फाइल फोटो
रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर अमेरिका म्यामांर की आंग सान सू ची की असैन्य सरकार को बिना खतरे में डाले सावधानीपूर्वक देश की सेना पर दबाव डाल रही है. अमेरिका इस क्षेत्र को लेकर काफी सक्रिय भूमिका में है. कई अमेरिकी प्रतिनिधि हाल के समय में इस क्षेत्र में आए हैं. वहीं विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन की योजना बुधवार को म्यामांर की नेता आंगसान सूची से मिलने की है. टिलरसन म्यामांर के सेना प्रमुख मिंन आंग हलाइंग से भी मिलेंगे. म्यामांर को पहले वर्मा के नाम से जाना जाता था. ऐसा माना जा रहा है कि टिलरसन वहां सैन्य नेताओं के साथ कड़े रूख में बातचीत करेंगे क्योंकि उन्होंने रोहिंग्या संकट के लिए सेना को जिम्मेदार ठहराया था. रोहिंग्या मुस्लिम म्यामांर में अल्पसंख्यक हैं और पिछले करीब ढ़ाई महीने में इस समुदाय के करीब 6,00,000 सदस्य अपना देश छोड़कर बांग्लादेश चले गए हैं.
‘‘बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए मुश्किल हालात’’
रोहिंग्या विद्रोह को दबाने के नाम पर अगस्त के अंत से ही सेना रखाइन प्रांत में अभियान चला रही है. इस दौरान कई गांव जला दिए गए और हजारों लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए.
वीडियो : रोहिंग्या का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट
संयुक्त राष्ट्र ने सेना द्वारा चलाए गए इस अभियान और हत्या तथा बलात्कार के आरोपों की निंदा की है और इसे 'जातीय सफाया' बताया है.
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