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लखनऊ की अनोखी रामलीला: राम-लक्ष्मण, सीता से लेकर भरत-शत्रुघ्न, महिलाएं निभा रही हैं किरदार

शारदीय नवरात्र के साथ ही लखनऊ में रामलीलाओं का मंचन शुरू हो जाता है, जो दशकों से चली आ रही परंपरा है. हालांकि अब रामलीलाओं में बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां मुख्य किरदार अब महिलाएं निभा रही हैं. 

लखनऊ की अनोखी रामलीला: राम-लक्ष्मण, सीता से लेकर भरत-शत्रुघ्न, महिलाएं निभा रही हैं किरदार
रामलीला के दौरान अभिनय करतीं महिलाएं
नई दिल्ली:

Lucknow Ramleela News: शारदीय नवरात्र लगते ही देशभर में जगह-जगह रामलीला का मंचन शुरू हो जाता है. यह परंपरा दशकों से चली आ रही है. समय के साथ ही इसमें कई बदलाव भी देखने को मिले हैं. साथ ही कई जगहों पर अनोखे तरीके से कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन किया जाता है. ऐसे ही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नवरात्र के मौके पर हो रहे रामलीला के अनोखे मंचन से आपको रूबरू करवाएंगे. जहां पर राम-सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न से लेकर अन्य मुख्य भूमिकाओं का किरदार महिलाएं निभा रही हैं. 

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कुमाऊनी रामलीला

इनमें पर्वतीय क्षेत्र की रामलीला (जिसे कुमाऊनी रामलीला भी कहा जाता है) में रामचरितमानस से कवि उक्ति छोड़कर संवादरूप दोहा, चौपाई को भी स्थान दिया गया है. कुछ छंद और संस्कृत के श्लोक भी लिए गए हैं. गायन शैली की रामलीलाओं का अलग ही आनन्द है. कुमाऊंनी शैली में होने वाली यह राम लीला शास्त्रीय रागों में होती है. आजादी के बाद लखनऊ में कुमाऊं परिषद की स्थापना के बाद नजरबाग के छोटे से पार्क से शुरू हुई कुमाऊनी रामलीला जो बाद में मुरली नगर मैदान में होने लगी.

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लखनऊ की रामलीला का इतिहास क्यों है इतना खास?

50 के दशक में प्रसिद्ध मुरली नगर की रामलीला के साथ साथ महानगर, गणेश गंज, नरही और डालीगंज में रामलीला का मंचन होता रहा है. धीरे-धीरे नगर के विस्तार के साथ साथ आज कल्याणपुर, पन्तनगर, कुर्मांचल नगर, तेलीबाग में रामलीलाओं की शुरुआत हुई. लेकिन नरही, गणेशगंज और डालीगंज की रामलीला परिस्थितियों एवं स्थानीय पर्वतीय लोगों के दूसरे क्षेत्रों में पलायन होने की वजह से खत्म हो गई. लेकिन महानगर की रामलीला 6 दशक से भी अधिक समय से निरन्तर जारी है.

लखनऊ का सर्वश्रेष्ठ रामलीला

इस निरंतरता को बनाए रखने का श्रेय महानगर स्थित नर्मदेश्वर महादेव मन्दिर के पुजारी और श्री रामलीला समिति महानगर के पूर्व अध्यक्ष  स्व. पंडित पूरन चन्द्र पांडे "पूरन दा" के प्रयासों को जाता है. 80 के दशक में मुरली नगर की रामलीला समाप्त होने के बाद यहां के ज्यादातर कलाकार और कार्यकर्ता श्री रामलीला समिति महानगर के  साथ-साथ शहर के अन्य क्षेत्रों में होने वाली रामलीला समीतियों से जुड़ गए. एक समय में मुरली नगर और महानगर की रामलीलाओं को लखनऊ शहर में सर्वश्रेष्ठ माना जाता था. आज भी इस रामलीला का आयोजन धूमधाम से होता है, इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

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बेटियां निभा रहीं किरदार

लखनऊ में इस कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण देखने को मिला. जहां श्री रामलीला समिति महानगर द्वारा आयोजित रामलीला मंचन में पिछले कुछ सालों से अभिनय ज्यादातर लड़कियां निभा रही हैं. ये कलाकार अपनी पढ़ाई के साथ-साथ रामलीला में सुन्दर अभिनय भी करते हैं. इसमें श्री राम का अभिनय करने वाली यशी लोहुमी लखनऊ विश्वविद्यालय में बीटेक प्रथम वर्ष की छात्रा हैं. साथ ही सीता- अनुराधा मिश्रा, लक्ष्मण -फाल्गुनी लोहुमी, भरत- प्रतिष्ठा शर्मा, शत्रुघ्न प्रसिद्धि- जोशी अहिल्या- यशी शर्मा गौरी -हर्षिता कश्यप का अभिनय करने वाली कलाकार लखनऊ के अलग-अलग संस्थानों से पढ़ाई कर रही हैं.

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