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नीला ड्रम केस : सूखा नशा करती थी मुस्कान, जेल अधीक्षक ने बताया आखिर जेल में कैसे बदली जिंदगी

मेरठ जेल अधीक्षक ने बताया कि शुरुआत में मुस्‍कान को नशे की बहुत बड़ी समस्‍या थी और वह दोनों तरह का नशा जिसमें सूखा और इंजेक्‍शन से लिया गया नशा शामिल है, करती थी. जेल में जो नशा मुक्ति केंद्र है, वहां पर उसका और साहिल का इलाज करवाया गया.

नीला ड्रम केस : सूखा नशा करती थी मुस्कान, जेल अधीक्षक ने बताया आखिर जेल में कैसे बदली जिंदगी
  • जेल अधीक्षक के अनुसार मुस्कान की गर्भावस्था वर्तमान में सामान्य स्थिति में है और वह डॉक्टरों की देखरेख में हैं
  • मुस्कान पहले सूखे और इंजेक्शन से लिए गए नशे की समस्या से पीड़ित थीं.
  • मुस्कान ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने गर्भावस्था के आधार पर जमानत की मांग की है
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मेरठ के चर्चित सौरभ हत्याकांड में एक नया अपडेट सामने आया है. जेल की सलाखों के पीछे बंद मुस्कान की जिंदगी अब एक नई दिशा ले रही है. मेरठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा के मुताबिक, मुस्कान की गर्भावस्था सामान्य है, और वह अब केवल एक बात चाहती है-जमानत. जेल में रहने के दौरान मुस्कान की जिंदगी को करीब से देखने वाले जेल अधीक्षक ने उसके बारे में कई बातें बताई हैं.

मुस्कान की गर्भावस्था वर्तमान में सामान्य

मेरठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया कि गर्भवती महिला जेल में डॉक्टर की देखरेख में रहती है और आवश्यकता पड़ने पर बाहर से महिला डॉक्टर को बुलाया जाता है. मुस्कान की गर्भावस्था वर्तमान में सामान्य है. पहले उन्हें नशे की लत थी, विशेष रूप से सूखे नशे की. इसके लिए उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भेजा गया था और बाहर से डॉक्टर व काउंसलर की मदद ली गई थी. साहिल काम कर रहा है, लेकिन मुस्कान गर्भवती होने के कारण काम नहीं कर सकती. मुस्कान चाहती है कि उन्हें जमानत मिले, ताकि वह बच्चे की देखभाल बाहर से बेहतर तरीके से कर सकें.

मेरठ जेल अधीक्षक ने बताया कि शुरुआत में मुस्‍कान को नशे की बहुत बड़ी समस्‍या थी और वह दोनों तरह का नशा जिसमें सूखा और इंजेक्‍शन से लिया गया नशा शामिल है, करती थी. जेल में जो नशा मुक्ति केंद्र है, वहां पर उसका और साहिल का इलाज करवाया गया.

गर्भावस्था के आधार पर जमानत की मांग 
मुस्कान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज़मानत के लिए याचिका दायर की है. उसने अपनी याचिका में कहा है कि गर्भावस्था के आधार पर उसे ज़मानत दी जाए ताकि वह बच्चे की डिलीवरी और उसकी देखभाल कर सके. यह भी कहा गया है कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.


 

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