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नभ नेत्र ड्रोन, सचेत ऐप, आपदा मित्र... हरिद्वार के गंगा घाटों पर कांवड़ियों की सुरक्षा के होंगे खास इंतजाम

गंगा घाटों में कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए भी विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं. बैठक के दौरान सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने बताया कि एसडीआरएफ, एनडीआरफ, जल पुलिस के अलावा 60 आपदा मित्र भी गंगा घाटों में तैनात रहेंगे.

नभ नेत्र ड्रोन, सचेत ऐप, आपदा मित्र... हरिद्वार के गंगा घाटों पर कांवड़ियों की सुरक्षा के होंगे खास इंतजाम
आसमान से होगी कांवड़ यात्रा की निगरानी.
देहरादून:

सावन के महीने में हर साल कावड़ यात्रा होती है, जिसमें  2 से 3 करोड़ कावड़िये हरिद्वार (Haridwar Ganga Ghat) में गंगाजल लेने पहुंचते हैं. साल 2025 में 11 जुलाई से कावड़ यात्रा शुरू होने जा रही है. इस यात्रा को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग सभी तरह की खासकर सुरक्षा संबंधी तैयारियां कर रहा है. उत्तर प्रदेश, हिमाचल, पंजाब ,दिल्ली, राजस्थान हरियाणा से करोड़ों की तादात में कावड़िये कावड़ लेकर हरिद्वार पहुंचते हैं. ऐसे में भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि सामाजिक तत्व और देश विरोधी ताकते भीड़ का फायदा उठाने के लिए हमेशा मौके की तलाश में रहते हैं. यही वजह है कि हरिद्वार, ऋषिकेश में उत्तराखंड पुलिस के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स और होमगार्ड की बटालियन सुरक्षा में लगाई जाती है.

हरिद्वार में होगी कांवड़ यात्रा की निगरानी

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का नभ नेत्र ड्रोन इस साल कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार में तैनात रहेगा. ड्रोन के जरिए हरिद्वार के भीड़भाड़ वाले स्थलों, सड़कों, घाटों और पुलों की निगरानी की जाएगी. राज्य और जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से नभ नेत्र ड्रोन के विजुअल्स की निरंतर मॉनिटरिंग की जाएगी. शनिवार को यूएसडीएमए स्थिति कंट्रोल रूम में कांवड़ यात्रा की तैयारियों के संबंध में आयोजित बैठक के दौरान उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप ने यह निर्देश दिए.

आईआरएस की अधिसूचना जारी

कांवड़ यात्रा को लेकर हुई बैठक में आनंद स्वरूप ने बताया कि आईआरएस की अधिसूचना जारी कर दी गई है. कांवड़ यात्रा के दौरान संभावित आपदाओं और आकस्मिकताओं का प्रभावी तरीके से सामना करने में आईआरएस उपयोगी साबित हो सकता है. उन्होंने कांवड़ यात्रा से संबंधित जनपदों के अधिकारियों से आईआरएस प्रणाली को अपनाने और इसके तहत ही यात्रा को लेकर आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से योजना का निर्माण करने को कहा.

कांवड़ यात्रा के सुगम और सफल संचालन के लिए विभिन्न विभागों के मध्य आपसी समन्वय बहुत जरूरी है. उन्होंने सभी विभागों में सिंगल प्वाइंट आफ कांटेक्ट के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी को नामित करने और उनकी सूची एसईओसी और डीईओसी के साथ साझा करने के निर्देश दिए. बता दें कि कांवड़ यात्रा के लिए जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र को मास्टर कंट्रोल रूम बनाया जाएगा और यहीं से यात्रा की संपूर्ण निगरानी की जाएगी.

गंगा घाटों में सुरक्षा के होंगे खास इंतजाम

वही इस बार 30 जून को यूएसडीएमए द्वारा बाढ़ को लेकर आयोजित की जा रही राज्य स्तरीय मॉक ड्रिल के दौरान हरिद्वार में सुरक्षित कांवड़ यात्रा और  गंगा घाटों में सुरक्षा के इंतजामों को परखने के लिए विशेष रूप से मॉक ड्रिल की जाएगी. कांवड़ यात्रा पर आने वाले कांवड़ियों के मोबाइल फोन में सचेत एप डाउन लोड कराया जाएगा. सचेत एप कांवड़ियों को मानसून अवधि में मौसम संबंधी सूचनाएं और अलर्ट प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है. उन्होंने एंट्री प्वाइंट्स में सचेत एप डाउन लोड करने संबंधी होर्डिंग तथा बार कोड लगाए जाने के निर्देश दिए. टोल फ्री नंबर 112, 1070, 1077 के बारे में भी कांवड़ियों को अवगत कराया जाएगा, ताकि वे किसी आपात स्थिति में इन नंबरों में फोन कर मदद मांग सकें.

गंगा घाटों में कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए भी विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं. बैठक के दौरान सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने बताया कि एसडीआरएफ, एनडीआरफ, जल पुलिस के अलावा 60 आपदा मित्र भी गंगा घाटों में तैनात रहेंगे. कांगड़ा घाट में सुरक्षा के खास इंतजाम किए जाएंगे. एनडीआरएफ की एक टीम कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार में तैनात रहेगी और जरूरत पड़ने पर देहरादून से अतिरिक्त टीमों को रवाना किया जाएगा.

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