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कानपुर में 5 खूंखार कुत्तों को उम्रकैद, आखिर किस अपराध की मिली ऐसी सजा

अक्सर आपने सुना होगा कि गंभीर अपराधों के लिए इंसानों को उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बेहद अनोखा और सख्त नियम लागू किया गया है.

कानपुर में 5 खूंखार कुत्तों को उम्रकैद, आखिर किस अपराध की मिली ऐसी सजा
  • कानपुर नगर निगम ने हमलावर कुत्तों के लिए आजीवन कारावास की सजा लागू की है ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो
  • कुत्तों को पहली बार काटने पर 10 दिन के लिए ABC सेंटर में निगरानी में रखा है और दोबारा हमले पर उम्रकैद होगी
  • अब तक पांच कुत्तों को उम्रकैद की सजा दी गई है जिनमें आवारा और पालतू दोनों प्रकार के हमलावर कुत्ते शामिल हैं
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अक्सर आपने सुना होगा कि गंभीर अपराधों के लिए इंसानों को उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बेहद अनोखा और सख्त नियम लागू किया गया है. यहां अब इंसानों को नहीं, बल्कि खूंखार और हमलावर कुत्तों को 'आजीवन कारावास' दी जा रही है. कानपुर नगर निगम का यह सख्त कदम आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को देखते हुए उठाया गया है.

ABC सेंटर बना हमलावर कुत्तों के लिए 'काला पानी'

उत्तर प्रदेश सरकार के नए आदेशों के बाद कानपुर नगर निगम ने आवारा कुत्तों के हमलों पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है. शहर के एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर को अब उन कुत्तों के लिए जेल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है जो लोगों के लिए खतरा बन चुके हैं.

क्या है सजा का प्रावधान?

प्रशासन ने कार्रवाई के लिए स्पष्ट मानक तय किए हैं.

पहली गलती: यदि कोई कुत्ता किसी व्यक्ति को एक बार काटता है, तो उसे 10 दिनों के लिए ABC सेंटर में निगरानी में रखा जाएगा.

दूसरी गलती: यदि वही कुत्ता दोबारा किसी को काटता है या दो से अधिक लोगों पर हमला करता है, तो उसे हमेशा के लिए सेंटर में कैद कर दिया जाएगा.

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अब तक 5 कुत्तों को मिल चुकी है 'उम्रकैद'

इस अभियान के तहत अब तक कानपुर में 4 से 5 कुत्तों को आजीवन कारावास की सजा दी जा चुकी है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस लिस्ट में सिर्फ गली के आवारा कुत्ते ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसे पालतू कुत्ते भी शामिल हैं जिनके मालिकों ने उन्हें काबू में नहीं रखा और वे लोगों के लिए जानलेवा साबित हुए.

सजा के साथ सेवा: जेल में मिलेंगी ये सुविधाएं

भले ही इसे 'सजा' कहा जा रहा हो, लेकिन नगर निगम ने मानवीय दृष्टिकोण को भी बरकरार रखा है. चीफ वेटरनरी ऑफिसर (CVO) डॉ. आर.के. निरंजन के अनुसार, "हमारा मकसद कुत्तों को प्रताड़ित करना नहीं, बल्कि जनता को सुरक्षित रखना है. इन कुत्तों को सेंटर में बेहतर खान-पान और मेडिकल सुविधाएं दी जा रही हैं. साथ ही शहर में नसबंदी अभियान भी तेजी से चलाया जा रहा है."

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क्या इन कुत्तों की कभी होगी 'रिहाई'?

प्रशासन ने इन कुत्तों की रिहाई या गोद लेने के लिए बहुत ही कड़े नियम बनाए हैं. इन कुत्तों को तभी छोड़ा जाएगा जब कोई व्यक्ति इनकी पूरी जिम्मेदारी लेने को तैयार हो. गोद लेने वाले को लिखित में हलफनामा देना होगा कि कुत्ता दोबारा किसी पर हमला नहीं करेगा. कुत्ते के शरीर में एक माइक्रोचिप लगाई जाएगी ताकि भविष्य में उसकी हर हरकत पर प्रशासन की नजर रहे.

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