भांजी के शव को साइकिल पर ले जाने को मजबूर हुआ मामा
- अस्पताल ने शव वाहन मुहैया नहीं कराया गया
- शव को ले जाने के लिए साइकिल का सहारा लेना पड़ा
- 6 महीने की बेटी को अचानक उल्टी-दस्त होने लगा था
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कौशांबी:
एंबुलेंस न मिलने पर 10 किमी तक अपनी पत्नी का शव ढोते ओडिशा के दाना मांझी की तस्वीर आज भी लोगों को झकझोर देती है. इंसानियत को शर्मसार करती एक ऐसी ही तस्वीर उत्तर प्रदेश के कौशांबी ज़िले से आई है, जहां एक मामा अपनी छह महीने की मासूम भांजी का शव साइकिल पर ले जाने को मजबूर हुआ.
मृतक बच्ची के मामा का कहना है कि अस्पताल से लाख मिन्नत करने के बावजूद शव वाहन मुहैया नहीं कराया गया, जिसके बाद अपनी भांजी का शव घर तक ले जाने के लिए उसे साइकिल का सहारा लेना पड़ा. सोमवार को हुई इस घटना के बाद उस वक़्त ड्यूटी पर तैनात अस्पताल के इमरजेंसी विंग के डॉक्टर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है.अस्पताल ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- मामला कौशांबी जिले के सिराथू तहसील के मलाकसद्दी गांव का है. यहां रहने वाले एक शख्स की 6 महीने की बेटी को सुबह अचानक उल्टी-दस्त होने लगा. उसे जिला अस्पताल लाया गया. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अनंत कुमार ने बताया कि जब वह एम्बुलेंस के ड्राइवर के पास गया तो उसने 800 रुपए मांगे. पैसे न होने की बात कहने पर उसने शव ले जाने से मना कर दिया. डॉक्टरों से बात की तो उन लोगों ने शव वाहन का नंबर दिया. उस नम्बर पर फोन करने पर ड्राइवर ने कहा कि गाड़ी में तेल नहीं है. इसी बीच बच्ची का मामा आ गया और अपने बहनोई को रोते बिलखते देखा तो उसने शव को कंधे पर उठाया और साइकिल से 10 किलोमीटर दूर गांव को चल दिया.
पिछले साल ओडिशा के कालाहांडी के सरकारी अस्पताल से शव वाहन नहीं मिलने पर दाना माझी को पत्नी की लाश कंधे पर लेकर 10 किलोमीटर जाना पड़ा था. इस दौरान उसकी 12 साल की बेटी भी रोती-बिलखती साथ चल रही थी.इटावा में एक शख्स को अपने 15 साल के बेटे का शव सरकारी अस्पताल से कंधे पर लादकर घर ले जाना पड़ा था.
मृतक बच्ची के मामा का कहना है कि अस्पताल से लाख मिन्नत करने के बावजूद शव वाहन मुहैया नहीं कराया गया, जिसके बाद अपनी भांजी का शव घर तक ले जाने के लिए उसे साइकिल का सहारा लेना पड़ा. सोमवार को हुई इस घटना के बाद उस वक़्त ड्यूटी पर तैनात अस्पताल के इमरजेंसी विंग के डॉक्टर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है.अस्पताल ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- मामला कौशांबी जिले के सिराथू तहसील के मलाकसद्दी गांव का है. यहां रहने वाले एक शख्स की 6 महीने की बेटी को सुबह अचानक उल्टी-दस्त होने लगा. उसे जिला अस्पताल लाया गया. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अनंत कुमार ने बताया कि जब वह एम्बुलेंस के ड्राइवर के पास गया तो उसने 800 रुपए मांगे. पैसे न होने की बात कहने पर उसने शव ले जाने से मना कर दिया. डॉक्टरों से बात की तो उन लोगों ने शव वाहन का नंबर दिया. उस नम्बर पर फोन करने पर ड्राइवर ने कहा कि गाड़ी में तेल नहीं है. इसी बीच बच्ची का मामा आ गया और अपने बहनोई को रोते बिलखते देखा तो उसने शव को कंधे पर उठाया और साइकिल से 10 किलोमीटर दूर गांव को चल दिया.
पिछले साल ओडिशा के कालाहांडी के सरकारी अस्पताल से शव वाहन नहीं मिलने पर दाना माझी को पत्नी की लाश कंधे पर लेकर 10 किलोमीटर जाना पड़ा था. इस दौरान उसकी 12 साल की बेटी भी रोती-बिलखती साथ चल रही थी.इटावा में एक शख्स को अपने 15 साल के बेटे का शव सरकारी अस्पताल से कंधे पर लादकर घर ले जाना पड़ा था.
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