
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इटावा केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि रमजान के दौरान दिन में पांच बार नमाज पढ़ने सहित उच्च सुरक्षा वाले कैदी की धार्मिक आस्था में ‘‘हस्तक्षेप'' न हो और उसे अपने पास कुरान रखने की ‘‘अनुमति'' दी जाए. हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि जेल के अंदर कैदियों की सुरक्षा के लिए अपनाए जा रहे नियमित सुरक्षा उपाय जारी रहेंगे.
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की पीठ ने 17 मार्च को एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक दोषी की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. याचिका में दावा किया गया कि उसके पति को रमजान माह में धार्मिक आस्था के अनुसार नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी जा रही है.
याचिकाकर्ता उज्मा आबिद ने यह भी दावा किया कि उनके पति से कुरान भी छीन ली गई है. अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता का पति हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और उसे इटावा की उच्च सुरक्षा वाली जेल में रखा गया है.
अदालती कार्यवाही के दौरान, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि जेल अधिकारी याचिकाकर्ता की शिकायत की कानून के अनुसार जांच करेंगे. दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने जेल अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि रमजान के दौरान दिन में पांच बार नमाज अदा करने सहित कैदी की धार्मिक आस्था में हस्तक्षेप न किया जाए और उसे नियमित सुरक्षा उपायों को जारी रखते हुए कुरान रखने की अनुमति दी जाए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं