- शाहजहांपुर में अंग्रेज शासनकाल के खिलाफ निभाई जाने वाली रोचक परंपरा
- अंग्रेज शासकों के जुल्म-ज्यादती के खिलाफ आक्रोश का प्रतीक जुलूस
- जुलूस के दौरान हुरियारे लाट साहब की जय बोलते हुए उन्हें जूते मारते रहे
प्रशासन ने लाख कोशिश की लेकिन ‘लाट साहब' जूते खाने से नहीं बच सके. लाट साहब का जुलूस पूरी 'शानोशौकत' से निकला, पुलिस ने उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए लेकिन लाट साहब को जूते मारने वाले नहीं माने. उन्होंने लाट साहब को बेहिसाब जूते मारे और उन पर झाड़ू से हवा भी की. शाहजहांपुर में होली पर लाट साहब का पारंपरिक जुलूस निकला और हुरियारों के आगे प्रशासन हाथ मलता रह गया.
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली पर निकलने वाले लाट साहब का जलूस वैसे तो शांतिपूर्वक संपन्न हो गया मगर प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद ‘लाट साहब' को जूते मारने से नहीं रोका जा सका. जुलूस शहर के चौक क्षेत्र स्थित फूलमती मंदिर में लाट साहब के मत्था टेकने के बाद चौक कोतवाली आया. वहां पर कोतवाल ने लाट साहब को सलामी देने के साथ इनाम भी दिया.
यह शाहजहांपुर में अंग्रेज शासनकाल के खिलाफ निभाई जाने वाली रोचक परंपरा है. अंग्रेजी शासन के दौरान गवर्नर जनरल को 'लाट साहब' कहा जाता था. शाहजहांपुर में यह जुलूस अंग्रेज शासकों के जुल्म-ज्यादती के खिलाफ आक्रोश के प्रतीक के तौर पर हर साल होली पर्व पर निकाला जाता है.
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शाहजहांपुर में आज निकले जुलूस में एक व्यक्ति को प्रतीक रूप में लाट साहब बनाकर बैलगाड़ी पर तख्त डालकर बिठाया गया और उनके सिर पर हेलमेट भी पहनाया गया ताकि चोट न लगे. इसके अलावा उनके ऊपर झाड़ू से हवा की जाती रही. जुलूस के दौरान हुरियारे लाट साहब की जय बोलते हुए उन्हें जूते मारते रहे.
इस बार प्रशासन ने काफी चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था की थी ताकि कोई बवाल न हो. इसीलिए लाट साहब को जूते मारने पर भी पाबंदी लगा दी गई थी, परंतु प्रशासन की कोशिशों के बाद भी हुरियारे लाट साहब को जूते मारते रहे. यह जुलूस शहर के बाद विभिन्न मार्गों पर होते हुए घंटाघर पहुंचा और वहां से घूमता हुआ पुनः चौक क्षेत्र में पहुंचकर सम्पन्न हो गया.
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शाहजहांपुर के डीएम अमृत त्रिपाठी ने बताया कि जुलूस की निगरानी के लिए चार ड्रोन कैमरे लगाए गए, जबकि पूरी सड़क पर 200 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों से लाट साहब के जुलूस पर निगरानी रखी गई. पुलिस अधीक्षक एस चनप्पा ने बताया कि जुलूस के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आरएएफ की दो कंपनियां तथा पीएसी बल की दो कंपनियां तैनात की गई थीं.
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इस जुलूस में लाट साहब बनने वाले व्यक्ति को इस बार गाजियाबाद से लाया गया था. लाट साहब बनने वाले व्यक्ति को होली से 15 दिन पूर्व यहां लाकर गुप्त स्थान पर रखा जाता है. परंपरा के मुताबिक जुलूस के आयोजक उस व्यक्ति के पूरे परिवार को कपड़े देते हैं तथा काफी धन राशि भी दी जाती है.
(इनपुट भाषा से)
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