अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में कथित घोटाले पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है.
- प्रोजेक्ट के लिए फ्रांस से 45 करोड़ की लागत से एक फव्वारा मंगाया गया था
- चार करोड़ की लागत से शहर और नदी में चलने वाली वॉटर बस मंगाई गई थी
- इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जज आलोक कुमार सिंह ने मामले की जांच की
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
लखनऊ:
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट के कथित घोटाले के खिलाफ आज सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली. इस प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ के बीचोंबीच बहने वाली गोमती नदी के 13 किलोमीटर लंबे किनारों का सौंदर्यीकरण किया जाना था. शुरू में यह प्रोजेक्ट 656 करोड़ का था, जो बाद में बढ़कर 1513 करोड़ का हो गया. योगी सरकार का आरोप है कि इस रकम का 95 फीसद यानी 1435 करोड़ खर्च होने के बावजूद सिर्फ 60 फीसद काम पूरा हो सका.
इस प्रोजेक्ट में गोमती नदी के दोनों किनारों पर डायफ्रॅाम वॉल बननी थी और लैंडस्केपिंग करके खूबसूरत लॉन….परमानेंट और मौसमी फूलों की क्यारियां…साइकल ट्रैक, जॉगिंग ट्रैक, वॉकिंग प्लाज़ा बनाया जाना था. प्रोजेक्ट के लिए फ्रांस से 45 करोड़ की लागत से एक फव्वारा मंगाया गया था जिसके चलने पर लेज़र लाइट के ज़रिए लखनऊ के मॉन्युमेंट्स की तस्वीर बनती. चार करोड़ की लागत से वॉटर बस भी आई थी जो घूमने वालों को लखनऊ की सैर कराती और फिर उन्हें गोमती नदी में भी सफर कराती.
यह भी पढ़ें : सीएम योगी ने दिए गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश, 27 मार्च को किया था दौरा
सीबीआई ने इस मामले में आज इस प्रोजेक्ट से जुड़े सिचाई विभाग के तीन चीफ इंजीनियर गुलेश चंद्रा, एसएन शर्मा, काज़िम अली, चार सुप्रिंटेंडेंट इंजीनियर शिव मंगल यादव,अखिल रमण,कमलेश्वर सिंह,रूप सिंह यादव और एक एग्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर सुरेंद्र यादव के खिलाफ नामज़द एफआईआर दर्ज की है. इनमें से चार इंजीनियर गुलेश चंद्रा, शिव मंगल यादव,अखिल रमण और रूप सिंह यादव रिटायर हो चुके हैं.
VIDEO : योगी ने ली अफसरों की क्लास
सरकार ने पहले इसकी जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जज आलोक कुमार सिंह को सौंपी थी. उन्होंने अपनी शुरुआती जांच में प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पाई थी. उनकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
इस प्रोजेक्ट में गोमती नदी के दोनों किनारों पर डायफ्रॅाम वॉल बननी थी और लैंडस्केपिंग करके खूबसूरत लॉन….परमानेंट और मौसमी फूलों की क्यारियां…साइकल ट्रैक, जॉगिंग ट्रैक, वॉकिंग प्लाज़ा बनाया जाना था. प्रोजेक्ट के लिए फ्रांस से 45 करोड़ की लागत से एक फव्वारा मंगाया गया था जिसके चलने पर लेज़र लाइट के ज़रिए लखनऊ के मॉन्युमेंट्स की तस्वीर बनती. चार करोड़ की लागत से वॉटर बस भी आई थी जो घूमने वालों को लखनऊ की सैर कराती और फिर उन्हें गोमती नदी में भी सफर कराती.
यह भी पढ़ें : सीएम योगी ने दिए गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश, 27 मार्च को किया था दौरा
सीबीआई ने इस मामले में आज इस प्रोजेक्ट से जुड़े सिचाई विभाग के तीन चीफ इंजीनियर गुलेश चंद्रा, एसएन शर्मा, काज़िम अली, चार सुप्रिंटेंडेंट इंजीनियर शिव मंगल यादव,अखिल रमण,कमलेश्वर सिंह,रूप सिंह यादव और एक एग्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर सुरेंद्र यादव के खिलाफ नामज़द एफआईआर दर्ज की है. इनमें से चार इंजीनियर गुलेश चंद्रा, शिव मंगल यादव,अखिल रमण और रूप सिंह यादव रिटायर हो चुके हैं.
VIDEO : योगी ने ली अफसरों की क्लास
सरकार ने पहले इसकी जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जज आलोक कुमार सिंह को सौंपी थी. उन्होंने अपनी शुरुआती जांच में प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पाई थी. उनकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं