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केदारनाथ वन्यजीव विहार से हो रहा जीव-जंतुओं का पलायन, केदार घाटी में शोर मचाते हेलीकॉप्टर ऐसे कर रहे मजबूर

केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर की उड़ान से होने वाली शोर की वजह से केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और उसके आसपास का इकोसिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है.

केदारनाथ वन्यजीव विहार से हो रहा जीव-जंतुओं का पलायन, केदार घाटी में शोर मचाते हेलीकॉप्टर ऐसे कर रहे मजबूर
केदारनाथ वन्यजीव विहार से हो रहा जीव-जंतुओं का पलायन
  • केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टरों के शोर से वन्यजीव प्रभावित हो रहे हैं.
  • हेलीकॉप्टर की उड़ान के कारण वन्यजीव अपने क्षेत्र को छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.
  • केदारनाथ वन्यजीव सेंचुरी में हिमालयी भालू और स्नो लेपर्ड जैसे जीव शामिल हैं.
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केदारनाथ घाटी में संचालित हो रहे हेलीकॉप्टर की आवाज से वन्यजीवों पर प्रभाव पड़ रहा है. लगातार केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर की उड़ान से होने वाली शोर की वजह से केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और उसके आसपास का इकोसिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. हालत तो यह है कि जब केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू होती है तो 6 महीने तक उस पूरे क्षेत्र में वन्य जीव उस क्षेत्रों को छोड़कर दूसरी तरफ पलायान कर लेते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय में केदारनाथ घाटी में अब शायद ही वन्यजीव दिख रहे हैं. केदारनाथ वन्यजीव विहार केदारनाथ मंदिर के आसपास का क्षेत्र है और यहां विभिन्न प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं, जिनमें हिमालयी भालू,स्नो लेपर्ड, कस्तूरी मृग, मोनाल, घुराल और कई अन्य पक्षी शामिल हैं.

केदारनाथ धाम में बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या लेकिन जीव...

केदारनाथ धाम में हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. जब संख्या बढ़ रही तो सुविधाएं भी बढ़ायी जा रही हैं. जैसे केदारनाथ धाम के लिए हेलीकॉप्टर. केदारनाथ में एक दिन में एक हेलीकॉप्टर 25 से 30 फेरे लगाता है. कुल मिलकर 9 हेलीकॉप्टर एविएशन कंपनी अपनी सर्विस केदारनाथ में दे रही है. एक दिन में सभी हेलीकॉप्टर 220 से 250 फेरे लगते है. केदारनाथ घाटी में होने वाले हेलीकॉप्टर शोर से केदारनाथ वन्य जीव विहार के जानवरों पर इसका सीधा असर हो रहा है. नियम तो यही कहता है कि केदारनाथ घाटी में जिस तरीके का इकोसिस्टम है, उस हिसाब से हेलीकॉप्टर 600 फुट से ऊपर ही उड़ेंगे और 50 डेसिबल तक का शोर कर सकते हैं.

लेकिन दिख रहा है कि नियमों की अनदेखी की जा रही है. अक्सर देखा गया है कि हेलीकॉप्टर 100 फुट या 200 फुट या कभी कभार 300 फुट की हाइट पर भी उड़ते हैं. इससे केदारनाथ वन्य जीव क्षेत्र का इकोसिस्टम खराब होता जा रहा है.

आपके मन में सवाल आ सकता है कि वन्यजीवों की सुनने की क्षमता क्या होती है. वन्य जीव चिकित्सा डॉक्टर प्रदीप मिश्रा बताते हैं कि वे 50 से 55 डेसिबल तक की आवाज सुन सकते हैं, वह भी करीबन 300 फीट दूर से अगर आए तो. लेकिन अगर आवाज को उत्पन्न करने वाले सोर्स की दूरी कम हो तो उससे वन्यजीवों को परेशानी होती है.

वन्यजीवों को क्या परेशानी हो रही?

डॉ प्रदीप मिश्रा यह भी बताते हैं कि वन्य जीव हमेशा बेहद शांत और बिना किसी शोर-शराबे वाले क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं. अगर उनके क्षेत्र में ज्यादा आवाज आती है तो उनके व्यवहार में भी बदलाव आना लाजमी है. बात सिर्फ हेलीकॉप्टर के शोर की नहीं है. इसके अलावा केदारनाथ धाम में तेज आवाज में डीजे बजाना भी इसके पीछे एक बड़ा कारण बन रहा है.

डॉ प्रदीप मिश्रा के मुताबिक उनके आवाज से होने वाली परेशानियों में वन्यजीवों को अपने सामान्य व्यवहार जैसे कि भोजन की तलाश, प्रजनन और आराम करने में परेशानी हो सकती है. हेलीकॉप्टर की आवाजाही से वन्यजीवों में डर और तनाव पैदा हो रहा है, जिससे उनके प्राकृतिक व्यवहार में बाधा आ रही है और वे अपने आवास से दूर जा रहे हैं.

पहले अक्सर केदारनाथ की पैदल यात्रा में जाने वाले कई तीर्थ यात्रियों को पैदल रास्तों पर कभी मोनाल तो कभी अन्य पक्षी या फिर दूर पहाड़ियों पर घुराल का झुंड दिख जाया करता था. लेकिन अब धीरे-धीरे समय के साथ वह दिखना बंद हो गए हैं क्योंकि भारी संख्या में यात्री आ रहे हैं, शोर-शराबा हो रहा है और हेलीकॉप्टर का शोर भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है.

उत्तराखंड वन विभाग के के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन आईएफएस अधिकारी रंजन कुमार मिश्रा भी कहते हैं कि यह सामान्य तौर पर देखा गया है कि जब किसी क्षेत्र में ज्यादा शोर उत्पन्न होता है तो ऐसे में वन्य जीव उस क्षेत्र को छोड़कर दूसरे शांत क्षेत्र में चले जाते हैं. रंजन कुमार मिश्रा यह भी कहते हैं कि चूंकि केदारनाथ वन्य जीव सेंचुरी वन्यजीवों के लिहाज से बेहद संवेदनशील है, ऐसे में हमें इकोनामी और इकोलॉजी की का संतुलन बनाकर ही वहां पर  काम करने की जरूरत है.

रंजन कुमार मिश्रा ने बताया कि जब केदारनाथ घाटी वाला क्षेत्र 6 महीने बंद रहता है तब वहां वन्य जीव वापस अपने पुराने आवास में लौट आते हैं. लेकिन वह इस बात को घातक मानते हैं कि जिस तरीके से वहां शोर शराबा और खासकर हेलीकॉप्टर की आवाज आती है, उससे कहीं ना कहीं वन्यजीवों के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है.

भविष्य में स्थिति बदल सकती है

भविष्य में केंद्र सरकार द्वारा केदारनाथ में रोपवे बनाने का प्लान तैयार किया गया है. यह प्लान जरूर आने वाले समय में हेलीकॉप्टर के शोर को बेहद काम करेगा. वन्यजीवों के आवास में छेड़छाड़ कम होने से वहां पर वन्यजीवों की उपलब्धता एक बार फिर से दिखने लगेगी.

कुल मिलाकर अगर कहा जाए तो हेलीकॉप्टर संचालन के लिए एक उचित व्यवस्था और निगरानी की आवश्यकता है ताकि केदारनाथ वन्य जीव विहार के वन्यजीवों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके. अगर ऐसा नहीं हुआ तो शायद वह दिन दूर नहीं जब केदारनाथ वन्य जीव विहार से बहुमूल्य वन्य जीव उस क्षेत्र को न सिर्फ छोड़ेंगे बल्कि उनके अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा नहीं लगेगा.

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