उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 25 दिनों के भीतर हार्ट अटैक से पांच लोगों की मौत का अजीब मामला सामने आया है. उनमें तीन युवा और आठ व 14 साल के दो बच्चे थे. इन मौतों के पीछे क्या कोई समान कारण है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है. डॉक्टरों के मुताबिक कोविड महामारी के दौर के बाद से युवाओं की हार्ट अटैक से मौतों के मामले बढ़ गए हैं.
जनपद के खैर थाना इलाके के गांव अर्राना निवासी करीब 20 वर्षीय ममता चौधरी यूपी पुलिस का रिटन एक्जाम पास कर फिजिकल एक्जाम के लिए तैयारी कर रही थी. जिसके लिए हर रोज वह दौड़ लगाने जाती थी. बीते 23 नवंबर को सुबह दौड़ लगाते वक्त ममता चौधरी को हार्ट अटैक पड़ा और उसकी मौत हो गई. ममता के भाई और पिता ने बताया है कि जेएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने दिल का दौरा पड़ने से ममता की मौत की पुष्टि की थी. हालांकि कोई पोस्टमार्टम प्रक्रिया नहीं हुई थी.
छर्रा थाना इलाके के गाँव सिरौली निवासी 14 वर्षीय मोहित चौधरी कक्षा 6 का छात्र था. मोहित चौधरी आगामी 7 दिसंबर को स्कूल में होने वाली वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए दौड़ का अभ्यास कर रहा था. शुक्रवार को दौड़ का अभ्यास करते वक्त मैदान में ही मोहित हार्ट अटैक पड़ने से गिर गया और मौत हो गई.
शनिवार को छर्रा थाना इलाके के ही अलीगढ़ रोड स्थित लोधी नगर निवासी 8 वर्षीय दीक्षा की बच्चों के साथ खेलते-खेलते हार्ट अटैक से मौत हो गई.
जानकारी मिली कि बीते 5 नवंबर को शहर निवासी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ लवनीश अग्रवाल सुबह टहल कर आए. वे घर पर क्लीनिक जाने के लिए तैयार हो रहे थे तभी हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई.
गत 20 नवंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व कुलसचिव एमएस अफजल के करीब 29 वर्षीय बेटे सैयद बरकात हैदर की हार्ट अटैक के चलते मौत हो गई. सैयद बरकात हैदर के ममेरे भाई अहमद मुस्तफा सिद्दकी ने बताया कि वे रात में सोए थे. जब उनके खर्राटे की आवाज सुनने को नहीं मिली तो जाकर देखा, तो पता चला कि उनका हार्ट अटैक से इंतकाल हो गया है. इसकी पुष्टि डॉक्टरों ने की थी.
अलीगढ़ के सीएमओ नीरज त्यागी ने मौतों के इस आंकड़े को लेकर कुछ खास नहीं बताया, हालांकि उन्होंने सावधानियां बरतने की बात जरूर बताई. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम प्रक्रिया निर्धारित पुलिस प्रक्रिया से कराया जा सकता है.
जेएन मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन और हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर एमयू रब्बानी ने कहा कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति की मृत्यु एक घंटे में हो जाती है तो उसे सडन कार्डियक अरेस्ट कहते हैं. पिछले 20 वर्षों में इसमें 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अधिकतर में कारण हार्ट अटैक होता है. उन्होंने कहा, बच्चों की असमय मौत दुर्भाग्यपूर्ण है. हालांकि कुछ बच्चों में जन्मजात दिल की बीमारी होती है. अगर उसकी जांच न कराई जाए, तो आगे नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर बच्चे में सांस फूलना और सीने में दर्द की शिकायत हो तो फौरन इसकी जांच करानी चाहिए.
प्रोफेसर रब्बानी ने यह भी स्पष्ट किया कि हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने शोध किया था. कई सेंटरों का डाटा इकट्ठा किया था. इसमें निष्कर्ष निकला कि वेक्सीनेशन की वजह से सडन कार्डियक अरेस्ट में तो कोई वृद्धि नहीं हुई, लेकिन जो गंभीर कोविड की चपेट में आए थे, उनमें हार्ट अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. ऐसे लोग अपनी स्क्रीनिंग जरूर करा लें, जिसमें कुछ मामूली जांचें होती हैं.
शहर के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अथर कमाल ने हाल ही में हार्ट अटैक से हुई मौतों को ध्यान में रखते हुए बताया कि कोविड के बाद दो से तीन सालों में देखने को आया है कि यंग लोगों में हार्ट अटैक के केसेज बढ़ गए हैं. ऐसे मरीजों में स्ट्रेस बहुत बड़ा फैक्टर था. इंफ्लीमेशन, स्मोकिंग और फेमिली हिस्ट्री पाई गई.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं