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This Article is From Jun 03, 2022

"सैफई, अमेठी से नहीं, काशी और मथुरा से है यूपी की पहचान": निवेशक सम्‍मेलन में यूपी के मंत्री नंदगोपाल नंदी

यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी ने यह टिप्‍पणी समारोह के मुख्‍य अतिथि पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्‍य नाथ की मौजूदगी में की.

नंदगोपाल नंदी यूपी के औद्योग‍िक विकास मंत्री हैं

लखनऊ:

उत्‍तर प्रदेश के एक शीर्ष मंत्री नंदगोपाल नंदी (Nand Gopal Nandi), जिनके विभाग ने आज लखनऊ में बड़े निवेशक सम्‍मेलन का आयोजन किया, ने राज्‍य को 'काशी और मथुरा' की भूमि कहकर संबोधित किया. उन्‍होंने कहा कि यूपी अब सैफई और अमेठी के नाम से नहीं जाना जाएगा. गौरतलब है कि सैफई जहां समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का गृह नगर है, वहीं अमेठी लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है और गांधी परिवार यहां से चुनाव जीतता रहा है. यूपी सरकार के अनुसार, सम्मेलन की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में  80,000 करोड़ रुपये से अधिक की 1,406 परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया.  

 गौरतलब है कि काशी या वाराणसी और मथुरा में मस्जिद को लेकर विवाद पिछले दिनों सुर्खियों में रहा है और प्रमुख मंदिरों के ठीक बगल में स्थिति इन मस्जिदों की स्थिति को लेकर लड़ाई कोर्ट में पहुंच गई है. यहां तक कि याचिकाकर्ता ने ज्ञानवापसी मस्जिद के भीतर प्रार्थना करने की इजाजत मांगी है. यूपी सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी ने यह टिप्‍पणी समारोह के मुख्‍य अतिथि पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्‍य नाथ की मौजूदगी में की. अपने स्‍वागत भाषण में उन्‍होंने कहा, "यूपी की अमेठी और सैफई से नहीं बल्कि अयोध्‍या, काशी, मथुरा और कुशी नगर से जाना जाता है. पूरी दुनिया के लोग जो भगवान कृष्‍ण, भगवान राम, बाबा विश्‍वनाथ और भगवान बुद्ध को मानते हैं, यूपी की प्राचीन पहचान को बहाल करने से प्रसन्‍न हैं और अपनी खुशी व्‍यक्‍त करते हैं. उनके दिमाग में केवल एक भावना होती है-रघुकुल रीत जहां के हैं राम रमैया, जिस धरती पर जन्‍मे कृष्‍ण कन्‍हैया, देश ही नहीं पूरे विश्‍व में सबसे विशेष है, ये अपना उत्‍तर प्रदेश है.' 

मंत्री नंदी की यह टिप्‍पणी राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के यूपी के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित विवाद का हल, आपसी समझौते के जरिये निकाले जाने संबंधी बयान के एक दिन बाद आई है. भागवत ने कहा था कि अभी ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है. एक इतिहास तो है, उसको हम नहीं बदल सकते. इसे हमने नहीं बनाया. न आज के हिंदू कहलाने वाले लोगों ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने बनाया. यह उस समय घटा. ठीक है प्रतीकात्मक कुछ विशेष स्थानों के बारे में हमने कहा. लेकिन रोज एक मामला नहीं निकालना चाहिए. हमको झगड़ा नहीं बढ़ाना चाहिए. 

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