- यूपी सरकार ने खाद की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं
- सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐसे लोगों के खिलाफ एनएसए लगाने का आदेश दिया है
- गौरतलब है कि हाल के दिनों में यूपी में खाद संकट की कई खबरें सामने आ रही थीं
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नकली या मिलावटी खाद बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर कोई शख्स नकली खाद की बिक्री और कालाबाजारी में संलिप्त होगा तो उसके बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं, अगर मिलावट या लापरवाही सामने आने पर संबंधित अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाएगी.
सीएम ने कहा कि खाद मिलने में किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो संबंधित अधिकारियों को भी जवाब तलब किया जाएगा. अगर किसी प्रकार की साठगांठ या फिर लापरवाही सामने आई तो उनके खिलाफ विजिलेंस से जांच कराई जाएगी.
समझिए क्या है NSA
अब समझिए क्या होता है एनएसए. देश की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बिगाड़ने वालों को रोकने के लिए सरकार के पास एक खास शक्ति है. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी NSA. इस कानून के तहत किसी भी शख्स को बिना मुकदमा चलाए, बिना आरोप तय किए, एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है. ये कदम एहतियात के तौर पर भी होते हैं ताकि कोई बड़ा अपराध होने से पहले ही रोका जा सके.
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट 1980 में लागू हुआ था जिसका उद्देश्य देश की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा, विदेशी खतरे से बचाना,पब्लिक ऑर्डर यानी कानून-व्यवस्था बनाए रखना, यानी अगर सरकार या प्रशासन को लगता है कि कोई व्यक्ति दंगे भड़का सकता है, आतंकी नेटवर्क से जुड़ा है, जासूसी कर रहा है या कानून-व्यवस्था बिगाड़ सकता है तो उसे पहले ही हिरासत में ले लिया जाता है. इस कानून के तहत आदेश जारी करने का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट ,पुलिस कमिश्नर, राज्य सरकार और केंद्र सरकार को होता है।इन अधिकारियों को किसी भी समय यह आदेश जारी करने का अधिकार होता है.
क्या NSA के तहत होती है सजा?
NSA के तहत किसी को सजा नहीं होती लेकिन ये एक Preventive Detention का कानून है जिसके तहत अधिकतम 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है.कई मामलों में हर 3 महीने पर रिव्यू बोर्ड द्वारा समीक्षा होती है. राज्य सरकार केंद्र को सूचना भेजती है. आदेश सही न होने पर हिरासत खत्म भी हो सकती है. यह जेल की सजा नहीं, बल्कि आने वाले खतरे को रोकने का उपाय माना जाता है.
क्यों उठते हैं सवाल?
NSA पर सवाल इसलिए उठते हैं क्योंकि बिना आरोप और बिना मुकदमा व्यक्ति बंद हो जाता है. न्यायिक प्रक्रिया देरी से काम करती है. कई बार पुलिस पर दुरुपयोग के आरोप लगते हैं. अभिव्यक्ति की आज़ादी और अधिकारों पर असर पड़ता है. कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे कठोर कानून बताया है. ये कानून दंगे, सांप्रदायिक हिंसा, आतंकवाद, ड्रग्स, हथियार तस्करी,जासूसी, विदेशी एजेंट,बार-बार कानून-व्यवस्था बिगाड़ने वाले अपराधी,मिलावटी खाद्य पदार्थ या नकली दवाइयां बेचने वालों पर लागू होता है, लेकिन जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का हो, तो कई बार कारण भी गोपनीय रखे जा सकते हैं. हालांकि, इसको अदालत में चुनौती दी जा सकती है.
यूपी सरकार को क्यों उठाना पड़ा ये कदम?
दरअसल, इस बार खरीफ के सीजन में राज्य के किसानों को यूरिया की खरीद में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. कई जगह तो ऐसे मामले सामने आए कि किसान दिन-दिन भर लाइन में खड़े रहे लेकिन उनको खाद नहीं मिला. कई जगह तो किसान सुबह 6 बजे से ही कतार में खड़े रहे थे लेकिन उनको मायूस होकर लौटना पड़ता था. कहा गया कि खाद नहीं मिलने की वजह इसकी कालाबाजारी थी. यूपी की सीमा से लगे इलाकों में यूरिया की तस्करी भी की जाती है.
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