वेस्टइंडीज टीम (फाइल फोटो)
टी-20 क्रिकेट युवा खिलाड़ियों के लिए ही है, उम्रदराज क्रिकेटरों का इसमें कोई स्थान नहीं हैं...। यह कहने वाले क्रिकेट समीक्षकों की जुबान पर शायद वर्ष 2016 के टी20 वर्ल्ड कप के बाद 'ब्रेक' लग जाएगा। क्या आप यकीन करेंगे कि फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ उतरी इंडीज टीम के 11 खिलाड़ियों में से केवल तीन की उम्र ही 30 वर्ष से कम थी।
खास बात यह कि वेतन को लेकर विवाद के बावजूद डेरेन सैमी की इस 'बुजुर्ग ब्रिगेड' ने अपेक्षाकृत युवा इंग्लैंड टीम को खेल के हर मोर्चे पर मात दी और शान के साथ चैंपियन बनी। फाइनल मुकाबले के पहले ऐसा लग रहा था कि सही समय में प्रदर्शन के ऊंचे स्तर पर पहुंची इंग्लैंड टीम ग्रुप मैच में मिली हार का बदला लेते हुए चैंपियन बनेगी, लेकिन इंडीज टीम ने अपने जोशीले प्रदर्शन से ऐसा नहीं होने दिया।
चार्ल्स थे प्लेइंग इलेवन के सबसे कम उम्र के सदस्य
वर्ल्ड कप फाइनल में इंडीज टीम की जो एकादश उतरी, उसमें आंद्रे रसेल (उम्र 27साल 340 दिन ), कार्लोस ब्रेथवेट (उम्र 27साल 260 दिन ) और जॉनसन चार्ल्स (उम्र 27साल 80 दिन ) ही 30 वर्ष से कम के थे। टीम के सबसे उम्रदराज खिलाड़ी थे, मैदान में अपनी बैटिंग से तूफान लाने वाले क्रिस्टोफर गेल, जिनकी उम्र 36 वर्ष पार कर चुकी है। टूर्नामेंट में इंडीज टीम के सबसे कामयाब गेंदबाजों में शामिल सैमुअल बद्री भी कोई ज्यादा पीछे नहीं हैं। वे 35 वर्ष के हो चुके हैं। टीम के अन्य खिलाड़ियों - लेंडल सिमंस, सैमुअल्स, दिनेश रामदीन, ड्वेन ब्रावो, डेरेन सैमी और सुलेमान बेन की उम्र भी 31 वर्ष से अधिक है। बेन (34 साल, 256 दिन) तो गेल और बद्री के बाद टीम के तीसरे सबसे बुजुर्ग खिलाड़ी हैं।
प्रदर्शन में भी छाए रहे यह उम्रदराज खिलाड़ी
खास बात यह है कि टीम के प्रदर्शन में भी इन 30+ खिलाड़ियों का खास योगदान रहा। टूर्नामेंट का पहला और एकमात्र शतक क्रिस गेल ने ही जड़ा। लेंडल सिमंस ने भारत के खिलाफ मैच में टीम को ऐसे वक्त पर जीत दिलाई जब गेल और मर्लोन सैमुअल्स के आउट होने के बाद हर कोई इसकी उम्मीद खो बैठा था। गेंदबाजी और बल्लेबाजी, दोनों में ब्रावो का प्रदर्शन शानदार रहा। गेंदबाजी में अपने वेरिएशन से उन्होंने अहम मौकों पर टीम के लिए विकेट झटके बल्कि जरूरत पड़ने पर बल्ले से भी अच्छा प्रदर्शन किया। ब्रावो और युवा खिलाड़ियों की अगुवाई करने वाले रसेल ने भी 9-9 विकेट लिए।
सही समय पर आया इंडीज टीम का यह प्रदर्शन
इंडीज टीम ने यह प्रदर्शन ऐसे समय किया है जब उसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। धनराशि और अनुबंध को लेकर इंडीज टीम का इस समय अपने क्रिकेट बोर्ड के साथ विवाद चल रहा है। टूर्नामेंट के दौरान भी टीम के कप्तान सैमी ने भावुक होते हुए इसका जिक्र किया था। कैरेबियन द्वीप में क्रिकेट की लोकप्रियता धीरे-धीरे कम होती जा रही है और युवाओं का आकर्षण क्रिकेट से इतर एथलेटिक्स और बास्केटबॉल जैसे खेलों की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे हालात में इंडीज टीम के प्रदर्शन में भी लगातार गिरावट आ रही थी। उम्मीद की जानी चाहिए, कि टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद इंडीज क्रिकेट के हालात बदलेंगे।
