हरीश रावत (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उत्तराखंड की जंग पर अभी विराम नहीं लगा है। मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट हो गया। बाहर आए विधायकों की मानें तो कांग्रेस की जीत निश्चित है।
हालांकि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुबह साढ़े दस बजे स्थिती साफ होगी। हरीश रावत दोबारा मुख्यमंत्री बन जाएंगे लेकिन शायद उनकी परेशानियां समाप्त नहीं होने जा रही हैं। स्टिंग मामले में सीबीआई उनसे बार-बार पूछताछ कर सकती है। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद पर किसी और को बिठाया जा सकता है। अटकलें इंदिरा हृदयेश के नाम की सबसे गर्म हैं। वह कांग्रेस की इस राज्य से पुरानी नेत्री रही हैं। लेकिन महत्वाकांक्षाएं अनेकों नेताओं की होंगी। कांग्रेस आलाकमान को एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नाम को चुनना चुनौती होगी क्योंकि अगले साल 2017 में इस राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। 
जब इंदिरा ह्रदयेश से पूछा कि क्या आप मुख्यमंत्री पद पर बिठाई जा सकती हैं अगर हरीश रावत को कुछ समय के लिए पद से हटना पड़े तो उन्होंने साफ कहा कि ये तो आलाकमान को तय करना है। उन्होंने इस बात से इंकार नहीं किया कि हरीश रावत को हटाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी या पड़नी चाहिए, एक तरह से आलाकमान को इस ओर गौर करने का इशारा हो। फिर जब उनसे पूछा गया कि क्या आपके नाम की चर्चा मुख्यमंत्री पद के लिए हो रही है तो उन्होंने साफ कहा कि वो तो चर्चा नहीं कर रही लेकिन चारों तरफ इसकी चर्चा हो रही है। राजनीति में दांव तेजी से चले जाते हैं। हरीश रावत ठीक से खुशी भी नहीं मना पा रहे होंगे लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान आगे आनेवाले दिनों में फिर देखने को मिल सकती है।
कयास इस बात के भी हैं कि क्या वे विधानभा में बहुमत हासिल कर उसे भंग करेंगे और आगामी चुनावों की तैयारी में जुट जाएंगे। खुद को सीबीआई और केन्द्र द्वारा पीड़ित जताकर सहानुभूती हासिल करेंगे। बहरहाल आज तो जीत हरीश रावत की ही हुई है, कांग्रेस के बाहरी विरोधियों और कांग्रेस के भीतर के विरोधियों पर भी।
हालांकि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुबह साढ़े दस बजे स्थिती साफ होगी। हरीश रावत दोबारा मुख्यमंत्री बन जाएंगे लेकिन शायद उनकी परेशानियां समाप्त नहीं होने जा रही हैं। स्टिंग मामले में सीबीआई उनसे बार-बार पूछताछ कर सकती है। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद पर किसी और को बिठाया जा सकता है। अटकलें इंदिरा हृदयेश के नाम की सबसे गर्म हैं। वह कांग्रेस की इस राज्य से पुरानी नेत्री रही हैं। लेकिन महत्वाकांक्षाएं अनेकों नेताओं की होंगी। कांग्रेस आलाकमान को एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नाम को चुनना चुनौती होगी क्योंकि अगले साल 2017 में इस राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं।

जब इंदिरा ह्रदयेश से पूछा कि क्या आप मुख्यमंत्री पद पर बिठाई जा सकती हैं अगर हरीश रावत को कुछ समय के लिए पद से हटना पड़े तो उन्होंने साफ कहा कि ये तो आलाकमान को तय करना है। उन्होंने इस बात से इंकार नहीं किया कि हरीश रावत को हटाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी या पड़नी चाहिए, एक तरह से आलाकमान को इस ओर गौर करने का इशारा हो। फिर जब उनसे पूछा गया कि क्या आपके नाम की चर्चा मुख्यमंत्री पद के लिए हो रही है तो उन्होंने साफ कहा कि वो तो चर्चा नहीं कर रही लेकिन चारों तरफ इसकी चर्चा हो रही है। राजनीति में दांव तेजी से चले जाते हैं। हरीश रावत ठीक से खुशी भी नहीं मना पा रहे होंगे लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान आगे आनेवाले दिनों में फिर देखने को मिल सकती है।
कयास इस बात के भी हैं कि क्या वे विधानभा में बहुमत हासिल कर उसे भंग करेंगे और आगामी चुनावों की तैयारी में जुट जाएंगे। खुद को सीबीआई और केन्द्र द्वारा पीड़ित जताकर सहानुभूती हासिल करेंगे। बहरहाल आज तो जीत हरीश रावत की ही हुई है, कांग्रेस के बाहरी विरोधियों और कांग्रेस के भीतर के विरोधियों पर भी।
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