एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी नेता और युद्ध अपराधी अब्दुल कादिर मुल्ला को फांसी दिए जाने के बाद देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और आगजनी की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
जमात के सहायक महासचिव मुल्ला को पुनर्विचार याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के कुछ ही घंटों बाद गुरुवार रात 10.1 बजे फांसी दे दी गई।
1971 के बंगमुक्ति युद्ध के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध के लिए मुल्ला को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के बांग्लादेशी अनुसंधानकर्ता अब्बास फैयाज ने कहा, "अब्दुल कादिर मुल्ला को फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी। मौत की सजा मानवाधिकार का उल्लंघन है और अन्य कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए इसका इस्तेमाल कतई नहीं किया जाना चाहिए।"
फैयाज ने कहा, "चुनाव के पूर्व तनाव के कारण इस घड़ी देश तलवार की धार पर खड़ा है और सड़कों पर अनवरत प्रदर्शन हो रहे हैं। मुल्ला के फांसी के बाद हिंदू समुदाय के साथ हिंसा और आगजनी भड़क सकती है।"
मानवाधिकार संगठन ने कहा है कि फांसी दिए जाने के बाद हिंदू बदले की कार्रवाई के खतरों का सामना कर रहे हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं