टोक्यो:
उत्तरी जापान में स्थानीय समयानुसार मंगलवार सुबह छह बजकर 38 मिनट पर रिक्टर पैमाने पर 6.9 तीव्रता का जबर्दस्त भूकंप आया. जापान की मौसम एजेंसी ने इसकी पुष्टि की. इससे एक मीटर ऊंची सुनामी लहरें फुकुशीमा के तट पर उठती देखी गईं. यहीं पर फुकुशीमा परमाणु प्लांट भी स्थित है.
प्लांट ऑपरेटर TEPCO ने टीवी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि समुद्र की एक मीटर ऊंची लहरें तट के निकट इस प्लांट से टकराई हैं लेकिन इस कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इससे अभी तक कोई नुकसान नहीं हुआ है.
सरकारी मीडिया NHK ने स्थानीय लोगों को तत्काल वहां से भागकर ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए कहा है. सरकारी मीडिया की स्क्रीन पर लाल अक्षरों में 'सुनामी', 'भागो' जैसे शब्दों वाली चेतावनी भी दर्ज की गई. इससे लोगों में 2011 में इसी क्षेत्र में आए भूकंप और सुनामी की यादें ताजा हो गई हैं. उस वक्त सर्वाधिक तबाही सुनामी की वजह से हुई थी और 18 हजार से अधिक लोगों की जानें चली गई थीं.
NHK के मुताबिक उत्तरी-पूर्वी तटीय इलाकों में कई अन्य जगहों पर सुनामी लहरें टकराई हैं. इनमें सर्वाधिक ऊंचाई 1.4 मी तक थी.
न्यूजीलैंड में आया तेज भूकंप, नुकसान की खबर नहीं
इससे पहले यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) ने भूकंप के केंद्र फुकुशीमा तट के पास 11.3 किमी गहराई पर इसकी तीव्रता 6.9 आंकी थी. शुरुआत में मौसम एजेंसी ने इसकी तीव्रता 7.3 आंकी लेकिन बाद में इसे अपग्रेड कर 7.4 कर दिया गया. भूकंप के झटके टोक्यो तक महसूस किए गए.
गौरतलब है कि मार्च, 2011 में यहां आए भूकंप और सुनामी के चलते टेप्को का डायची परमाणु प्लांट बुरी तरह प्रभावित हुआ था. उल्लेखनीय है कि जापान दुनिया के सबसे सक्रिय सीस्मिक क्षेत्रों में शुमार है. इसलिए यहां पर अक्सर भूकंप आते रहते हैं. दुनिया में 6 या उससे अधिक तीव्रता के अब तक आए सभी भूकंपों में अकेले जापान की हिस्सेदारी इस मामले में तकरीबन 20 प्रतिशत है.
इससे पहले 11 मार्च, 2011 को जापान में रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता का अब तक का सर्वाधिक शक्तिशाली भूकंप रिकॉर्ड किया गया. उससे उपजी सुनामी की लहरों ने चेर्नोबिल संकट के बाद दुनिया में सबसे बड़े परमाणु संकट को उत्पन्न कर दिया था.
प्लांट ऑपरेटर TEPCO ने टीवी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि समुद्र की एक मीटर ऊंची लहरें तट के निकट इस प्लांट से टकराई हैं लेकिन इस कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इससे अभी तक कोई नुकसान नहीं हुआ है.
सरकारी मीडिया NHK ने स्थानीय लोगों को तत्काल वहां से भागकर ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए कहा है. सरकारी मीडिया की स्क्रीन पर लाल अक्षरों में 'सुनामी', 'भागो' जैसे शब्दों वाली चेतावनी भी दर्ज की गई. इससे लोगों में 2011 में इसी क्षेत्र में आए भूकंप और सुनामी की यादें ताजा हो गई हैं. उस वक्त सर्वाधिक तबाही सुनामी की वजह से हुई थी और 18 हजार से अधिक लोगों की जानें चली गई थीं.
NHK के मुताबिक उत्तरी-पूर्वी तटीय इलाकों में कई अन्य जगहों पर सुनामी लहरें टकराई हैं. इनमें सर्वाधिक ऊंचाई 1.4 मी तक थी.
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इससे पहले यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) ने भूकंप के केंद्र फुकुशीमा तट के पास 11.3 किमी गहराई पर इसकी तीव्रता 6.9 आंकी थी. शुरुआत में मौसम एजेंसी ने इसकी तीव्रता 7.3 आंकी लेकिन बाद में इसे अपग्रेड कर 7.4 कर दिया गया. भूकंप के झटके टोक्यो तक महसूस किए गए.
गौरतलब है कि मार्च, 2011 में यहां आए भूकंप और सुनामी के चलते टेप्को का डायची परमाणु प्लांट बुरी तरह प्रभावित हुआ था. उल्लेखनीय है कि जापान दुनिया के सबसे सक्रिय सीस्मिक क्षेत्रों में शुमार है. इसलिए यहां पर अक्सर भूकंप आते रहते हैं. दुनिया में 6 या उससे अधिक तीव्रता के अब तक आए सभी भूकंपों में अकेले जापान की हिस्सेदारी इस मामले में तकरीबन 20 प्रतिशत है.
इससे पहले 11 मार्च, 2011 को जापान में रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता का अब तक का सर्वाधिक शक्तिशाली भूकंप रिकॉर्ड किया गया. उससे उपजी सुनामी की लहरों ने चेर्नोबिल संकट के बाद दुनिया में सबसे बड़े परमाणु संकट को उत्पन्न कर दिया था.
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