
Baba Saheb Ambedkar Birth Anniversary: बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती के अब बस दो दिन बचे है. उनके सम्मान में सभी राजनैतिक दल मैदान में हैं. होड़ मची है उनके असली अनुयायी दिखने की. आज की पॉलिटिक्स अब ऑप्टिक्स वाली हो गई है. करने से ज़्यादा दिखना जरूरी है. सब की अपनी-अपनी तैयारी है. देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में अभी नहीं तो फिर कभी नहीं जैसा माहौल है. ये माहौल हो भी क्यों ना... सत्ता बचाने और सत्ता फिर से पाने का रास्ता दलित घरों से होकर जाता है. यूपी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच इन्हीं घरों में पहले पहुंचने की होड़ मची है.
अखिलेश यादव इटावा में करेंगे आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण
अखिलेश यादव कल बाबा साहेब आंबेडकर की एक प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे. ये प्रतिमा मुलायम परिवार के गृह जिले इटावा में लगाई गई है. समाजवादी पार्टी इन दिनों स्वाभिमान स्वमान सप्ताह मना रही है. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता बूथ के प्रभावशाली दलित लोगों के घर जा रहे हैं.
स्वाभिमान स्वमान सप्ताह मना रही सपा
बहाना आंबेडकर जयंती का है. इसी बहाने दलित परिवारों को समाजवादी पार्टी से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. अब तक तो यही धारणा रही है कि यादव और दलित साथ नहीं हो सकते हैं. पर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उम्मीदें बढ़ा दी है.
यूपी में एससी के 17 सीटें आरक्षित
यूपी में लोकसभा की 17 सीटें SC के लिए रिजर्व हैं. पिछली बार बीजेपी को इनमें से 8 सीटें मिली. समाजवादी पार्टी भी 7 सीटें जीतने में कामयाब रहीं. अखिलेश यादव का PDA वाला फ़ार्मूला मास्टर स्ट्रोक बना. यही से उन्होंने दलित वोटरों को जोड़ने की नई रणनीति बनाई.
इस समाज से लोगों को टिकट देना और संगठन में ज़िम्मेदारी देना. बाबा साहेब के नाम पर एक नया फ़्रंट बना. लगातार कमज़ोर हो रही बीएसपी उनके लिए वरदान बन गया है. लोकसभा चुनाव में उन्हें दलित बिरादरी से पासी का वोट मिला. अब उनकी नज़र जाटव वोट पर है.
यूपी में करीब 21 फीसदी दलित वोटर
यूपी में करीब 21% दलित वोटर हैं. इनमें से आधे तो जाटव दलित हैं. बीएसपी प्रमुख मायावती भी इसी बिरादरी से हैं. वाल्मिकी, खटीक और सोनकर जैसे दलित वोटरों का झुकाव बीजेपी की तरह रहा है. तो असली लड़ाई जाटव वोट बैंक के लिए हैं. मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी पहली पसंद रही है. पर बीते कुछ सालों से बीएसपी के इस बेस वोट में भी सेंध लग गई है.
मायावती अपनी पार्टी में जान फूंकने की कोशिश कर रही
चंद्रशेखर रावण और आज़ाद समाज पार्टी तेज़ी से विकल्प बन रहे हैं. मायावती अपनी पार्टी में जान फूंकने में जुटी हैं. अपने भतीजे आकाश आनंद तक को उन्होंने पार्टी से बाहर कर दिया. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपना जाटव वोट बैंक बचाने की है.
आरएसएस का भी दलित पर ज्यादा जोर
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हाल में ही यूपी के दौरे पर थे. उनका फोकस हिंदू समाज को एकजुट करने का रहा. दलित पर ज़ोर ज़्यादा है. बीजेपी संगठन के लोग भी इसी काम में जुटे हैं. लोकसभा चुनाव में पार्टी को 29 सीटों का नुक़सान हुआ था. अब पार्टी अपने सामाजिक समीकरण को फिर से समेटने में लगी है.
संविधान, आरक्षण, आंबेडकर जैसे मुद्दों पर बयान से बच रही भाजपा
दिल्ली में पार्टी के हेड ऑफिस में पार्टी नेताओं ने मंथन किया. कहा गया कि संक्षिधान, आरक्षण और आंबेडकर जैसे मुद्दों पर कोई बयान नहीं देगा. जो भी कहना है बहुत सोच समझ कर. बीते लोकसभा चुनाव में फैजाबाद के पूर्व सांसद लल्लू सिंह के एक बयान का बड़ा नुक़सान हुआ था.
दलितों के घर दस्तक दे रहे बीजेपी नेता
बीजेपी इन दिनों दलितों के घर दस्तक दे रही है. पार्टी के छोटे बड़े नेता सवेरे से लेकर शाम तक इस काम में जुटे रहते हैं. जहॉं जहॉं बाबा साहेब आंबेडकर की मूर्तियां लगी हैं वहां हर रोज़ कार्यक्रम हो रहे हैं. बीजेपी के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह बाराबंकी में एक दलित बस्ती में गए. वहां स्वच्छता अभियान चलाया.
राजनाथ के बेटे ने दलितों की नई पीढ़ी को साधने की कोशिश की
यूपी के अलग-अलग शहरों में मैराथन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे नीरज सिंह लखनऊ में मैराथन दौड़ आयोजित किया है. शहर के कालेज और यूनिवर्सिटी में पड़ने वाले दलित स्टूडेंट को इसमें बुलाया गया है. कोशिश नई पीढ़ी के दलितों को अपने पाले में करने की है.
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