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This Article is From May 11, 2020

Coronavirus : चीन पर क्यों बार-बार भड़क रहे हैं अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप, क्या ये एक 'प्लान' का हिस्सा है?

कोरोना वायरस की वजह से उपजे हालात उन नेताओं के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं जिनको इस साल चुनाव का सामना करना पड़ा है. उन नेताओं में सबसे बड़ा नाम हैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. कोविड19 बीमारी पूरी दुनिया में पैर पसार रही थी तो राष्ट्रपति ट्रंप ने इसको कोई खास तवज्जो नहीं दी थी

Coronavirus  : चीन पर क्यों बार-बार भड़क रहे हैं अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप, क्या ये एक 'प्लान' का हिस्सा है?
American President Election: अमेरिका में इस साल नवंबर में चुनाव होने हैं
नई दिल्ली:

कोरोना वायरस की वजह से उपजे हालात उन नेताओं के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं जिनको इस साल चुनाव का सामना करना पड़ा है. उन नेताओं में सबसे बड़ा नाम हैं  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप.  कोविड19 बीमारी पूरी दुनिया में पैर पसार रही थी तो राष्ट्रपति ट्रंप ने इसको कोई खास तवज्जो नहीं दी थी और कहा था कि अमेरिका इस बीमार से निपटने के लिए वैक्सीन खोज लेगा. लेकिन इस बयान से लेकर अब तक के आए नतीजों पर ध्यान दें तो दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका वैक्सीन तो नहीं खोज पाया लेकिन उसकी साख पर बुरी तरह से बट्टा जरूर लग गया. अमेरिका में इस समय 13,29,260 कोरोना वायरस के मरीज हैं. जिसमें 2410059 केस एक्टिव हैं यानी या तो इनका इलाज चल रहा है या फिर मौत हो चुकी है. कुल मृतकों की संख्या 79526 है. ये आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है. न्यूयॉर्क जैसा शहर जिसे दुनिया के सबसे आधुनिक शहरों में गिना जाता है वहां पर वेंटिलेटर तक कम पड़ गए. इसी बीच न्यूयॉर्क के गवर्नर और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच तीखी बहस और एक दूसरे पर आरोप लगाने का भी दौर चला.  

ओबामा ने साधा निशाना
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने के देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तरीके को लेकर उनकी कड़ी आलोचना की है.  ओबामा ने अपने पूर्व प्रशासन के सदस्यों के साथ बातचीत के दौरान ट्रम्प के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्लिन के खिलाफ न्याय मंत्रालय द्वारा आपराधिक मामला समाप्त किए जाने के बारे में भी कहा है कि ‘‘कानून के शासन की मूलभूत समझ को खतरा है. इसके साथ ही ओबामा ने अपने समर्थकों से राष्ट्रपति पद के चुनाव में पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन का समर्थन करने की अपील की जिनके तीन नवंबर को होने वाले चुनाव में ट्रम्प के खिलाफ मैदान में उतरने की संभावना है. 

अमेरिका में बेरोजगारी दर महामंदी के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर
अमेरिका में अप्रैल माह में बेरोजगारी की दर 14.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है. यह महामंदी के बाद अमेरिका में बेरोजगारी की दर का सबसे ऊंचा स्तर है. माह के दौरान अमेरिका में 2.05 करोड़ लोग बेरोजगार हुए. यह एक माह में नौकरियों में कमी का नया रिकॉर्ड है. इससे पता चलता है कि कोरोना वायरस ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को कितनी बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है. 

आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका में कारोबार बंद होने से लगभग सभी उद्योगों में लोग बेरोजगार हुए है। इससे 11 साल पहले आई मंदी से उबरते हुए अमेरिका ने रोजगार वृद्धि के मोर्चे पर जो भी लाभ अर्जित किया था, वह उसने एक माह में गंवा दिया है. 

अमेरिका में रोजगार बाजार में काफी तेजी से गिरावट आई है. फरवरी में यहां बेरोजगारी दर पांच दशक के निचले स्तर 3.5 प्रतिशत थी.  नियोक्ताओं ने रिकॉर्ड 113 माह तक रोजगार जोड़े थे। मार्च में अमेरिका में बेरोजगारी की दर 4.4 प्रतिशत थी. 

सरकार की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अप्रैल में नौकरी गंवाने वाले ऐसे लोग जिन्होंने नई नौकरी की तलाश नहीं की है उन्हें बेरोजगारी के आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है. 

चुनाव से ठीक बड़ी चुनौती
राष्ट्रपति ट्रंप के सामने बड़ी चुनौती है कि बीमारी और बेरोजगारी से निराश जनता के गुस्से को पर कैसे काबू पाया जाए ताकि इसका असर चुनाव पर न पड़े. ट्रंप इस दौर में खुद को मजबूत नेता के तौर पेश करने से नहीं चूक रहे हैं. वह भारतवंशियों को खुश करने की भी कोशिश में हैं और जब भारत ने एंटी मलेरिया ड्रग भेजी तो तारीफ भी की है. हालांकि इस बीच व्हाइट हाउस ने पीएम मोदी को फॉलो करना बंद कर दिया. जिस पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली.  

चीन पर भड़कने के पीछे है प्लान?
कोरोना वायरस के फैलने के पीछे अमेरिका के राष्ट्रपति इसमें चीन की साजिश बता रहे हैं. दरअसल इसके पीछे उनकी चुनावी प्लान भी हो सकता है. आम अमेरिकी चीन को अपना प्रतियोगी देश मानता है और राष्ट्रपति ट्रंप की कोशिश है कि वह चीन को जिम्मेदार ठहराकर चुनाव में 'राष्ट्रवाद' का तड़का दे सकें. इसीलिए वह चीन से हर्जाना भी मांग चुके हैं. यानी राष्ट्रपति ट्रंप कोरोना वायरस के पीछे उपजी गुस्सा को चीन की ओर मोड़ देना चाहते हैं और अपनी छवि कुछ ऐसी गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अमेरिका के दुश्मनों को बख्शने के मूड में नही हैं.  

चीन ने भी मांगा सबूत
चीन ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ को यह चुनौती दी कि वुहान की एक प्रयोगशाल से कोरोना वायरस का उद्भव साबित करने के लिए ढेर सबूत होने का वह जो दावा कर रहे हैं तो वह सबूत उन्हें दिखाएं. उसने यह भी कहा कि यह मामला वैज्ञानिकों को देखना चाहिए, न कि चुनाव के साल में अपनी घरेलू राजनीतिक बाध्यता से जूझ रहे नेताओं को. (इनपुट भाषा से भी)


 

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