सहारनपुर में हुई हिंसा की जांच के लिए 13 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया है.
                                                                                                                        - एसआईटी की जांच का सुपरवीजन डीआईजी सहारनपुर करेंगे
 - 5 से 23 मई के बीच हुई हिंसा में कायम हुए 40 मुकदमों की जांच
 - बेगुनाह लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने की शिकायतें मिलीं
 
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                                                                                लखनऊ: 
                                        सहारनपुर हिंसा की जांच अब एक 13 सदस्यीय एसआईटी को सौंप दी गई है. चूंकि यह हिंसक संघर्ष ठाकुरों और दलितों के बीच हुआ है इसलिए एसआईटी के सारे सदस्य अन्य जातियों के हैं. लेकिन चूंकि एससी/एसटी केस के मुकदमों की जांच में दलित अफसर का होना जरूरी है इसलिए इसमें एक डिप्टी एसपी और एक इंस्पेक्टर दलित बिरादरी से है.
एसआईटी की जांच का सुपरवीजन डीआईजी सहारनपुर करेंगे. और टीम में एक एडीशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी और 11 इंस्पेक्टर होंगे. एसआईटी 5 मई से 23 मई के बीच हुई हिंसा में कायम हुए 40 मुकदमों की जांच करेगी. इसमें 400 लोग नामजद हैं. जबकि 2000 अज्ञात लोगों के खिलाफ हिंसा में शामिल होने की एफआईआर है.
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आदित्य मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि वहां बेगुनाह लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने की शिकायतें आ रही थीं. उन्होंने खुद मौके पर पाया कि एक शख्स साव सिंह के खिलाफ हिंसा की एफआईआर हुई है जबकि वह 70 साल के अपाहिज बुज़ुर्ग हैं और उनके लिए दंगा करना मुमकिन नहीं है. इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए एसआईटी का गठन किया गया ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके.
                                                                        
                                    
                                एसआईटी की जांच का सुपरवीजन डीआईजी सहारनपुर करेंगे. और टीम में एक एडीशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी और 11 इंस्पेक्टर होंगे. एसआईटी 5 मई से 23 मई के बीच हुई हिंसा में कायम हुए 40 मुकदमों की जांच करेगी. इसमें 400 लोग नामजद हैं. जबकि 2000 अज्ञात लोगों के खिलाफ हिंसा में शामिल होने की एफआईआर है.
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आदित्य मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि वहां बेगुनाह लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने की शिकायतें आ रही थीं. उन्होंने खुद मौके पर पाया कि एक शख्स साव सिंह के खिलाफ हिंसा की एफआईआर हुई है जबकि वह 70 साल के अपाहिज बुज़ुर्ग हैं और उनके लिए दंगा करना मुमकिन नहीं है. इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए एसआईटी का गठन किया गया ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके.
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