
- उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा के लिए सितंबर में नो हेलमेट नो फ्यूल अभियान शुरू किया है.
- यह अभियान 1 सितंबर से 30 सितंबर तक चलेगा और पुलिस प्रशासन मिलकर इसका सख्ती से पालन कराएंगे.
- मोटर वाहन अधिनियम के तहत हेलमेट पहनना अनिवार्य है और उल्लंघन पर दंड का प्रावधान भी है.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शुक्रवार को बवाल हो गया. एक पेट्रोल पंप ने बाइक सवार को हेलमेट न होने पर पेट्रोल देने से इनकार क्या किया लड़की ने जमकर हंगामा काटा. उसने पेट्रोल देने से मना करने वाली सेल्स गर्ल से हाथापाई शुरू दी. इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें पेट्रोल मांग रही लड़की हाथापाई करते और कुर्सियों समेत पंप पर मौजूद अन्य सामान फेंकते देखी जा सकती है. आखिर बीच ये जानना जरूरी है कि आखिर 'नो हेलमेट, नो फ्यूल नियम' है क्या, जिसके तहत पेट्रोल पंप (UP NO Helmet No Fuel Rule) हेलमेट न पहनने वाले दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल देने से मना कर रहे हैं. इसको डिटेल में समझिए.
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गोरखपुर में 'नो हेलमेट नो पेट्रोल' नियम को लेकर विवाद: यूपी के गोरखपुर में एक युवती ने हेलमेट न होने पर पेट्रोल देने से इनकार करने वाली सेल्स गर्ल से हाथापाई कर दी। देखिए वीडियो#Gorakhpur | #Video pic.twitter.com/6w0QLXzENN
— NDTV India (@ndtvindia) September 5, 2025
UP ने क्यों चलाया 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' अभियान?
उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया है. दो पहिया वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए राज्य में 1 सितंबर से 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' विशेष सड़क सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान पूरे 30 दिन तक चलेगा. 1 से 30 सितंबर तक चलने वाले अभियान के तहत परिवहन, पुलिस, राजस्व और जिला प्रशासन के अधिकारी मिलकर अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
‘ईंधन तभी, जब हेलमेट सिर पर हो'
पिछले दिनों राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बयान का हवाला देते हुए बयान जारी कर कहा था कि ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल' का मकसद दंडित करना नहीं, बल्कि हर नागरिक को कानून के अनुरूप सुरक्षित व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना है और ‘ईंधन तभी, जब हेलमेट सिर पर हो.' के तहत है. इतना ही नहीं उन्होंने इस अभियान की सफलता के लिए प्रदेशवासियों से सहयोग भी मांगा था.
यूपी के परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा था कि 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' अभियान 1 से 30 सितंबर तक पूरे प्रदेश में चलेगा और सभी जिलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व, डीआरएससी के समन्वय और पुलिस-प्रशासन-परिवहन अधिकारियों के प्रवर्तन के साथ चलेगा. सभी नागरिकों, पेट्रोल पम्प संचालकों और तेल कंपनियों से सहयोग की अपील करते हुए हर नागरिक 'हेलमेट पहले, ईंधन बाद में' को नियम बनाने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि खाद्य एवं रसद विभाग के जरिए पेट्रोल पंप स्तर पर जरूरी समन्वय/निगरानी सुनिश्चित की जाएगी.
क्या है 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' नियम?
पुलिस, राजस्व/जिला प्रशासन और परिवहन विभाग के अधिकारी प्रवर्तन की मुख्य जिम्मेदारी निभा रहे हैं. योगी सरकार ने आमजन से अपील की है कि वे इन प्रवर्तन एजेंसियों के साथ पूर्ण सहयोग करें. यह पहल पूर्णतः विधिसम्मत और जनहितैषी है. मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 129 दोपहिया चालक और पिलियन के लिए हेलमेट को अनिवार्य करती है, जबकि धारा 194डी उल्लंघन पर दंड का प्रावधान करती है. सर्वोच्च न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति द्वारा भी राज्यों को हेलमेट अनुपालन को प्राथमिकता देने का परामर्श दिया गया है.
क्या है 'नो हेलमेट, नो फ्यूल नियम का मकसद?
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा कि अभियान पूरी तरह से सार्वजनिक हित में है. पूर्व के अनुभव बताते हैं कि दोपहिया वाहन चालक शीघ्र ही हेलमेट के साथ आने की आदत विकसित कर लेते हैं. इससे ईंधन बिक्री पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता. तेल विपणन कंपनियां आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल और सभी पेट्रोल पंप संचालकों से अनुरोध है कि वे इस प्रयास में सक्रिय सहयोग दें. खाद्य एवं रसद विभाग के माध्यम से पेट्रोल पंप स्तर पर आवश्यक समन्वय/निगरानी सुनिश्चित की जाएगी. सूचना और जनसम्पर्क तंत्र जन-जागरूकता के प्रसार में सहयोग करेगा. नागरिक, उद्योग और प्रशासन मिलकर ही सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु और गंभीर चोटों को कम करने के राष्ट्रीय लक्ष्य की ओर ठोस कदम बढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा कि हेलमेट पहनना जीवन का सबसे सरल बीमा है.
इनपुट- भाषा के साथ
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