उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के मदरसों की जांच एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) से कराने के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि मदरसे पहले से ही अल्पसंख्यक विभाग के अधीन काम कर रहे हैं और अलग-अलग वर्षों में तीन बार जांच हो चुकी है. उन्होंने कहा कि अब चौथी बार ATS से जांच कराने की आवश्यकता नहीं है.
अल्पसंख्यक विभाग के माध्यम से हो जांच
यूपी के सभी मदरसे अल्पसंख्यक विभाग और मदरसा एजुकेशन बोर्ड के मातहत चल रहे हैं. ATS आपराधिक मामलों की जांच करती है, शिक्षा के मामलों में नहीं. मौलाना रजवी ने सुझाव दिया कि अगर सरकार को जांच करानी है तो यह अल्पसंख्यक विभाग के माध्यम से होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जमात जांच में सहयोग करने के लिए तैयार है, लेकिन शिक्षा संस्थानों को अपराध से जोड़ना गलत संदेश देता है.
लाल किला ब्लास्ट के बाद एक्शन में एटीएस
दिल्ली के लाल किले के पास हाल में हुए विस्फोट की घटना के बाद उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने मदरसों, उनमें पढ़ने वाले छात्रों और कर्मचारियों का विस्तृत विवरण मांग चुकी है. एटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट और महोबा के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र लिखकर उनके क्षेत्रों के मदरसों से जुड़े छात्रों और शिक्षकों की पूरी सूची मांगी है.
अधिकारियों ने क्या कुछ बताया
अधिकारियों के अनुसार, गत 15 नवंबर को लिखे गए पत्र में छात्रों के नाम, उनके पिता के नाम, पते और मोबाइल नंबर मांगे गए हैं. एटीएस के अधिकारियों ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि इस अभियान का उद्देश्य असामाजिक तत्वों द्वारा मदरसों के दुरुपयोग की किसी भी संभावना को रोकना है. यह पूछे जाने पर कि क्या पूरे राज्य में इसी तरह के निर्देश जारी किए गए हैं, अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि फिलहाल केवल आठ जिलों से ही जानकारी मांगी गई है.
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