खास बात यह कि वेतन को लेकर विवाद के बावजूद डेरेन सैमी की इस 'बुजुर्ग ब्रिगेड' ने अपेक्षाकृत युवा इंग्लैंड टीम को खेल के हर मोर्चे पर मात दी और शान के साथ चैंपियन बनी। फाइनल मुकाबले के पहले ऐसा लग रहा था कि सही समय में प्रदर्शन के ऊंचे स्तर पर पहुंची इंग्लैंड टीम ग्रुप मैच में मिली हार का बदला लेते हुए चैंपियन बनेगी, लेकिन इंडीज टीम ने अपने जोशीले प्रदर्शन से ऐसा नहीं होने दिया।
चार्ल्स थे प्लेइंग इलेवन के सबसे कम उम्र के सदस्य
वर्ल्ड कप फाइनल में इंडीज टीम की जो एकादश उतरी, उसमें आंद्रे रसेल (उम्र 27साल 340 दिन ), कार्लोस ब्रेथवेट (उम्र 27साल 260 दिन ) और जॉनसन चार्ल्स (उम्र 27साल 80 दिन ) ही 30 वर्ष से कम के थे। टीम के सबसे उम्रदराज खिलाड़ी थे, मैदान में अपनी बैटिंग से तूफान लाने वाले क्रिस्टोफर गेल, जिनकी उम्र 36 वर्ष पार कर चुकी है। टूर्नामेंट में इंडीज टीम के सबसे कामयाब गेंदबाजों में शामिल सैमुअल बद्री भी कोई ज्यादा पीछे नहीं हैं। वे 35 वर्ष के हो चुके हैं। टीम के अन्य खिलाड़ियों - लेंडल सिमंस, सैमुअल्स, दिनेश रामदीन, ड्वेन ब्रावो, डेरेन सैमी और सुलेमान बेन की उम्र भी 31 वर्ष से अधिक है। बेन (34 साल, 256 दिन) तो गेल और बद्री के बाद टीम के तीसरे सबसे बुजुर्ग खिलाड़ी हैं।
प्रदर्शन में भी छाए रहे यह उम्रदराज खिलाड़ी
खास बात यह है कि टीम के प्रदर्शन में भी इन 30+ खिलाड़ियों का खास योगदान रहा। टूर्नामेंट का पहला और एकमात्र शतक क्रिस गेल ने ही जड़ा। लेंडल सिमंस ने भारत के खिलाफ मैच में टीम को ऐसे वक्त पर जीत दिलाई जब गेल और मर्लोन सैमुअल्स के आउट होने के बाद हर कोई इसकी उम्मीद खो बैठा था। गेंदबाजी और बल्लेबाजी, दोनों में ब्रावो का प्रदर्शन शानदार रहा। गेंदबाजी में अपने वेरिएशन से उन्होंने अहम मौकों पर टीम के लिए विकेट झटके बल्कि जरूरत पड़ने पर बल्ले से भी अच्छा प्रदर्शन किया। ब्रावो और युवा खिलाड़ियों की अगुवाई करने वाले रसेल ने भी 9-9 विकेट लिए।
सही समय पर आया इंडीज टीम का यह प्रदर्शन
इंडीज टीम ने यह प्रदर्शन ऐसे समय किया है जब उसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। धनराशि और अनुबंध को लेकर इंडीज टीम का इस समय अपने क्रिकेट बोर्ड के साथ विवाद चल रहा है। टूर्नामेंट के दौरान भी टीम के कप्तान सैमी ने भावुक होते हुए इसका जिक्र किया था। कैरेबियन द्वीप में क्रिकेट की लोकप्रियता धीरे-धीरे कम होती जा रही है और युवाओं का आकर्षण क्रिकेट से इतर एथलेटिक्स और बास्केटबॉल जैसे खेलों की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे हालात में इंडीज टीम के प्रदर्शन में भी लगातार गिरावट आ रही थी। उम्मीद की जानी चाहिए, कि टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद इंडीज क्रिकेट के हालात बदलेंगे।
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