उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हजारों की संख्या में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी होने का मामला सामने आया है.जिन गांवों के नाम पर ये जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, उतनी उन गांवों की आबादी भी नहीं हैं. यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब सरकार प्रदेश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की धर-पकड़ का अभियान चला रही है. रायबरेली में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का यह मामला तब सामने आया जब आतंकवाद के एक मामले की जांच के एक आरोपी के पास से रायबरेली का जन्म प्रमाण पत्र मिला. उसका पता लगाते हुए एनआईए रायबरेली पहुंची. अब इन जन्म प्रमाण पत्रों को रद्द करने का काम शुरू किया गया है.
कैसे पकड़ में आया फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का मामला
यह मामला तब पकड़ में आया, जब पिछले साल कर्नाटक में एनआईए एक मामले की जांच कर रही थी. इस दौरान एक शख्स पकड़ा. वह एक संदिग्ध बांग्लादेशी था. उसके दस्तावेज खंगाले गए तो उसने खुद को रायबरेली का निवासी बताया. जांच रायबरेली पहुंची तो पता लगा कि एक दो नहीं बल्कि 52 हजार 846 फर्जी तरीके से बर्थ सर्टिफिकेट्स तैयार कर दिए गए हैं. इस मामले की जांच में अब तक कुल 18 आरोपियों को जेल भेजा गया है. इनमें से एक नाबालिग है.
यह मामला रायबरेली जिले के सलोन ब्लॉक के 12 गांवों से जुड़ा है. इन 12 गांवों की कुल आबादी से भी अधिक यहां जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए हैं. इन गांवों से 52 हजार 846 लोगों के जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं. लेकिन इस बात की जानकारी किसी को नहीं है कि ये लोग कौन हैं.माना जा रहा है कि इन लोगों का रायबरेली से कोई वास्ता नहीं है. लेकिन कागजों में ये लोग रायबरेली के ही रहने वाले हैं. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या ये वही अवैध बांग्लादेशी-रोहिंग्या हैं, जिनकी तलाश प्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में कर रही है.
एक तरफ रायबरेली जिला प्रशासन इन बर्थ सर्टिफिकेट्स को रद्द करने की कार्रवाई कर रहा है.रायबरेली के विकास भवन में बर्थ सर्टिफ़िक्सेट्स कैंसिलेशन के लिए वॉर रूम बनाया गया है.वहीं दूसरी ओर सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि किन लोगों ने अपने नाम से ये जन्म प्रमाण पत्र बनवाए हैं.सुरक्षा एजेंसियां जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों की लोकेशन और इसकी वजह के बारे में पता लगा रही हैं.
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