कर सकते।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने भी बेनगाजी स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर हमले की पुष्टि की है। नुलैंड ने कहा, परिसर को सुरक्षित करने के लिए हम लीबिया के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमारे दूतावास पर हुए इस हमले की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। उन्होंने काहिरा में अमेरिकी दूतावास पर हमले और ध्वज फाड़े जाने की भी पुष्टि की और कहा, कुछ लोग दीवार पर चढ़े, उन्होंने अमेरिकी ध्वज उतारा और उसे बदल दिया। यह पूछने पर कि क्या प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी ध्वज की जगह अल-कायदा का झंडा लगाया, उन्होंने कहा कि वह इसके बारे में आश्वस्त नहीं हैं।
नुलैंड ने कहा, जो मैंने सुना है, इसे काले रंग के झंडे से बदला गया। लेकिन हो सकता है, मैं इसे लेकर सही ना होऊं। उन्होंने कहा, काहिरा में हम पुष्टि कर सकते हैं कि अमेरिकी दूतावास में घुसे प्रदर्शनकारियों को मिस्र की पुलिस ने बाहर निकाल दिया है।
इससे पहले सीएनएन ने अपनी खबरों में कहा था कि दूतावास परिसर की सीढ़ियों से काले रंग का ध्वज मिला है, जिस पर सफेद अक्षरों में लिखा है, 'अल्लाह के सिवा कोई और दूसरा खुदा नहीं है और मोहम्मद उनके पैगम्बर हैं।' सीएनएन के अनुसार, अक्सर अल-कायदा ऐसे प्रतीक का उपयोग करता है।
अल कायदा नेता अयमान अल जवाहिरी के भाई मोहम्मद अल जवाहिरी ने कहा, हमने शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आह्वान किया, जिसमें 'इस्लामी जिहाद', 'हजेम अबू इस्माइल' जैसे संगठनों ने भाग लिया। फॉक्स न्यूज के अनुसार सेम बेसाइल नामक अमेरिकी नागरिक ने इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन किया है। उसका कहना है कि उसने नहीं सोचा था कि इस फिल्म का ऐसा हिंसक विरोध होगा। बेसाइल ने कहा, कि प्रमुख समस्या यह है कि वह पर्दे पर ऐसे व्यक्ति को दिखा रहे हैं, जो पैगम्बर मोहम्मद की भूमिका कर रहा है।
अमेरिकी इस्लामी संबंध आयोग के निदेशक निहाद आवाद ने कहा, जिन्होंने यह विवादास्पद फिल्म बनाई है वह अमेरिका और ईसाई धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने यह भी कहा, हम अमेरिकी दूतावास पर हमले की निंदा करते हैं।
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