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This Article is From Sep 06, 2022

सभी गैर सरकारी सहायता प्राप्‍त मदरसों के सर्वे के यूपी सरकार के फैसले से मुस्लिमों को सता रही चिंता

दिल्ली के जमीयत-ए-उलेमा हिंद के दफ़्तर में यूपी के 150 से ज़्यादा मदरसा संचालकों ने बैठक में हिस्‍सा लिया. बैठक में मौलाना अरशद मदनी ने कहा, "ये सर्वे मदरसों पर बुलडोजर चलाने के लिए किया जा रहा है. यूपी सरकार की मंशा ख़राब है."

सभी गैर सरकारी सहायता प्राप्‍त मदरसों के सर्वे के यूपी सरकार के फैसले से मुस्लिमों को सता रही चिंता
योगी सरकार ने राज्‍य में सभी ग़ैर सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का फ़ैसला लिया है
नई दिल्‍ली:

यूपी की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने राज्‍य में सभी ग़ैर सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का फ़ैसला लिया है. इस फ़ैसले के मद्देनजर दिल्ली में मदरसों से जुड़े लोगों की अहम मीटिंग हुई जिसमें मौलाना महमूद मदनी समेत कई बड़े मुस्लिम जिम्मेदार मौजूद रहे. दिल्ली के जमीयत-ए-उलेमा हिंद के दफ़्तर में यूपी के 150 से ज़्यादा मदरसा संचालकों ने बैठक में हिस्‍सा लिया. बैठक में मौलाना अरशद मदनी ने कहा, "ये सर्वे मदरसों पर बुलडोजर चलाने के लिए किया जा रहा है.  सरकार की मंशा ख़राब है और यह जान-बूझकर मुसलमानों को बुरा नाम देना चाहती है."

इस बैठक में तीन बातों पर सहमति बनी
-सर्वे से पहले सरकार के साथ बैठक की जाएगी.
-एक समिति बनाई जाएगी जिसमें अरशद और महमूद मदनी शामिल होंगे. 
-आम जनता को समझाया जाएगा कि जाएगी कि मदरसे देश की संपत्ति है न कि कोई बोझ. मदरसों का किरदार देश की आज़ादी से लेकर आज तक अहम है.

जमीयत ए उलेमा हिंद के अध्‍यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा, "हम ऐसे बच्चों को शिक्षित करते हैं जो अन्यथा कभी पढ़ न पाते. देश में मदरसों ने पिछले सौ साल में जो काम किया है, वह बेमिसाल है. आज मदरसों को ग़लत निगाह से देखा जा रहा है. मीडिया जिस तरह से मदरसों को पेश कर रही है वो दोनों क़ौमों में दूरी पैदा कर रही है.

बता दें, यूपी सरकार ने पिछले हफ़्ते यूपी के ग़ैर सरकारी लगभग 16000 से ज़्यादा मदरसों का सर्वे कराने का फ़ैसला किया था. हर ज़िले की सर्वे की टीम में एसडीए, बीएसए और अल्पसंख्यक अधिकारी शामिल होंगे. ये सर्वे 5 अक्टूबर तक ख़त्म कर 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी. यूपी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री दानिश अंसारी ने कहा कि राज्य में 16,513 मान्यता प्राप्त मदरसों के अलावा अलग-अलग जिलों में कई अन्य मदरसा चल रहे हैं, जिन्हें बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है. ऐसे में उनका डेटा सरकार के पास होना चाहिए ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि वहां जो बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं उन्हें सही तालीम मिल भी रही है या नहीं. बाकी वहां सुविधाएं कैसी हैं, ये भी देखा जाना है. यूपी सरकार के इस फ़ैसले को एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 'मिनी CAA' बताया है. मुस्लिम संगठनों का कहना है कि अगर ये सर्वे मदरसों का कराया जा रहा है तो ये सर्वे दूसरे धर्मों की तालीम देने वाले शिक्षण संस्थानों का भी कराया जाए.

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