पिछले 48 घंटे में गाजा पर इजरायल के हमलों में 390 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 734 जख्मी हुए हैं. ये जानकारी गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी की गई है. पिछले 48 घंटों में जो हमले हुए हैं उनमें खान यूनुस के पूरब के अबासान अल कबीरा में की गई बमबारी शामिल है. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें दो फिलिस्तीनियों की मौत हुई है.
ये भी कहा गया है कि गाजा में कम्युनिकेशन सिस्टम ठप्प है. कम्युनिकेशन सिस्टम ठप्प होने से हमले वाली जगह पर पहुंच कर घायलों को बचाने का काम और मुश्किल हो जाता है. पहले कई बार ऐसी जानकारी भी आई कि एंबुलेंसों को धमाके वाली जगहों की तरफ़ अंदाज़े से बढ़ना होता है क्योंकि मोबाइल व्यवस्था बंद होने की सूरत में हमले वाली जगहों से एंबुलेंस को संपर्क साधना मुश्किल हो जाता है.
एक दिन पहले ही आंकड़ा आया था कि अब तक के इज़रायली हमलों में 20 हज़ार फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है. ये भी कहा गया है कि इनमें 60 फ़ीसदी महिलाएं और बच्चे हैं. हालांकि इज़रायल और अमेरिका जैसे देश इन आंकड़ों को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया बताते हैं. इजरायल का तो यहां तक कहना रहा है कि हमलों में जो मारे जा रहे हैं वे सभी आम फिलिस्तीनी नहीं हैं बल्कि इनमें बड़ी तादाद में हमास के आतंकवादी और उनसे जुड़े लोग हैं.
हमास के लड़ाकों की तादाद 30 से 35 हज़ार बताई जाती है. इज़रायल के दावों के मुताबिक़ उसने हमास के हज़ारों लड़ाकों को मार गिराया है. हालांकि रिहाइशी इलाक़ों को निशाना कर किए गए हमलों को लेकर इज़रायल की काफ़ी आलोचना भी हो रही है. उस पर आरोप है कि वह आम लोगों की जान की परवाह किए बग़ैर हमले कर रहा है. जबकि इज़रायल का कहना है कि उसके निशाने पर सिर्फ़ हमास है. उसका ये भी दावा है कि हमास के आतंकी आम लोगों को ढाल के तौर पर इस्तेमाल करते हैं इसलिए निशाने की जद में वे भी आ जाते हैं.
जब इज़रायल ने उत्तरी गाजा को खाली करने का आदेश दिया तो दलील यही दी कि वह नहीं चाहता कि आम लोग उसके हमलों की चपेट में आएं. इसके बावजूद आम लोग बमबारी का निशाना बने.
7 अक्टूबर के हमास के आतंकवादी हमले में 1200 इज़रायलियों की मौत हुई थी. इसके बाद से इज़रायल की जवाबी सैन्य कार्रवाई जारी है. पहले हवाई हमलों का सहारा लिया गया और फिर ज़मीनी ऑपरेशन शुरू किया गया. उत्तरी गाजा के शहर गाजा सिटी को घेरकर सैन्य ऑपरेशन चलाया गया और अब सेंट्रल और दक्षिणी गाजा के शहर खान यूनुस जैसे इलाकों में बड़ी सैन्य कार्रवाई की जा रही है.
इस बीच गाजा में राहत सामग्री की भारी जरूरत है. हालांकि इज़रायल का कहना है कि बड़ी तादाद में ट्रकों को जाने दिया जा रहा है लेकिन गुरुवार को यूएन और दूसरी एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक ग़ाज़ा की 23 लाख आबादी में से एक चौथाई आबादी भूख से बेहाल है. उनको खाने पीने की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. यूएन और उससे जुड़ी एजेंसियां लगातार इस बात को लेकर आगाह कर रही हैं कि यही हालात जारी रहे तो ग़ाज़ा में बड़े पैमाने पर भूखमरी की समस्या पैदा हो सकती है.
इजिप्ट से लगने वाला राफ़ा चेक प्वाइंट ग़ाज़ा में राहत सामग्री पहुंचने का एकमात्र रास्ता है. ज़रूरत के हिसाब से बड़ी मात्रा में राहत सामग्री ग़ाज़ा पहुंचे इसके लिए यूएनएससी में पेश संयुक्त अरब अमीरात के प्रस्ताव पर इस बात को लेकर विवाद हुआ कि ट्रकों की खेप सिर्फ़ यूएन की निगरानी में जाए या फिर उस पर इज़रायल की भी निगरानी हो. इज़रायल अपनी निगरानी के बग़ैर राहत सामग्री जाने नहीं देना चाहता क्योंकि उसे शक है कि हमास इसका अपने लिए इस्तेमाल करेगा. हालांकि ग़ाज़ा के निर्दोष लोगों तक मूलभूत ज़रूरत की चीज़ें जल्द से जल्द पहुंचें और इसे लेकर दुनिया के तमाम देश चिंता जता रहे हैं. लेकिन ग़ाज़ा के लोग एक तरफ गिरते बमों और दूसरी तरफ़ खाने पीने की भरी किल्लत के बीच दोहरी मार झेल रहे हैं.
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