वरिष्ठ भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे के मामले से पैदा हुए विवाद से बेपरवाह अमेरिकी अभियोजक प्रीत भरारा ने दावा किया कि देवयानी के साथ ‘शिष्टाचार बरता गया था' और गिरफ्तारी के वक्त उन्हें हथकड़ी नहीं लगाई गई थी। यहां तक कि उन्हें कॉफी और खाना भी ऑफर किया गया था।
भरारा ने यह भी प्रण किया कि ‘चाहे कितने भी प्रभावशाली, धनी या रसूखदार हों, कानून तोड़ने वालों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
अमेरिकी अभियोजक ने लंबी और असामान्य व्याख्या में कहा कि देवयानी मामले की रिपोर्टिंग में ‘गलत सूचनाएं और तथ्यगत गलती’ रही जो ‘उत्तेजक माहौल पैदा’ कर रही है।
भरारा ने कहा, देवयानी खोबरागडे के खिलाफ आरोपों पर रिपोर्टिंग में बहुत गलत सूचनाएं और तथ्यगत गलतियां हैं। इन गलतियों को दुरुस्त करना अहम है, क्योंकि वे लोगों को गुमराह कर रही हैं और बिना किसी बुनियाद के उत्तेजक माहौल पैदा कर रही हैं। अमेरिकी अभियोजक ने कहा, हालांकि जो मैं कह सकता हूं उसे एक अभियोजक के रूप में मेरी भूमिका खासी सीमित करती है, जो कई तरह से मैं यहां मामले का खुलासा जिस हद तक करना चाहता हूं उसे करने की मेरी क्षमता को रोकती है। बहरहाल, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि अब तक जो सार्वजनिक रिकॉर्ड रहा है वह और स्पष्ट हो। मैनहटन के शीर्ष संघीय अभियोजक भरारा ने कहा कि देवयानी ने राजनयिकों और काउंसिलर अधिकारियों के घरेलू कर्मियों को शोषण से बचाने के लिए बनाए गए अमेरिकी कानून का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा, इस मामले में इस पद की कुल मंशा, तमाम मामलों की तरह, कानून के शासन को बुलंद करना है, पीड़ितों की रक्षा करना है और जो कोई कानून तोड़ता है उसे जवाबदेह बनाना है, चाहे समाज में उनकी जो भी हैसियत हो, चाहे वे कितने प्रभावशाली, धनी या रसूख वाले हों।
भरारा ने यह स्वीकार किया कि देवयानी की नौकरानी संगीता रिचर्ड के परिवार को अमेरिका लाया गया। उन्होंने कहा कि भारत में ‘‘उसे चुप कराने’’ के लिए एक कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई थी और ‘‘उसे भारत लौटने पर मजबूर करने के प्रयास किए जा रहे थे।’’ भारतीय विदेश सेवा की 1999 बैच की अधिकारी देवयानी न्यूयार्क में भारत की वाणिज्य उप महादूत हैं। उन्हें अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ‘डिप्लामैटिक सिक्युरिटी ब्यूरो’ ने गिरफ्तार किया और फिर उन्हें ‘यूएस मार्शल्स सर्विस’ को सौंपा।
अमेरिकी अभियोजक ने कहा कि जैसा अदालती शिकायत में आरोपित है, देवयानी को आचार के आधार पर आरोपित किया गया, जिसने ‘दिखाया कि उन्होंने साफतौर पर राजनयिकों और कांसूलर अधिकारियों के घरेलूकर्मियों को शोषण से बचाने के लिए बनाए गए अमेरिकी कानून से बचने की कोशिश की।
भारतीय विदेश सेवा की 1999 बैच की अधिकारी देवयानी न्यूयार्क में भारत की वाणिज्य उप महादूत हैं। उन्हें अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ‘डिप्लामैटिक सिक्युरिटी ब्यूरो’ ने गिरफ्तार किया और फिर उन्हें ‘यूएस मार्शल्स सर्विस’ को सौंपा।
