
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को अमेठी जिला बार एसोसिएशन के महासचिव उमाशंकर मिश्रा के मकान को बिना उनका पक्ष सुने ध्वस्त करने को लेकर जिला प्रशासन पर गहरी नाराजगी जाहिर की. पीठ ने अमेठी जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वह मौके पर यथास्थिति बनाए रखे और बार एसोसिएशन के सदस्यों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही न करे.
पीठ ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से इस मामले पर विस्तृत निर्देश प्राप्त करने के भी आदेश दिए। अदालत मामले की सुनवाई बुधवार को करेगी. न्यायमूर्ति डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने अमेठी जिला बार एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया.
पीठ ने माना कि गौरीगंज तहसील के उपजिलाधिकारी को पूर्व में दिए गए अपने उस आदेश का पुनरीक्षण करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है जिसके तहत बार एसोसिएशन के महासचिव उमाशंकर मिश्रा और गांव की भू प्रबंधन समिति के बीच जमीन की अदला-बदली की गई थी. जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि अमेठी जिला प्रशासन बार एसोसिएशन के सदस्यों को परेशान कर रहा है.
दरअसल, गौरीगंज के उप जिलाधिकारी ने 16 मई 2015 को जारी किए गए अपने उस आदेश का पुनरीक्षण किया था जिसके तहत गांव की भू प्रबंधन समिति और बार एसोसिएशन के महासचिव के बीच जमीन की अदला-बदली हुई थी और खुद को मिली जमीन पर उमाशंकर मिश्रा ने घर बनाया था.
उप जिलाधिकारी ने इस भू आदान-प्रदान को एकतरफा तरीके से निरस्त कर दिया था. इसके फौरन बाद जिलाधिकारी ने राजस्व अभिलेखों में बदलाव करते हुए फौरन मौके पर जाकर बार एसोसिएशन के महासचिव का घर ध्वस्त करा दिया. शिकायतकर्ता का आरोप है कि उपजिलाधिकारी ने उनका पक्ष सुने बगैर यह एकतरफा कार्यवाही की है.
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