चुनाव अधिकार संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (एडीआर) ने शनिवार को कहा कि 26 मार्च को उत्तर प्रदेश के 45 नए मंत्रियों में से 22 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं और उनमें से ज्यादातर पर गंभीर आरोप हैं. उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने मुख्यमंत्री सहित कुल 53 मंत्रियों में से 45 के स्वयंभू हलफनामों का विश्लेषण किया है. संजय निषाद और जितिन प्रसाद के हलफनामे इस रिपोर्ट को जारी किये जाने के समय चुनाव आयोग की वेबसाइट पर विश्लेषण के लिए उपलब्ध नहीं थे, जबकि बाकी मंत्रियों में जेपीएस राठौर, नरेंद्र कश्यप, दिनेश प्रताप सिंह, दयाशंकर मिश्र दयालू, जसवंत सैनी और दानिश आजाद अंसारी के विवरण का विश्लेषण नहीं किया गया है, क्योंकि वे वर्तमान में विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं हैं.
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एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, 22 (49 फीसदी) मंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं और 20 (44 फीसदी) मंत्रियों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. विश्लेषण किए गए 45 मंत्रियों में से 39 (87 फीसदी) करोड़पति हैं और उनकी औसत संपत्ति 9 करोड़ रुपये आंकी गई है. उनके हलफनामे के अनुसार, तिलोई निर्वाचन क्षेत्र से मयंकेश्वर शरण सिंह सबसे अधिक घोषित कुल संपत्ति 58.07 करोड़ रुपये और धर्मवीर सिंह, एक एमएलसी, 42.91 लाख रुपये, सबसे कम घोषित कुल संपत्ति वाले मंत्री हैं.
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27 मंत्रियों ने देनदारियों की घोषणा की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भोगनीपुर निर्वाचन क्षेत्र के राकेश सचान पर 8.17 करोड़ रुपये की देनदारी है, जो मंत्रियों में सबसे ज्यादा है. इसमें कहा गया है कि नौ (20 प्रतिशत) मंत्रियों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता कक्षा 8 से 12 के बीच घोषित की है, जबकि 36 (80 प्रतिशत) मंत्री स्नातक और उससे आगे हैं. बीस (44 प्रतिशत) मंत्रियों ने अपनी आयु 30 से 50 वर्ष के बीच घोषित की है जबकि 25 (56 प्रतिशत) मंत्रियों ने कहा है कि उनकी आयु 51 से 70 वर्ष के बीच है. विश्लेषण किए गए 45 मंत्रियों में से पांच (11 फीसदी) महिलाएं हैं.
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