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This Article is From Jan 21, 2011

अमेरिकी सांसदों ने किया जिंताओ से सवाल

वॉशिंगटन: अमेरिकी सांसदों ने अमेरिका यात्रा पर आए चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ से चीन में मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायत की और तिब्बत का मुद्दा भी उठाया। अमेरिका में जितनी गर्मजोशी से नवम्बर 2009 में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्वागत किया गया था, वैसा स्वागत जिन्ताओ को नहीं मिला। सांसदों ने हू के समक्ष न सिर्फ मानवाधिकार उल्लंघन और तिब्बत का मुद्दा उठाया, बल्कि उन्होंने चीन में जबरन गर्भपात और उत्तर कोरिया तथा ईरान को लेकर भी चिंता व्यक्त की। प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष जॉन बोनर ने हू से मुलाकात के बाद संवाददाताओं को बताया, हमने अपने आर्थिक संबंधों को लेकर चर्चा की। मैंने धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। मैंने बौद्धिक संपदा तथा उत्तर कोरिया के मुद्दे को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। राष्ट्रपति ने इन सब पर जवाब दिया और मैं इन सभी विषयों पर चर्चा जारी रहने की उम्मीद करूंगा। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्वागत में अमेरिका में जहां पलक पांवड़े बिछा दिए गए थे वहीं अमेरिकी सांसदों ने कुछ मुद्दों पर चीनी नेता की जमकर खबर ले ली। डेमोक्रेटिक नेता नैंसी पेलोसी ने हू से मुलाकात के बाद कहा, मुझे चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता लियू श्याबाओ को नोबेल पुरस्कार ग्रहण करने के लिए नार्वे जाने की अनुमति न देने और उन्हें तथा उनकी पत्नी लिउ जिया को लगातार हिरासत में रखे जाने के संबंध में कांग्रेस सदस्यों की चिंता का मुद्दा उठाने का अवसर मिला। पेलोसी लिउ तथा तिब्बत के मुद्दे को लेकर चीनी नेतृत्व की मुखर आलोचक रही हैं। उन्होंने कहा, कानकून में जलवायु परिवर्तन पर चीनी प्रतिबद्धता के संदर्भ में मेरे सवाल के जवाब में चीनी राष्ट्रपति इस बात पर सहमत हुए कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम अपने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध स्थापित करने के लिए काम कर सकते हैं।

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चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ, अमेरिकी सांसद, मानवाधिकार उल्लंघन
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