स्विस डेली ले टेम्प्स के मुताबिक, जहां यह रखा गया था वहां 50 लोगों से ज्यादा लोग थे
जिनीवा, स्विटजरलैंड:
जिनीवा के जूलर रोनी तोता की पिछले दिनों एक चिट्ठी ने नींद उडा़ दी। रोनी को नवंबर में एक ऑफर लेटर मिला जिसमें उन्हें एक दुर्लभ कश्मीरी नीलम (सैफायर) की नीलामी के मौके पर बुलाया गया था। इसका रिजर्वेशन प्राइस यानी कि इसका न्यूनतम बिक्री मूल्य 12 मिलियन डॉलर रखा गया था।
फिलिफ्स ऑक्शन हाउस में ली गई इस तस्वीर में दिख रहे नीलम को लेकर रोनी सुनिश्चित थे कि यह वही रत्न है जिस पर कभी उनकी कंपनी का मालिकाना हक था लेकिन जो मिलान के एक होटल से दो दशक पहले चोरी हो गया था। रोनी ने एएफपी को पिछले हफ्ते दिए गए इंटरव्यू में कहा- मैने सर्टिफिकेट देखा और मुझे लगा कि यह तो वही है, वही है। इस नीलम की कहानी किसी रहस्यमयी मोड़ों के साथ गढ़े हुए किसी उपन्यास जैसी है और अब तक सुलझी नहीं है।
यह सारी कहानी या यूं कहें कि पचड़ा शुरू हुआ 1996 से, जब होरोविट्ज ऐंड तोता (H&T) जूलर्स ने कार्शर ब्रेसलेट की नीलामी पेश की जिसमें 65.16 कैरेट का विशुद्ध कश्मीरी नीलम भी पेश किया गया। यह अपने कटाव और चमक के चलते जबरदस्त शानदार था। उसी साल 14 नवंबर को मिलान के फोर सीजन्स होटल में इसे भी प्रदर्शित किया गया। स्विस डेली ले टेम्प्स के मुताबिक, जिस कमरे में यह रखा गया था वहां 50 लोगों से ज्यादा की भीड़ थी जब इस पूरे शो का मुख्य आकर्षण, यह ब्रेसलेट गायब हो गया। तोता ने कहा- यह भयानक था। जब आप लूट लिए जाते हैं तो आप हमेशा हैरान होते हैं। 8 नवंबर 2015 को रोनी को ईमेल मिली जिसे फिलिप्स ने भेजा था। इसमें उन्हें 59.57 कैरेट के नीलम को देखने के लिए निमंत्रण था। रोनी ने नीलम देखा तो नहीं लेकिन सर्टिफिकेट ध्यान से पढ़ा।
उन्होंने कहा कि उन्हें साफ साफ लगा कि यह वही है। यह तथ्य कि यह रत्न उस 19 साल पहले चोरी हुए रत्न से छोटा है, वाली बात भी रोनी को किसी भी तरह से अपने विश्वास से नहीं हिलाती। क्योंकि, अक्सर रत्न चुराने वाले उन्हें कांट छांट कर उनके वजन और शेप को कम बढ़ती करते हैं। यह निमंत्रण मिलने के बाद रोनी ने फिलिप्स से संपर्क किया और अपनी बात रखी। साथ में इस रत्न का इंश्योरेंस करने वाली कंपनी से भी संपर्क किया। जब इंश्योरेंस वालों ने भी फिलिफ्स से संपर्क किया तो तो पता चला कि यह नीलम न्यूयॉर्क में इस रत्न के तथाकथित और, जिसका खुलासा नहीं किया गया है, मालिक को वापस भेजा जा चुका है।
कहीं यह रत्न फिर से गायब न हो जाए, इसकी परवाह करते हुए इंश्योरेंस कंपनी ने न्यूयॉर्क में वकील किया ताकि इसे खोजा जा सके। कोर्ट फाइलिंग्स के मुताबिक, ऑक्शन हाउस 43 नाम की कंपनी ने फिलिप्स को यह नीलम नीलामी के लिए प्रस्तुत किया था। यह फर्म बोरिस अरोनोव के मालिकाना हक वाली कंपनी है। बोरिस के नाम पर कई दूसरी कंपनियां भी हैं जिनमें मॉडर्न पॉन ब्रोकर भी शामिल है। वह इसी पते पर लिस्टेड हैं। कोर्ट फाइलिंग्स के मुताबिक, पॉन ब्रोकर को नीलम और कुछ अन्य रत्न किसी राफेल कोबलेंस नामक शख्स से 2011 में मिले थे। न्यूयॉर्क में किए गए इस वकील कैरागर ने 23 दिसंबर को यह कोर्ट ऑर्डर पाने में सफलता हासिल कर ली जिसके मुताबिक, नीलम को 'किसी को देना, बेचना, इसमें किसी तरह का बदलाव किया जाना या फिर इसे किसी प्रकार से नष्ट या खत्म किया जाना' प्रतिबंधित कर दिया गया।
