गोरखपुर उपचुनाव में सपा के प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने भविष्य में सपा-बसपा का बड़ा गठबंधन बनने की आशा जताई है.
- बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ नहीं खड़े किए प्रत्याशी
- 2019 के आम चुनावों के लिए एक बड़ी विपक्षी एकता का संकेत
- निषाद ने कहा- अगर हम जीते तो एक बड़ा गठबंधन, हार तो नई रणनीति
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लखनऊ:
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने कहा है कि यदि इस चुनाव में जीतते हैं तो समाजवादी पार्टी का इसकी चिर प्रतिद्वंद्वी मायावती के साथ चुनाव के लिए एक "बड़ा गठबंधन" बन सकता है.
यूपी के लोकसभा उपचुनाव में 25 वर्षों में पहली बार समझौता करके कट्टर प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को रोकने के लिए साथ जुटे हैं. यह एक ऐसा कदम है जिसे दूरवर्ती कदम के के रूप में देखा जा सकता है जो कि 2019 के आम चुनावों के लिए एक बड़ी विपक्षी एकता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.
राज्य में दलित पावर हाउस के रूप में देखी जाने वालीं मायावती ने लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार खड़े नहीं किए हैं. बसपा के कार्यकर्ता दलित समुदाय से निषाद पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने को कहते रहे, जो कि समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े.
यह भी पढ़ें : मुलायम-कांशीराम ने रोकी थी राम लहर, क्या माया और अखिलेश मिलकर रोक पाएंगे मोदी लहर?
निषाद को अखिलेश यादव ने गोरखपुर में चुनाव मैदान में उतारा है. निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद ने एनडीटीवी को बताया, "अगर हम जीतते हैं, तो एक बड़ा गठबंधन होगा ... अगर हम हार जाएंगे, तो नई रणनीतियां बनेंगी." बूथ स्तर पर दोनों पार्टियों की जमीन पर काम करने वाले लोग "एक साथ" होते हैं.
यह भी पढ़ें : गोरखपुर उपचुनाव : योगी की सीट पर पहले जैसा 'योग' नहीं, चौंका भी सकते हैं परिणाम
साल 2015 में बिहार के गठबंधन ने भाजपा को हराया था और इस बड़े गठबंधन में कांग्रेस का उत्थान हुआ था, लेकिन सपा-बसपा के बीच इस तरह का गठबंधन नहीं हो सका. यूपी में पिछले साल विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को गठबंधन के कारण भारी नुकसान हुआ था. इस बार उपचुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को एक सीट लेने और सपा के लिए दूसरी छोड़ने की पेशकश की थी जो ठुकरा दी गई. कांग्रेस ने बाद में दोनों उपचुनावों में अपने उम्मीदवारों को वापस लेने से इनकार कर दिया.
प्रवीण निषाद ने योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर से बीजेपी के उत्तराखंड के ब्राह्मण उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ला के खिलाफ चुनाव लड़ा है. मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी इस सीट पर पांच बार जीत चुके हैं.
VIDEO : राजनीति में अपवित्र सौदेबाजी
योगी आदित्यनाथ ने सपा-बसपा के बीच गठबंधन की संभावना बनने से इनकार किया है. वे इसे उत्तर-पूर्व में भाजपा की हालिया जीत का नतीजा बताते हैं. पिछले हफ्ते बीजेपी ने त्रिपुरा में चुनाव जीता और नागालैंड और मेघालय में क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ सरकार बनाई. निषाद ने कहा कि "सपा-बसपा गठबंधन पर इस बयान के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए."
यूपी के लोकसभा उपचुनाव में 25 वर्षों में पहली बार समझौता करके कट्टर प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को रोकने के लिए साथ जुटे हैं. यह एक ऐसा कदम है जिसे दूरवर्ती कदम के के रूप में देखा जा सकता है जो कि 2019 के आम चुनावों के लिए एक बड़ी विपक्षी एकता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.
राज्य में दलित पावर हाउस के रूप में देखी जाने वालीं मायावती ने लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार खड़े नहीं किए हैं. बसपा के कार्यकर्ता दलित समुदाय से निषाद पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने को कहते रहे, जो कि समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े.
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निषाद को अखिलेश यादव ने गोरखपुर में चुनाव मैदान में उतारा है. निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद ने एनडीटीवी को बताया, "अगर हम जीतते हैं, तो एक बड़ा गठबंधन होगा ... अगर हम हार जाएंगे, तो नई रणनीतियां बनेंगी." बूथ स्तर पर दोनों पार्टियों की जमीन पर काम करने वाले लोग "एक साथ" होते हैं.
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साल 2015 में बिहार के गठबंधन ने भाजपा को हराया था और इस बड़े गठबंधन में कांग्रेस का उत्थान हुआ था, लेकिन सपा-बसपा के बीच इस तरह का गठबंधन नहीं हो सका. यूपी में पिछले साल विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को गठबंधन के कारण भारी नुकसान हुआ था. इस बार उपचुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को एक सीट लेने और सपा के लिए दूसरी छोड़ने की पेशकश की थी जो ठुकरा दी गई. कांग्रेस ने बाद में दोनों उपचुनावों में अपने उम्मीदवारों को वापस लेने से इनकार कर दिया.
प्रवीण निषाद ने योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर से बीजेपी के उत्तराखंड के ब्राह्मण उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ला के खिलाफ चुनाव लड़ा है. मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी इस सीट पर पांच बार जीत चुके हैं.
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योगी आदित्यनाथ ने सपा-बसपा के बीच गठबंधन की संभावना बनने से इनकार किया है. वे इसे उत्तर-पूर्व में भाजपा की हालिया जीत का नतीजा बताते हैं. पिछले हफ्ते बीजेपी ने त्रिपुरा में चुनाव जीता और नागालैंड और मेघालय में क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ सरकार बनाई. निषाद ने कहा कि "सपा-बसपा गठबंधन पर इस बयान के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए."
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