बीजिंग:
चीन ने शुक्रवार को कहा है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति में 'एकतरफा बदलाव' ला सकने वाली कोई कार्रवाई दोनों ही पक्षों से नहीं होनी चाहिए. चीन ने उन रिपोर्टों का भी खंडन किया, जिनमें कहा गया था कि चीनी सेना ने एक नहर का काम रोकने के लिए सीमा पार कर लद्दाख के डेमचोक इलाके में प्रवेश कर लिया है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "मैं बता सकता हूं कि चीनी सेना एलएसी में सिर्फ चीनी इलाके में ही हैं... हालांकि भारत-चीन सीमा की निशानदेही काम बाकी है, फिर भी दोनों देश सीमाई इलाके में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कई सहमतियों तथा समझौतों तक पहुंच चुके हैं..."
बताया गया था कि चीन और भारत के फौजियों के बीच लद्दाख में बुधवार से गतिरोध बना हुआ है, जब पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अधिकारी एक भारतीय इलाके में घुस आए और मनरेगा के तहत जारी नागरिक कार्य को रोक दिया.
हुआ ने डेमचोक में भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनाव पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, "भारतीय मीडिया में यह मुद्दा एक बार फिर उछला है..." नहर कार्य का ज़िक्र करते हुए हुआ ने कहा, "दोनों पक्षों को कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे एलएसी पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव आए..."
मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच वार्ता का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, "वर्तमान में दोनों देशों के बीच संवाद की प्रभावी प्रणाली है... हमारा मानना है कि सीमावर्ती इलाके में हम शांति और धैर्य बनाए रख सकते हैं..." लेह से 250 किलोमीटर दूर डेमचोक सेक्टर में करीब 55 चीनी सैनिक पहुंचे और उग्र रूप से वहां चल रहे काम को बंद करा दिया, जिसके बाद सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान घटनास्थल पर पहुंचे और चीनी सैनिकों की मनमानी को रोका, जहां एक गांव को 'हॉट स्प्रिंग' से जोड़ने का काम चल रहा था.
गौरतलब है कि एलएसी 3,488 किलोमीटर में फैली है. चीन जहां अरुणाचल प्रदेश को विवादित हिस्सा बताता है और दावा करता है कि यह दक्षिणी तिब्बत है, वहीं भारत का कहना है कि अक्साई चीन विवादित हिस्सा है, जिसे चीन ने 1962 के युद्ध में हड़प लिया था.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "मैं बता सकता हूं कि चीनी सेना एलएसी में सिर्फ चीनी इलाके में ही हैं... हालांकि भारत-चीन सीमा की निशानदेही काम बाकी है, फिर भी दोनों देश सीमाई इलाके में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कई सहमतियों तथा समझौतों तक पहुंच चुके हैं..."
बताया गया था कि चीन और भारत के फौजियों के बीच लद्दाख में बुधवार से गतिरोध बना हुआ है, जब पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अधिकारी एक भारतीय इलाके में घुस आए और मनरेगा के तहत जारी नागरिक कार्य को रोक दिया.
हुआ ने डेमचोक में भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनाव पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, "भारतीय मीडिया में यह मुद्दा एक बार फिर उछला है..." नहर कार्य का ज़िक्र करते हुए हुआ ने कहा, "दोनों पक्षों को कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे एलएसी पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव आए..."
मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच वार्ता का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, "वर्तमान में दोनों देशों के बीच संवाद की प्रभावी प्रणाली है... हमारा मानना है कि सीमावर्ती इलाके में हम शांति और धैर्य बनाए रख सकते हैं..." लेह से 250 किलोमीटर दूर डेमचोक सेक्टर में करीब 55 चीनी सैनिक पहुंचे और उग्र रूप से वहां चल रहे काम को बंद करा दिया, जिसके बाद सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान घटनास्थल पर पहुंचे और चीनी सैनिकों की मनमानी को रोका, जहां एक गांव को 'हॉट स्प्रिंग' से जोड़ने का काम चल रहा था.
गौरतलब है कि एलएसी 3,488 किलोमीटर में फैली है. चीन जहां अरुणाचल प्रदेश को विवादित हिस्सा बताता है और दावा करता है कि यह दक्षिणी तिब्बत है, वहीं भारत का कहना है कि अक्साई चीन विवादित हिस्सा है, जिसे चीन ने 1962 के युद्ध में हड़प लिया था.
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