देवयानी को उस वक्त हिरासत में लिया गया जब वह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने गई थी। अदालत में जब उन्होंने खुद को निर्दोष कहा तो उन्हें 2,50,000 डॉलर के बॉन्ड पर रिहा किया गया।
भरारा ने देवयानी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा, ‘ना सिर्फ उन्होंने कानून का उल्लंघन किया, बल्कि जैसा आगे आरोप लगाया गया है, उन्होंने पीड़िता और उसके जीवनसाथी से फर्जी दस्तावेज सत्यापित करने और अमेरिकी सरकारी अधिकारियों से झूठ बोलने की अपनी साजिश का एक हिस्सा बनाया।
उन्होंने कहा, सो, यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ना सिर्फ कानून से बचने की कोशिश की, बल्कि उन्होंने निश्चयपूर्वक फर्जी दस्तावेज गढ़े और अमेरिका सरकार से इस बाबत झूठ बोलने के लिए आगे बढ़ी कि वह क्या कर रही हैं। भरारा ने कहा कि किसी को आश्चर्य हो सकता है कि क्या कोई सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करेगी अगर आव्रजकों को देश में लाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, और ज्यादा आश्चर्य यह होता है कि क्या कोई सरकार कथित आचार पर कार्रवाई नहीं करेगी जहां साजिश की मंशा घरेलू कामगार से इन तरीकों से गलत ढंग से बर्ताव करना है, जो कानून का उल्लंघन करता है।
भरारा ने कहा, और यह आश्चर्य होता है कि यह कृत्य करने के आरोपी भारतीय नागरिक के साथ कथित बर्ताव पर इस कदर गुस्सा क्यों है, लेकिन भारतीय पीड़िता और उसके जीवनसाथी के साथ कथित बर्ताव पर बहुत कम गुस्सा है।
भरारा ने कहा कि देवयानी के साथ ‘‘अन्य प्रतिवादियों से कहीं आगे बढ़कर शिष्टाचार बरता गया, जिनमें ज्यादातर अमेरिकी नागरिक हैं।
अमेरिकी अभियोजक ने कहा, जैसा गलत रिपोर्टिंग की गई है, उन्हें अपने बच्चों के सामने गिरफ्तार नहीं किया गया है। एजेंटों द्वारा उन्हें संभव सर्वाधिक पृथक रूप से गिरफ्तार किया गया, और ज्यादातर प्रतिवादियों के विपरीत उन्हें तब हथकड़ी नहीं लगाई गई या रोका नहीं गया।
भरारा ने कहा, हकीकत में, गिरफ्तारी कर रहे अधिकारियों ने उनका फोन तक जब्त नहीं किया, जो सामान्य रूप से वह करते। इसके बदले, उन्होंने उन्हें अपने निजी मामले तय करने और जिनकी भी जरूरत थी, उनसे संपर्क करने के लिए ढेर सारे फोन करने का मौका दिया, जिसमें बच्चे की देखरेख करने का इंतजाम करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया लगभग दो घंटे चली और चूंकि बाहर ठंड थी, एजेंटों ने उन्हें फोन कॉल अपनी कार में बैठकर करने की अनुमति दी और ‘‘उनके लिए कॉफी तक लाए और उन्हें भोजन की पेशकश की।’’ भरारा ने स्वीकार किया कि एक महिला डिप्टी मार्शल ने ‘एक निजी सत्र में’ देवयानी की उस वक्त ‘पूरी तलाशी’ ली जब उन्हें यूएस मार्शल्स की हिरासत में लिया गया।
उन्होंने कहा, लेकिन यह सभी प्रतिवादियों के लिए - अमीर या गरीब, अमेरिकी या नहीं - के लिए एक मानक प्रक्रिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई बंदी अपने पास ऐसा कुछ नहीं रखे, जिससे उसके अपने समेत किसी को नुकसान पहुंचे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं