प्रतीकात्मक तस्वीर
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                फतेहपुर: 
                                        अगर आप यूपी बोर्ड से इस बार इंटरमीडिएट के परीक्षार्थी रहे हैं या फिर आपका कोई जानने वाला रहा हो, तो आपको ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए. दरअसल, यूपी बोर्ड ने इंटरमीडिएट के 1066 परीक्षार्थियों को फर्जी करार दिया है. पूरा मामला अब प्रधानाचार्यो के मत्थे मढ़ता नजर आ रहा है. बताया जा रहा है कि अगर परीक्षा फार्मों के अग्रसारण में प्रधानाचार्य ऑनलाइन विधि से जांच करते तो इस तरह का प्रकरण होता ही नहीं. डीआईओएस का कहना है कि प्रधानाचार्यो द्वारा लापरवाही बरती गई है, जिसके चलते 1066 परीक्षार्थी फर्जी करार दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्र के प्रधानाचार्य अपना जवाब (दावा) 30 दिसंबर तक पेश करेंगे. गौरतलब है कि इंटर मीडिएट के फर्जी परीक्षार्थी पकड़े जाने के प्रकरण में प्रथम दृष्टया लापरवाही उजागर हो रही है. परीक्षा फार्मों को अग्रसारित करने से पूर्व अगर प्रधानाचार्य अंकपत्रों का ऑनलाइन विधि से जांच करते तो फजीहत से बच सकते थे.
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हाई स्कूल पास होने के बाद कक्षा 11 में भी फर्जी पंजीयन को जांच को आधार मानकर आगे की कार्रवाई को गतिमान किया जा रहा है. आने वाले समय में यह भी परेशानी का सबब बन सकता है. बोर्ड ने इंटर मीडिएट की परीक्षा देने की तैयारी की कतार में खड़े जिले के 1066 प्राइवेट परीक्षार्थियों को फर्जी करार देकर शिक्षा जगत में हड़कंप मचा दिया है तो शिक्षा माफियाओं के शातिराना खेल का पदार्फाश कर दिया है.
शिक्षा जगत से ताल्लुक रखने वाले माफियाओं ने हाई स्कूल के फर्जी अंक पत्र से एक साल पहले कक्षा 11 में पंजीयन कराया. इसके बाद इसी फर्जी मार्कशीट के आधार पर इन छात्र-छात्राओं को इंटरमीडिएट का परीक्षार्थी बना दिया था. जिले में संजीदगी के सारे दिशा निर्देश धरे के धरे हर गए. शातिर शिक्षा माफिया परीक्षा की अंतिम सीढ़ी तक चढ़ गए. फर्जीवाड़ा उजागर करने में नि:संदेह बोर्ड की जागरूकता काम आई और जिले के पांच केंद्रों के 1066 फर्जी परीक्षार्थी पकड़े.
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जिला विद्यालय निरीक्षक महेंद्र प्रताप सिंह का कहना रहा कि अंकपत्रों का मिलान ऑनलाइन सिस्टम से किया जाना चाहिए था. संबंधित केंद्र के प्रधानाचार्य परिषद में अपना जवाब दावा 30 दिसंबर को खुद रखेंगे. फार्म के अग्रसारण की सही जिम्मेदारी प्रधानाचार्यों द्वारा नहीं निभाई गई है. (इनपुट आईएएनएस से)
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्र के प्रधानाचार्य अपना जवाब (दावा) 30 दिसंबर तक पेश करेंगे. गौरतलब है कि इंटर मीडिएट के फर्जी परीक्षार्थी पकड़े जाने के प्रकरण में प्रथम दृष्टया लापरवाही उजागर हो रही है. परीक्षा फार्मों को अग्रसारित करने से पूर्व अगर प्रधानाचार्य अंकपत्रों का ऑनलाइन विधि से जांच करते तो फजीहत से बच सकते थे.
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हाई स्कूल पास होने के बाद कक्षा 11 में भी फर्जी पंजीयन को जांच को आधार मानकर आगे की कार्रवाई को गतिमान किया जा रहा है. आने वाले समय में यह भी परेशानी का सबब बन सकता है. बोर्ड ने इंटर मीडिएट की परीक्षा देने की तैयारी की कतार में खड़े जिले के 1066 प्राइवेट परीक्षार्थियों को फर्जी करार देकर शिक्षा जगत में हड़कंप मचा दिया है तो शिक्षा माफियाओं के शातिराना खेल का पदार्फाश कर दिया है.
शिक्षा जगत से ताल्लुक रखने वाले माफियाओं ने हाई स्कूल के फर्जी अंक पत्र से एक साल पहले कक्षा 11 में पंजीयन कराया. इसके बाद इसी फर्जी मार्कशीट के आधार पर इन छात्र-छात्राओं को इंटरमीडिएट का परीक्षार्थी बना दिया था. जिले में संजीदगी के सारे दिशा निर्देश धरे के धरे हर गए. शातिर शिक्षा माफिया परीक्षा की अंतिम सीढ़ी तक चढ़ गए. फर्जीवाड़ा उजागर करने में नि:संदेह बोर्ड की जागरूकता काम आई और जिले के पांच केंद्रों के 1066 फर्जी परीक्षार्थी पकड़े.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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