गोरखपुर: कानपुर के कारोबारी की हत्या में नामजद सभी 6 पुलिसवाले गिरफ्तार, घोषित था एक-एक लाख का इनाम

अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने एक बयान में कहा कि विजय यादव की गिरफ्तारी के साथ ही मामले में नामजद सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

गोरखपुर: कानपुर के कारोबारी की हत्या में नामजद सभी 6 पुलिसवाले गिरफ्तार, घोषित था एक-एक लाख का इनाम

मामले में नामजद सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया (फाइल फोटो)

लखनऊ:

कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या (Manish Gupta Murder Case) के सिलसिले में शनिवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक और वांछित पुलिसकर्मी को गोरखपुर से गिरफ्तार कर लिया. मामले में आरोपी सब इंस्पेक्टर विजय यादव को गोरखपुर के रेलवे म्यूजियम के पास से पकड़ा गया. मनीष गुप्ता की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार वह छठा आरोपी है. उसकी गिरफ्तारी के बाद मनीष हत्याकांड में नामजद सभी 6 पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. मामले में गिरफ्तारी का सिलसिला 10 अक्टूबर को शुरू हुआ था, जो विजय यादव के अरेस्ट के साथ शनिवार को समाप्त हो गया. 

पिछले महीने गोरखपुर के एक होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता (36) की पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर पिटाई कर दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी. कानपुर पुलिस ने सभी छह आरोपियों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपये का इनाम रखा था लेकिन, बाद में उसे बढ़ाकर एक-एक लाख रुपये कर दिया गया.

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने एक बयान में कहा कि विजय यादव की गिरफ्तारी के साथ ही मामले में नामजद सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. बुधवार (13 अक्टूबर) को मुख्य आरक्षी कमलेश कुमार यादव को एक गुप्त सूचना पर गिरफ्तार किया गया था, जब वह अदालत में आत्मसमर्पण करने जा रहा था.

इसके पहले, मंगलवार को उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) राहुल दुबे और आरक्षी (कांस्टेबल) प्रशांत कुमार को एक मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तार किया गया था जो गोरखपुर की अदालत में आत्मसमर्पण करने जा रहे थे. पुलिस निरीक्षक जगत नारायण सिंह और उपनिरीक्षक अक्षय मिश्रा को भी 10 अक्टूबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 

गौरतलब है कि यूपी सरकार ने कानपुर के व्यापारी की गोरखपुर में पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर पिटाई के बाद मौत के मामले की जांच केंद्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (CBI) से कराने की सिफारिश करते हुए केंद्र सरकार को एक अक्टूबर को प्रस्ताव भेजा है. राज्‍य सरकार ने यह भी तय किया है कि जब तक सीबीआई जांच को अपने हाथ में नहीं ले लेती तब तक मामले की जांच कानपुर में स्थानांतरित की जाएगी जहां विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच करेगा.

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