फिलिफ्स ऑक्शन हाउस में ली गई इस तस्वीर में दिख रहे नीलम को लेकर रोनी सुनिश्चित थे कि यह वही रत्न है जिस पर कभी उनकी कंपनी का मालिकाना हक था लेकिन जो मिलान के एक होटल से दो दशक पहले चोरी हो गया था। रोनी ने एएफपी को पिछले हफ्ते दिए गए इंटरव्यू में कहा- मैने सर्टिफिकेट देखा और मुझे लगा कि यह तो वही है, वही है। इस नीलम की कहानी किसी रहस्यमयी मोड़ों के साथ गढ़े हुए किसी उपन्यास जैसी है और अब तक सुलझी नहीं है।
यह सारी कहानी या यूं कहें कि पचड़ा शुरू हुआ 1996 से, जब होरोविट्ज ऐंड तोता (H&T) जूलर्स ने कार्शर ब्रेसलेट की नीलामी पेश की जिसमें 65.16 कैरेट का विशुद्ध कश्मीरी नीलम भी पेश किया गया। यह अपने कटाव और चमक के चलते जबरदस्त शानदार था। उसी साल 14 नवंबर को मिलान के फोर सीजन्स होटल में इसे भी प्रदर्शित किया गया। स्विस डेली ले टेम्प्स के मुताबिक, जिस कमरे में यह रखा गया था वहां 50 लोगों से ज्यादा की भीड़ थी जब इस पूरे शो का मुख्य आकर्षण, यह ब्रेसलेट गायब हो गया। तोता ने कहा- यह भयानक था। जब आप लूट लिए जाते हैं तो आप हमेशा हैरान होते हैं। 8 नवंबर 2015 को रोनी को ईमेल मिली जिसे फिलिप्स ने भेजा था। इसमें उन्हें 59.57 कैरेट के नीलम को देखने के लिए निमंत्रण था। रोनी ने नीलम देखा तो नहीं लेकिन सर्टिफिकेट ध्यान से पढ़ा।
उन्होंने कहा कि उन्हें साफ साफ लगा कि यह वही है। यह तथ्य कि यह रत्न उस 19 साल पहले चोरी हुए रत्न से छोटा है, वाली बात भी रोनी को किसी भी तरह से अपने विश्वास से नहीं हिलाती। क्योंकि, अक्सर रत्न चुराने वाले उन्हें कांट छांट कर उनके वजन और शेप को कम बढ़ती करते हैं। यह निमंत्रण मिलने के बाद रोनी ने फिलिप्स से संपर्क किया और अपनी बात रखी। साथ में इस रत्न का इंश्योरेंस करने वाली कंपनी से भी संपर्क किया। जब इंश्योरेंस वालों ने भी फिलिफ्स से संपर्क किया तो तो पता चला कि यह नीलम न्यूयॉर्क में इस रत्न के तथाकथित और, जिसका खुलासा नहीं किया गया है, मालिक को वापस भेजा जा चुका है।
कहीं यह रत्न फिर से गायब न हो जाए, इसकी परवाह करते हुए इंश्योरेंस कंपनी ने न्यूयॉर्क में वकील किया ताकि इसे खोजा जा सके। कोर्ट फाइलिंग्स के मुताबिक, ऑक्शन हाउस 43 नाम की कंपनी ने फिलिप्स को यह नीलम नीलामी के लिए प्रस्तुत किया था। यह फर्म बोरिस अरोनोव के मालिकाना हक वाली कंपनी है। बोरिस के नाम पर कई दूसरी कंपनियां भी हैं जिनमें मॉडर्न पॉन ब्रोकर भी शामिल है। वह इसी पते पर लिस्टेड हैं। कोर्ट फाइलिंग्स के मुताबिक, पॉन ब्रोकर को नीलम और कुछ अन्य रत्न किसी राफेल कोबलेंस नामक शख्स से 2011 में मिले थे। न्यूयॉर्क में किए गए इस वकील कैरागर ने 23 दिसंबर को यह कोर्ट ऑर्डर पाने में सफलता हासिल कर ली जिसके मुताबिक, नीलम को 'किसी को देना, बेचना, इसमें किसी तरह का बदलाव किया जाना या फिर इसे किसी प्रकार से नष्ट या खत्म किया जाना' प्रतिबंधित कर दिया गया।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं