बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष ने पुजारियों की तरफ से नियमों का पालन न करने के बाद जगमोहन में सीढ़ियां चढ़ने या दर्शन करने पर रोक लगा दी है. अधिकारियों ने बताया कि जगमोहन मंदिर के गर्भगृह और उस क्षेत्र के बीच का स्थान है, जहां से आम श्रद्धालु बांके बिहारी के दर्शन कर सकते हैं.
स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, श्रद्धालुओं को जगमोहन में प्रवेश की अनुमति नहीं है. केवल ड्यूटी पर तैनात पुजारी ही श्रद्धालुओं की तरफ से पूजा-अर्चना के लिए वहां जा सकते हैं.
क्यों लिया गया निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने प्रसिद्ध मंदिर के दैनिक कार्यों के प्रबंधन के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की थी. अशोक कुमार ने बताया कि मंदिर के सेवायतों (पुजारियों) ने इस प्रथा को रोकने का वादा करने के बावजूद परामर्श का पालन नहीं किया, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है.
शुक्रवार को जारी एक निर्देश के माध्यम से, उन्होंने इस प्रथा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शनिवार से जगमोहन के ऊपरी बाएं और दाएं हिस्से में किसी भी आगंतुक का प्रवेश प्रतिबंधित होगा.
होली से शुरू होगी लाइव स्ट्रीमिंग
बांके बिहारी मंदिर से दर्शन की ‘लाइव स्ट्रीमिंग' (घर बैठे ऑनलाइन दर्शन) की व्यवस्था अगले साल शुरू हो सकती है. मंदिर के मामलों की देखरेख करने वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने एक बैंक की मदद से नवंबर से मंदिर की गुल्लक खोलने के लिए एक नए तरीके को भी मंजूरी दी है. समिति ने रोज़ाना के रखरखाव को बेहतर बनाने के लिए प्रेशर मशीन, वैक्यूम क्लीनर और फ्लोर-क्लीनिंग मशीन समेत सफाई के सामान की खरीद को भी मंजूरी दे दी. न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने कहा कि ‘लाइव स्ट्रीमिंग' के लिए एक फर्म को चुना गया था और यह सेवा अगले साल होली के आसपास शुरू होने की उम्मीद है.
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